Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

एक सामान्य व्यक्ति क्या करे जिससे वह ह्रदय रोग से बच सके?

Q - एक सामान्य व्यक्ति क्या करे जिससे वह ह्रदय रोग से बच सके?
A- इन पाँच बातों का ख्याल रखे तो वह ह्रदय रोग से बचा रहेगा।
1-आहार 2-व्यायाम, 3-  धूम्रपान न करें।4-वजन पर नियंत्रण रखें।
5 - ब्लड प्रेशर (बीपी) और शुगर नियंत्रण। 
  1. आहार - कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करें। प्रोटीन की अधिकता हो, कम तैल का प्रयोग। 
         कार्बोहाइड्रेट्स शरीर में उर्जा प्रदान करते हैं,
जैसे कि मण्ड, शर्करा, ग्लूकोज़, ग्लाइकोजेन।  कार्बोहाइड्रेट्स स्वाद में मीठे होते हैं। यह शरीर मे तत्काल शक्ति उत्पन्न करने का भी प्रमुख स्रोत है। शरीर को शक्ति और गर्मी प्रदान करने के लिए शरीर के अंदर की चर्बी की भांति यह कार्य करता है। कार्बोहाइड्रेट्स चर्बी की अपेक्षा शरीर मे जल्दी पच जाते है। शरीर को कार्बोहाइड्रेट्स दो प्रकार से प्राप्त होते है, पहला माड़ी अर्थात स्टार्च तथा दूसरा चीनी अर्थात शुगर। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, आदि मोटे अनाज तथा चावल और दाल तथा जड़ो वाली सब्जियो (जेसे आलु) मे पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट्स को माड़ी कहा जाता है। केला, अमरूद, गन्ना, चुकंदर, खजूर, छुआरा, मुनक्का, अंजीर, शक्कर, शहद, मीठी सब्जिया, सभी मीठी खाद्य से प्राप्त होने वाले कार्बोहाइड्रेट्स अत्यधिक शक्तिशाली और स्वास्थ्य के लिय लाभदायक होते है।  परन्तु इनकी अधिकता अनेक खतरनाक जानलेवा रोगो को भी जन्म देती है, जिसमे प्रमुख रूप से अजीर्ण, मधुमेह, अतिसार रोग होते है। इसमे अत्यधिक वजन बढ जाने से भी ह्रदय रोग होकर जीवन को खतरा उत्पन्न हो जाता है। 
       प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के जलने (पाचन) से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है।  प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है, जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। 
       शाकाहारी स्रोतों में चना, मटर, मूंग, मसूर, उड़द, सोयाबीन, राजमा, लोभिया, गेहूँ, मक्का प्रमुख हैं। मांस, मछली, अंडा, दूध एवं यकृत प्रोटीन के अच्छे मांसाहारी स्रोत हैं। पौधों से मिलनेवाले खाद्य पदार्थों में सोयाबीन में सबसे अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमें ४० प्रतिशत से अधिक प्रोटीन होता है। 
          सोलह से अट्ठारह वर्ष के आयु वर्गवाले लड़के, --जिनका वजन 57 किलोग्राम है, उनके लिए प्रतिदिन 78 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। 
            इस आयु वर्ग वाली लड़कियों के लिए- जिनका वजन 50 किलोग्राम है, उनके लिए प्रतिदिन 63 ग्राम प्रोटीन का सेवन जरूरी है। 
          गर्भवती महिलाओं के लिए 63 ग्राम, जबकि स्तनपान करानेवाली महिलाओं के लिए (छह माह तक) प्रतिदिन 75  ग्राम प्रोटीन का सेवन आवश्यक है।
     
       ह्रदय रोग में  खाने के तेल का बहुत बड़ा हाथ होता है। तेल में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग का मूल कारण होता है। इस कारण खाद्य तेल के बारे में भी जानना जरूरी है।
         अलग-अलग तरह के तेल को गरम करने का तापमान भी अलग-अलग होता है, जिसे स्मोकिंग पॉइंट कहते हैं। जो तेल ज्यादा तापमान पर गर्म होने के बाद धुआँ देते हैं, वे तलने के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं, जैसे मूँगफली, सोयाबीन, जवास, सरसों व सूर्यमुखी का तेल।
         परीक्षणों से पता चला है कि खाने के तेल में पाए जाने वाले विटामिन ई की ज्यादा मात्रा तलते समय नष्ट हो जाती है। 
         कड़ाही में शेष रहे तेल को चार बार से ज्यादा उपयोग में न लाएँ। यह खराब कोलेष्ट्रोल शरीर में पहुंचा कर ह्रदय रोग उत्पन्न करता है।
       एक बार प्रयोग कर चुके तेल को दोबारा उपयोग में लाने के पहिले उसका नीचे बैठा हुआ कचरा साफ कर लें।
      सूरजमुखी व जैतून के तेल का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
      खाने का तेल सूरज की रोशनी से दूर अलमारी में रखना चाहिए।
      खाने का तेल खरीदते समय इस बात कर ध्यान रखें कि किस तेल में चिकनाई व चर्बी की मात्रा कितनी हो सकती है।
      खाने के प्रयोग में लाने वाले तेल में 8 से 10 प्रतिशत सैचुरेटेड फैट्स हो, इससे ज्यादा नहीं, क्योंकि ये खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ाते हैं।

2 . व्यायाम -पैदल चलना - सबसे अच्छा व्यायाम है।  रोज आधे घंटे की पैदल चलें (एक सप्ताह में कम से कम पांच दिन) लिफ्टों के प्रयोग,ओर अधिक बेठने से बचें।
3 . धूम्रपान न करें। इससे फेफड़ों की ओक्सीजन लेते रहने की क्षमता कम होती है, ओर धमनियों में खराब कोलेष्ट्रोल जमा होने की गति बढ़ जाती है।  
4 . वजन पर नियंत्रण रखें।
5 .  ब्लड प्रेशर (बीपी) और शुगर नियंत्रण रखें, डाईविटीज का रोगी ह्रदय रोगी बन जाया करता है।

========================================================================
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "