Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

कोलेष्ट्रोल या लिपोप्रोटीन जो शरीर को स्वस्थ्य निरोगी या रोगी बनाता है!

 कोलेष्ट्रोल या लिपोप्रोटीन जो शरीर को स्वस्थ्य निरोगी या रोगी बनाता है! 
कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा एक पदार्थ होता है, जो यकृत से उत्पन्न होता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग है, यह उनकी कार्य क्षमता और तरलता स्थापित करने में सहायक होता है। 
 कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त (पाचक रस) का निर्माण करता है, जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा या चर्बी को पचाने में मदद करता है।
 शरीर में कोलेस्ट्रॉल भोजन में मांसाहारी आहार के माध्यम से भी पहुंचता है, यानी अंडे, मांस, मछली और डेयरी उत्पाद इसके प्रमुख स्रोत हैं। अनाज, फल और सब्जियों में कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लगभग 25% उत्पादन यकृत के माध्यम से होता है।  कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से पार्किंसन रोग की आशंका बढ़ जाती है।
कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलनशील नहीं होता है। शरीर की कोशिकाओं तक एवं वहाँ से वापस लाने ले जाने का काम लिपोप्रोटींस द्वारा किया जाता है। 
     कोलेस्ट्रॉल मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
     एलडीएल- [लो डैन्सिटि (कम घनत्व)  लिपोप्रोटीन] कोलेस्ट्रॉल  को खराब कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है। 
      एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को सबसे ज्यादा नुकसानदायक माना जाता है। इसका उत्पादन लिवर में होता है, जहां से यह वसा को लिवर से शरीर के अन्य भागों मांसपेशियों के टिशूज, इंद्रियों या अंगों और हृदय तक पहुंचता है। शरीर में एल डी एल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 100 मिली ग्राम/डीएल से कम होना चाहिए, यह बहुत आवश्यक है , कोलेस्ट्रॉल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाने से यह रक्तनली की दीवारों पर यह जमना शुरू हो जाता है,  इससे थक्का (क्लॉट) जमकर संकरी हो चुकी धमनी (रक्त नलीयों) को बंद करने लगता है, रक्त की कम मात्रा पहुचने एंजाइना (या हृदयशुल) होता है। रक्त संचार में  रुकावट के परिणामस्वरूप हृदयाघात या स्ट्रोक हो सकता है। ह्रदय की धमनी के द्वरा ह्रदय को रक्त की मात्रा न मिलने से हार्टअटैक की संभावना बढ़ जाती है।  
      एचडीएल [हाई डैन्सिटि उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन] कोलेस्ट्रॉल को  अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है।
यह भी यकृत में ही बनाता है। यह  कोलेस्ट्रॉल और पित्त को ऊतकों और इंद्रियों से पुनष्चक्रित (रिसायकलिंग)  करने के बाद वापस लिवर में पहुंचाता है। एच डी एल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का अधिक होना एक अच्छा संकेत है, इससे ज्ञात होता है की रिसायकलिंग ठीक से हो रही है। क्योंकि इससे हृदय के स्वस्थ होने का पता चलता है। 
  शरीर में एच डी एल कोलेस्ट्रॉल का स्तर ६० मिली ग्राम/डीएल से अधिक नहीं होनी चाहिए। अच्छे कोलेस्ट्रॉल देने वाले भोजन में अलसी स्टार फूड  मछली का तेल, सोयाबीन उत्पाद, एवं हरी पत्तेदार सब्ज़ियां आती हें।  सप्ताह में पांच दिन, एवं प्रत्येक बार लगभग 30 मिनट के लिए व्यायाम (पैदल चलना, दौड़ना, सीढ़ी चढ़ना आदि) करें तो केवल दो महीनों में एचडीएल 5% बढ़ जाता है। 
 धूम्रपान बंद करने भर से एचडीएल 10% प्रतिशत से बढ़ सकता है। 
 वज़न कम करने से भी अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।  शरीर का वज़न प्रत्येक 2.500 kg कम करने पर शरीर में अच्छा कोलेस्ट्रॉल 1 मिली ग्राम/डेसि.लि. से बढ़ा सकते हैं।
वी एल डी एल - वेरी लो डैन्सिटि लिपोप्रोटीन (अत्यधिक निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल)  वी एल डी एल कोलेस्ट्रॉल, एल डी एल कोलेस्ट्रॉल से ज्यादा हानिकारक होता है। यह हृदय रोगों का कारण बनता है।
क्यों बढ़ जाते हें कोलेष्ट्रोल
सामान्य परिस्थितियों में यकृत कोलेस्ट्रॉल के निकलने (एक्सक्रीशन) और मिलने के बीच संतुलन बनाए रखता है, किन्तु यह संतुलन कई बार बिगड़ भी जाता है। इसका कारण प्रमुखता से अधिक मात्रा में घी तैल चर्बी युक्त भोजन खाना, शरीर के वजन की अति वृद्धि, खानपान में लापरवाही, नियमित व्यायाम का अभाव, के अतिरिक्त आनुवांशिक कारण भी है। 
  देखा गया है कि अगर किसी परिवार के लोगों में अधिक कोलेस्ट्रॉल की शिकायत होती है तो अगली पीढ़ी में भी इसकी मात्रा अधिक होने की आशंका रहती है। 

कैसे पता चलेगा की कोलेस्ट्रॉल के बढ़ रहा है?
शरीर में कोलेस्ट्रॉल को स्वयं देख नहीं सकते, इसका अनुभव स्वयं किया जा सकता है। आप पाएँ की -
पैदल चलने पर या सीढ़ियाँ चड़ने पर सांस फूलने लगी है 
ब्लड प्रेशर अधिक रहने लगा है। 
ब्लड शुगर सामान्य से अधिक रहती हो। शुगर की मात्रा अधिक रहने से उनका खून गाढ़ा होता है।

पैरों में दर्द लगातार रहने लगा हो। 
रक्त का परीक्षण "लिपिड प्रोफाइल" के द्वारा  कुल कोलेस्ट्राल, उच्च घनत्व कोलेस्ट्रॉल (हाई डेनसिटी लिक्विड कोलेस्ट्राल), निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल, अति निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल और ट्राय ग्लिसेराइड की जांच कराई जा सकती है।  ये जांच आप स्वयं भी किसी पेथालोजी लेब में जाकर रक्त का नमूना दे कर करावा सकते हें। नियमित रूप से यह जांच हर वर्ष करवानी चाहिये। यदि उच्च रक्तचाप की पारिवारिक इतिहास है तो पैतालीस साल की आयु के बाद इसे ओर भी जल्दी - जल्दी करवाते रहना चाहिए। 

कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बनाए रखना बढ़ा जरूरी है। 

 जब इसकी मात्रा अधिक हो जाती है तो हृदयाघात और दिलसे संबंधित अन्य रोगों की संभावना बढ़ जाती है। आम तौर पर पुरुषों के लिए 45 वर्ष और महिलाओं के लिए 55 वर्ष की आयु के बाद हृदय से जुड़े रोगों की संभावना अधिक होती है। इससे बचने के लिए अपने शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलित बनाए रखना चाहिए। 
  •  इसके लिए अपनी जीवन शैली में थोड़ा बदलाव करना होता है।
  •  यदि वजन अधिक है तो इसमें कमी लाने का प्रयास करना चाहिये। 
  •  भोजन में कम कोलेस्ट्रॉल मात्रा वाले व्यंजन चुनें। 
  • तैयार भोजन और फास्ट फूड से बचें। तली हुई चीजें, अधिक चॉकलेट मिठाईया आदि  न खाएं। 
  • भोजन में रेशायुक्त सामग्री को शामिल करें। यह कोलेस्ट्रॉल को संतुलित बनाए रखने में सहायक होते हैं। 
  • नियमित रूप से व्यायाम करने से, पैदल चलने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रहती है। 
  • योगासन भी सहायक होते हैं। कोलेस्ट्रॉल कम करने में प्राणायाम काफी सहायक सिद्ध हुआ है। 
  • धूम्रपान से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। 
  • कोलेस्ट्रॉल का चिकित्सकीय उपचार किया जा सकता है।  पर आरंभ से नियंत्रण करना ही इसका सबसे बढ़िया उपाय है। 
  • ऐलोपैथी ओर  होम्योपैथी में कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दवायेँ उपलब्ध हें।  ये सिर्फ नियंत्रण के लिए ही होती हें, जबकि 
  • आयुर्वैदिक दवाओं में आरोग्यवर्धिनी, पुनर्नवा मंडूर, त्रिफला, चन्द्रप्रभा वटी और अर्जुन की छाल के चूर्ण का काढ़ा बहुत लाभकारी होता है। 
  • लहसुन का कोलेष्ट्रोल को नियंत्रित करने में  में कोई जबाव नहीं।
  • हरी और काली चाय कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाने में कारगर है। 
  • मछली का तेल भी बुरे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में बहुत सहायक होता है। 


समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें

|
आज की बात (29) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "