Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

दूध सम्पूर्ण आहार ही नहीं -एक सोंदर्य वर्धक भी है।

मनुष्य में आहार का प्रारम्भ दूध से ही होता है। बच्चे के जन्म लेते ही प्राक़ृर्तिक रूप से दूध ही स्वाभाविक आहार के रूप में प्राप्त दूध एक मात्र सम्पूर्ण आहार होता है।   हम सब भारतीयों को दूध और दूध से बनी चीजें हमेशा से ही प्रिय रही हैं। बच्चे के बड़े होने के साथ साथ दूध की मात्रा में वृद्धि होने से इस स्वाभाविक आहार की  कमी ही अन्य आहार से सामंजस्य करने हेतु प्रेरित करती है।   इस प्रकार जो भी आहार प्राप्त होता हे, शरीर उसी के साथ जीना बढ़्ना सीखने लगता है।    यदि सारे जीवन दूध की उपलब्धता रहे तो यह अकेला ही सम्पूर्ण रूप से पूर्ण आहार होगा। 
  इसी कारण मनुष्य का ध्यान दूध के लिए अन्य पशुओं की ओर गया। 
प्राचीन काल से ही इस आहार को पाने के लिए गाय, भेंस, बकरी आदि पशु पालन को प्राथमिक आवश्यकता समझा गया था। 
आदिकाल से ही मनुष्यों के लिए माँ के बाद गाय, भेंस, बकरी, भेड, को ही क्रम से प्राथमिकता दी गई थी। इन सभी प्रकार की प्राथमिकताओं को निश्चित करने हेतु प्राचीन भारत के  चरक, सुश्रुत, वाग्भट्ट, आदि प्राणाचार्यों ने इनके अतिरिक्त गधी, घोडा, ऊंट, आदि से लेकर हाथी शेर, आदि के दूध को भी परीक्षण में लेकर उसका विस्तार से वर्णन भी किया हे। वे सभी अंत में इसी निष्कर्ष पर पहुचे की माँ के पश्चात गाय का दूध ही मनुष्य को सम्पूर्ण ओर श्रेष्ठ आहार होता हे। इसका सम्पूर्ण विवरण चरक साहिता आदि ग्रंथो में पढ़ने मिल सकता हे।

गाय का दूध अभिष्यंदी* न होने से अधिक गुण कारी है देखें -
गो दुग्ध :-
गोक्षीरमनभिष्यंदी स्निग्धं गरुरसायनम् ।
रक्तपित्तहरं शीतं मधुरं रसपाकयो॥
जीवनीयं तथा वातपित्तध्नं परमं स्मृतम्।

अर्थात् गौ का दुग्ध अभिष्यंदी नहीं (रसबह नाड़ियां को नहीं रोकता) स्निग्ध है, भारी है, रसायन है, रक्त पित्त दूर करता है। शीतल ह रस व विपाक में मीठा है, जीवनदाता है। वायु व पित्त को शाँत करने वाला है।

आधुनिक विज्ञान के द्वारा प्रयोग शाला परीक्षणों से भी यही उपर्युक्त तथ्य प्रमाणित हुआ हे। अन्य दूध जेसे भेंस आदि के दूध के संगठन से फेट आदि कम करके ही उपयोग किया जाना मनुष्य के लिए उपयुक्त हे यह स्वीकार किया गया है।  Teagasc डेयरी उत्पाद अनुसंधान केंद्र Moorepark  Fermoy द्वारा शरीर में कोलेस्ट्रॉल सामग्री को निष्क्रिय करने में दूध की ​​उपयोगिता पर हाल के हुए शोध से सूचित किया गया है।  वर्तमान के वेज्ञानिक परीक्षणों के आधार पर राष्ट्रीय डेयरी परिषद के अनुसार, दूध में नौ आवश्यक पोषक तत्व होते हें जो की मनुष्य के स्वास्थ्य लाभ से ही जुड़े होते हें।  
  1. कैल्शियम:- इसकी सहायता से शरीर में स्वस्थ हड्डियों और दांतों का निर्माण होता हे। यह ही जीवन भर उन्हे मजबूत, ओर उपयोगी बनाए रखता हे, इसकी कमी से अस्थि-म्रदुता [ऑस्टियोपोरोसिस] ,या भंगुरता [टूटने  की प्रव्रत्ति] बनाती  है। हड्डी संरचना के समुचित विकास के लिए यह बहुत जरूरी है।  ऑस्टियोपोरोसिस के रूप में हड्डी विकारों को दूध की पर्याप्त मात्रा की दैनिक सेवन से रोका जा सकता है.  आयुर्वेद के अनुसार भी अस्थि धातु के लिए यह एक आवश्यक पदार्थ है। .कैल्शियम कैंसर रसायन, हड्डी हानि, गठिया रोग, माइग्रेन सिर दर्द, पूर्व मासिक धर्म सिंड्रोम, और अवांछित वसा नष्ट करने के लिए भी जरूरी है। 
  2. प्रोटीन:-आयुर्वेद के अनुसार मांस धातु के लिए प्रोटीन जरूरी होता हे, यह  ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करता है, शरीर पोषण/' मरम्मत / मांसपेशियों के ऊतकों का सतत निर्माण/ शरीर वृद्धि इसीसे होती हे। 
  3. पोटेशियम:-  एक स्वस्थ रक्त का दबाव बनाए रखने में मदद करता है, इससे रक्त धातु के द्वारा सम्पूर्ण शरीर को ऊर्जा मिलती रहती हे। इसकी कमी या अधिकता दोने रक्तचाप को दूषित कर देती हे।  दूध में यह पूर्ण आवश्यक मात्र में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। 
  4. फास्फोरस:-  हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है और ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होता हे। अस्थि के मध्य मज्जा धातु के साथ रसायनिक क्रियाओं के द्वारा रक्त कण बनाकर खून की कमी नहीं होने देता। 
  5. विटामिन डी  दूध में उपस्थित यह विटामिन सूर्य के प्रकाश द्वारा संश्लेषित होकर हड्डियों को बनाए रखने में मदद करता है। इसकी कमी से भी शरीर को खड़ा रखने वाला ढांचा [अस्थि तंत्र] कमजोर होकर गिर सकता है। 
  6. विटामिन बी 12:-  स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं और तंत्रिका ऊतक [टिशूज] में पुनर्जनन [निरंतर पेदा करने की प्रवृत्ति] बनाए रखता है। जो मनुष्य को दीर्घ जीवी बनाती है। 
  7. विटामिन ए: - शरीर की रक्षा के लिए "प्रतिरक्षा प्रणाली" को बनाए रखता है, यह सामान्य दृष्टि[आँख] और त्वचा को सक्षम बनाए रखने में मदद करता है। 
  8. राइबोफ्लेविन [Riboflavin (बी 2)] : - भोजन को ऊर्जा में परिवर्तन करने ओर ज्ञानेन्द्रियों को सक्षम बनाए रखता है। 
  9. Niacin:- शर्करा ओर फैटी एसिड  को चपापचय[ मेटाबोलिज़म] द्वारा शरीर के लिए उपयोगी बनाता है। 
 दूसरे शब्दों में, दूध प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट फेट्स, मिनरल, विटामीन्स, आदि समस्त संतुलित आहार में आवश्यक द्र्व्यो का सम्पूर्ण पोषक पदार्थ है।   यदि शरीर अन्य खाद्य रोटी सब्जी मांस मछ्ली आदि रेशदार पदार्थो सहित] द्वारा अनुकूलित नहीं हुआ है तो इस पर जीवन आसानी से जिया जा सकता हे। 
 
 आयु की परिपक्वता ओर रोगो से जीर्ण शीर्ण भोजन को पचा पाने की क्षमता नष्ट हो चुकी हो तो ऐसी परिस्थिति में शेष जीवन दूध पर निर्भर रह कर रहा जा सकता है। सभी को याद होगा की हमारे पूर्व प्रधान मंत्री स्व॰ मोरार जी भाई देसाई केवल दूध पर निर्वाह करते रहें हें।

 अन्य खाद्य पदार्थो के आदि या अनुकूलित हो चुके, हमारे शरीर को अनजाने हो रही संतुलित आहार की कमी को पूरा करने के लिए देनिक भोजन में दूध ओर दूध से बने सभी उत्पादो  दही Curd   छाछ, पनीर, मक्खन, घी, छाछ, आदि को निरंतर लेना ही होगा।
   
     गाय के घी के बारे में पाश्चात विद्वानो की राय है, की यह हानी कारक है, यह बात वस्तुत: गलत है। पश्चिम में ओर प्रयोशालाओं में फेट्स के बारे में जो निष्कर्ष निकाला है, वह बटर मिल्क, चर्बी, ओर एयर कंडीशंड पशुशालाओं में रखे गए अप्राक़ृतिक ओषधि/खाद्य/इंजेक्शनों की सहायता से पशुओं से प्राप्त दूध के फेट्स कंटेन्ट पर आधारित है। जबकि इसके विपरीत भारत में पशु प्राक़ृतिक वातवरण में रखे जाने की परंपरा है। इसी कारण चरक आदि प्राणाचार्यों ने गाय के देसी घी को रसायन कहा गया है। जो  को "ह्रद्ध्य" अर्थात ह्रदय को ठीक करने वाला कहा है। अर्जुन घृत ओर त्रिफला घृत का प्रयोग ह्रदय रोगियों में बड़े विश्वास के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा वर्षो से किया जा रहा है। वर्तमान में ह्रदय  रोग  BP आदि बढ़ने का कारण गाय की घी मक्खन नहीं, विविध खाद्य तेल, भेस का घी-दूध, ओर मांस मछ्ली आदि आहार ओर अपथ्याहारविहार ओर असंयंमित जीवन  होता है।
 यदि हमको एक सशक्त जाग्रत मेधावी मस्तिष्क चाहिए, शरीर में बल [क़ृष्ण- बलराम की तरह] चाहिए निरोगी दीर्घायु जीवन जीने की इच्छा हे, तो गाय के दूध से जीवन भर संबंध बनाए रखना होगा।    
     
स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए दूध के बड़े लाभ हें।  स्वस्थ हड्डी,  चिकनी त्वचा, मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों की रोकथाम, दंत क्षय, निर्जलीकरण, सांस की समस्याएं, मोटापा, ऑस्टियोपोरोसिस, आँखों की कमजोरी, कई प्रकार के कैंसर से बचाव , आदि दूध के देनिक सेवन से मिल ज़ाते हें।   पुरानी बीमारियों की रोकथाम में भी दूध मददगार होता है। 

दूध के पोषण का महत्व हमेशा से सारे विश्व ने सदियों माना हे। क़ृष्ण भगवान का संबंध गाय ओर माखन से सर्व विदित हे। वेदिक युग से आज तक पशु विशेषकर गाय पालन महत्वपूर्ण रहा हे। आश्रमों मे हजारों की संख्या में गाय होती थी ओर उनके ऊपर ही ऋषि ओर शिष्य परिवार सहित पलते बढ़ते थे।  ईसा मसीह को भेड़ बकरी पालन दूध आदि के लिए ही था। यह दूध आज भी सारी दुनिया भर के लोगों के आहार में किसी न किसी रूप में शामिल है। 

    कई पशु हमें इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पदार्थ दूध को प्रदान करते हैं, लेकिन गाय के दूध के समान  बच्चों और वयस्कों के लिए कोई नहीं। यह सबसे अच्छा पौष्टिक पूरक माना जाता है।  अन्य जानवरों भैंस, बकरी ,भेड़ , ऊंट, हिरन, और याक का दूध, यहाँ तक की घोड़े और गधे की दूध भी मनुष्य द्वारा सेवन किया जाता है, हालांकि यह सभी स्थानो पर दुर्लभ होता है। .
    शरीर पोषण में दूध की ​​कमी या अभाव  गंभीर एनीमिया, ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य संबंधित बीमारियों का कारण बन सकती है।  दूध का सेवन बहुत अच्छे स्वास्थ्य और सामान्य गतिविधियां बनाए रखने के लिए आवश्यक है।  यह सभी आयु समूहों के लिए कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत है।

अभिष्यंदी - रसबह नाड़ियां को अवरुद्ध (Blocked) करने वाला|
लसिका ग्रंथियां ओर वाहनियां Lymph nodes and Ducts – सारे शरीर में शरीर में छोटी बीन्स के आकार का ग्रंथियों होती हैं| ये शरीर का सार या रस को (lymph fluid- the nutrients) समस्त कोशिकाओं तक पहुंचाता और, मल भाग को (waste material) मल-मुत्रादी के रूप में निकालता है| यह लसिका व्यवस्था (lymph system) रोग प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) का एक महत्व पूर्ण अंग होता है| 
  •  देखें केसे प्रयोग करें सोंदर्य के लिए दूध   दूध से बने खूबसूरत।:                                                             केवल पीने या खाने में ही नहीं नहाने शरीर पर मालिशसे  भी चमत्कारी सोंदर्य व्रद्धि होती  है।               दूध का प्रयोग करके चेहरे को निखारा जा सकता है। कच्चे दूध को गुलाबजल में मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा पर निखार आता है। 
==============================================================
========================================================================
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे|
 प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

आज की बात (29) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "