नारियल- एक पोरुष वर्धक दिव्य फल। |
- कोमल कच्चा नारियल - पित्त ज्वर[ दाह जलन युक्त बुखार] , रक्त विकार, वमन[उल्टी] ठीक करने वाला, प्यास को शांत करने वाल होता हे। चबाने से मुहु के छाले मिटते हें। नारियल खाने से पेट के क्रमी नष्ट हो जाते हें। कब्ज दूर होती हे।
- पका हुआ नारियल- पित्त जनक[दाह करने वाला], भारी, मल रोधक, रुचि वर्धक, मधुर, बल-वीर्य वर्धक, होता हे।
- नारियल का पानी - विरेचक[दस्त लाने वाला], शीतल,वमन ओर मूर्छा दूर करने वाला, भारी,व शीतल होता हे। प्यास दूर करने के लिए सर्व श्रेष्ठ हे।
- सूखा नारियल- कठिनता से पचने वाला, दाह कारक,भारी, बल वीर्य वर्धक होता हे।
- नारियल का दूध- बल वर्धक, रुचिकारक, भारी, स्वादिष्ट, कुछ गर्म, कफ खांसी ओर गुल्म[पेट के गोले] ठीक करने वाला होता हे। बंगाल में माना जाता हे की इसका दूध अण्ड-कोश की सूजन ओर भरे पानी को ठीक कर देता हे। धातु क्षय की अवस्था में अति लाभकारी हे।
- नारियल का फूल- शीतल मधुर,मल रोधक, वैरी वर्धक मद[नशा] कारक, अम्लता वर्धक, क्रमी नाशक,ओर वात नाशक होता हे।
- नारियल से बनी ताजी ताड़ी-अति स्निग्ध, मद कारक[तत्काल] भारी, वीर्य वर्धक, होती हे। पर दोपहर बाद यही ताड़ी अम्ल युक्त होकर कफ कारक, पित्त जनक, ओर क्रमी नाशक हो जाती हे। यह शांति दायक ओर मूत्र रोगों को ठीक भी करती हे।
- नारियल का तेल- वाजी कारक [पोरुषत्व वर्धक], भारी, कमजोरों के लिए पोष्टिक,वैट-पित्त, नष्ट करने वाला, मूत्रघात[मूत्र रुकना] प्रमेह[मूत्ररोग], स्वास, खांसी, टी॰बी ठीक करने वाला, स्मरण शक्ति बड़ाने वाला, चोट या घाव को जल्दी भरने वाला होता हे। यह क्रमी नाशक, बाल [हैयर] वर्धक [खाने व लगाने से] ,होता हे। इसके तेल से बना मरहम दाद,खुजली ओर पेर के फटने को दूर करता हे। कोड लिवर आयल के स्थान पर इसका प्रयोग[दूध में मिलाकर खाने] भी लाभकारी हड्डियों को मजबूती देने का काम करता हे। शिशु की नारियल तेल से मालिश शिशु को सुंदर, बालिष्ट, बनती हे। यह ऑलिव आयल से अधिक लाभकारी होता हे।
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