फ्रूट्स केविषय में भी यही बात होगी। एक सामान्य नियम है की हम करेला या नीम सहित जो कुछ भी खाते हें वह ग्लूकोज में बदलता है, जो शरीर की गतिविधि को चलाने में कार में पेट्रोल की तरह काम करता है। यदि अधिक ग्लूकोज हो जाए तो ओवर फ़्लो होने से जैसे स्कूटर कार रुक जाती है वैसे ही शरीर की गतिविधियां भी प्रभावित होती हें। शक्ति के अभाव में अधिक कमजोरी या गतिविधि बंद हो जाती हें। अत: शरीर की आवश्यकता के अनुसार जितना ग्लूकोज शरीर उपयोग कर सकता है वही लेना ठीक होता है । इसलिए प्रत्येक रोगी के लिए फल, भोजन आदि का निर्धारण अलग अलग हो सकता है। अत: यदि किसी एक व्यक्ति को कोई वस्तु हानी नहीं करती तो जरूरी नहीं सभी को हानी न करे।
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