शिर:शूल या सिर दर्द होते हें तरह के !
यूँ तो सर दर्द एक मुहावरा हे पर यहाँ हम केवल शारीर को होने वाले रोग सर दर्द की बात कर रहे हे। आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं इसको 'रोग का लक्षण' मानता हे और चिकित्सा भी उसके अनुसार करता हे। जबकि आयुर्वेद में इसको एक 'रोग' की श्रेणी में रखा हे, इसलिए उसकी चिकित्सा पर भी अलग से विचार किया गया। मानसिक तनाव देनिक भागदोड की जीवन से भी उत्पन्न इस लक्षण को रोग माना जाना आवश्यक समझा गया। इसी से चिकित्सा उपलब्ध हो सकी, जबकि आधुनिक विज्ञानी इसे मात्र लक्षण (सिमटम) मान कर कई सिर् दर्दो कि चिकित्सा नहीं कर पाए इनमें से माइग्रेन,अर्धावभेदक या आन्धासिसी(आधा सिरे में दर्द)आदि।अन्य विशेष इन सर दर्दो की विशेष जानकारी अगले शिर:शूल के लेखो में मिल सकेगी।
- थकान, अधिक सोना,अधिक टी वी देखना ,अधिक पड़ना,आदि से तनाव के कारण होने वाला सिर दर्द सिरदर्द सामान्य होता है। यह मांसपेशियों में सिकुड़न के कारण होता है। तनाव से पैदा हुआ सिरदर्द अक्सर धीमा और स्थिर होता है। 90 प्रतिशत सिरदर्द इसी कारण होते हैं और आमतौर पर खुद ही ठीक हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त रोजाना होने वाला सिरदर्द भावनात्मक तनाव, थकान व शोरगुल से भी हो सकता है। वैसे तो ऐसा दर्द सिर में कहीं भी हो सकता है, परन्तु गर्दन या दोनों कनपटियों में यह दर्द तेज होता है।
- माइग्रेन से होने वाला सिरदर्द- आनुवंशिक भी हो सकता हे। यह सिरदर्द हर किसी में अलग-अलग होता है। माइग्रेन सिर के आधे हिस्से में और बहुत तेज होने वाला सिरदर्द है। इस सिरदर्द में कई बार जी मिचलाना, उल्टी होना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, दृष्टि-दोष, सुस्ती, बुखार और ठंड भी लगती है। माइग्रेन से कई बार धीरे-धीरे और कई बार तेज होने लगता है। इसका कारण किसी खाध्य/ओषधि/मोसम/आदि से होने वाली एलर्जी से भी हो सकता है।
- नशीले पदार्थ लेने वालों में सिरदर्द- नशे के आदि व्यक्ति को नशा नही मिलता है तो उनके सिर में दर्द होने लगता है। यह इसलिए होता है क्योंकि नशीले पदार्थों के सेवन से तंत्रिकाओं पर उत्तेजक प्रभाव पड़ता है, इस उत्तेजना से सिरदर्द होता है। इसमें विशेष नशे से लेकर चाय/काफी भी शामिल की जा सकती हे।
- साइनस के सरदर्द में नाक के पीछे एवं बोहों के बीच वाली हड्डी की कोचर जो साइनस कहलाती हे में जब लगातार सर्दी/जुकाम/नाक की सफाई में कमी आदि से साइनस में संक्रमण हो जाता है और उसमें जलन,तेज सिरदर्द कई बार लगातार होने लगती है। यह अक्सर सुबह शुरू होता है। साथ ही आंखों, गाल, और सिर के अगले हिस्से में दबाव और दर्द होता हे, और साथ ही नीचे झुकने पर बहुत तेज दर्द होता है। साथ ही दांत में दर्द, बुखार, ठंड लगना, चेहरे पर सूजन आदि की समस्या भी आ सकती हे।
- कब्ज से सिरदर्द- सिरदर्द उत्पन्न होने का यह एक अन्य कारण भी है, जिसे सिरदर्द कहते हैं। अधिक कब्ज होने के कारण यह सिरदर्द होता है। कब्ज होने के कारण आम(अपक्वता) एकत्र होने से आंतों की दीवारों में प्लाज्मा आवश्यकता से अधिक नष्ट होने लगता हे और मष्तिष्क (ब्रेन)को रक्त की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाने से सिरदर्द उत्पन्न होने लगता है।
- रक्त(खून) की कमी से सर दर्द होना महिलाओ के लिए आम बात हे। प्रत्येक माह मासिक स्राव अपने साथ बड़ीमात्रा में हिमोग्लोबिन की कमी का कारण बन कर सर मे उत्त्पन्न दर्द कर देता हे।
- शारीर में हारमोंस की कमी या अधिकता भी सर दर्द का कारण बन जाती हे। ये चपापचय (मेटाबोलिस्म) के प्रभावित होने से होता हे।
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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