हमफिल्मी सितारों की तरह आकर्षक शरीर कैसे पाये।
सब जानते हें, कि शुद्ध रक्त ही स्वास्थ्य, सुगठित सुंदर शरीर ओर शक्ति का प्रधान आधार होता है। शरीर में जितना अधिक रक्त बनता है, शरीर उतना ही स्वस्थ्य ओर सबल रहता है। अच्छे भोजन से अच्छा रक्त तो बनाता है, पर शरीर में रक्त के संचारित होकर शक्ति प्रदान करने के दोरान मृत सेल्स,ओर कई अशुद्धियाँ इसमें शामिल हो जाती हें। इसे बाहर निकाल फेकना भी जरूरी होता है। व्यायाम भी शरीर की गंदगी बाहर निकालने का एक तरीका है, शरीर की सक्रियता प्राणी के पेदा होते ही प्रकर्ति से मिल जाती है। बच्चे का रोना। हिलना, फिर हाथ पैर चलाने से लेकर उम्र भर बढ़ती शारीरिक सक्रियता एक प्रकार का व्यायाम ही होता है।
परंतु वर्तमान
दिन चर्या व्यवस्था में दूषित अप्राकृतिक ओर मिलावटी भोजन /हवा /पानी ओर विलासी जीवन जिसे हमने स्वयं ही स्वीकारा है, ओर उसके अनुरूप व्यायाम या शारीरिक परिश्रम करना भी आलस के कारण बंद कर दिया है। परिणाम हो रहा है, कि शरीर गंदगी से भरता जाता है ओर पता भी तब चलता है जब रोग आक्रमण कर देते हें।
शरीर में भरी यही गंदगी या मल, चेहरे/ बाल/शरीर के रंग/त्वचा की चमक ओर ग्लेमर / ओर शारीरिक शक्ति को प्रभावित करती है।
एक्ने युक्त बेनूर चेहरा या
मुहांसों से भरा चेहरा, बेरंग त्वचा ओर
सफ़ेद होते बाल, लड़खड़ाती हुई चाल, थोड़े से परिश्रम से बेहाल शरीर, ही जैसे भाग्य बन जाता है, ओर क्रीम, पावडर, खिजाब, ओर फेशनेबल कपढ़ों के माया जाल में में उलझा इंसान के लिए सुंदर आकर्षक व्यक्तित्व सपना ही बन रहता है।
शरीर के वे सभी स्थान जहां से कोई भी चीज अंदर जाती है, वह अपना काम करके बचा हुआ हिस्सा मल की तरह निकाल देती है। भोजन पानी आदि जेसी चीजों के बारे में तो सभी को पता है, पर श्वास के द्वारा अंदर जाने वाली वायु जो ऑक्सीज़न देती है ओर कार्बन डाई ऑक्साइड छोडती है, यह बात भी सभी को ज्ञात है। पर इसके अतिरिक्त हवा का कुछ मल ओर भी होता है जैसे वायु प्रदूषण के कारण हवा में उपस्थित रसायन/वाष्पी कृत तैल आदि चिकनाहट जो हमारे फेफड़ों में जमा हो जाते हें, ओर अधिकांश भाग वहीं हमेशा रहकर बढ़ता जाता है, ओर फिर एक दिन कई रोगों का कारण बन जाता है।
नियमित सफाई के द्वारा यदि इस मल को निकाल दिया जाता रहे, तो फिल्मी सितारों की तरह सोन्दर्य प्राप्त किया जा सकता है। इसको निकालना का तरीका कार्य अधिकांश लोग नहीं जानते, कि कैसे इसको निकाला जाए।
फेफड़ों ओर अंदरूनी स्थानो का जमा मल निकालने का एक ही रास्ता, भी वही होता है, जहां से वह अंदर आया था। सामान्य तरीके से तो वह बाहर नहीं निकला जा सकता, उसे निकालने के लिए भी प्रयत्न करना होगा। इसको निकालने के लिए ही व्यायाम/
प्राणायाम/योग आदि ही तरीके होते हें।
व्यायाम करने से श्वास-प्रश्वास की गति बढ़ जाती है, रक्त संचार तेज गति से होने लगता है, शरीर पसीना बहाने लगता है, ओर इससे सक्रिय हो जाती है समस्त मल निकालने की प्रक्रिया। ओर जिस प्रकार फोर्स से बंद पाईप लाइने खुल जाती हें, उसी प्रकार फेफड़े ओर रक्त की नालियाँ भी खुल जाती हें, ओर सारी गंदगी बाहर फेक दी जाती है।
हम स्वयं अनुभव करते हें की शरीर के जिस अंग से विशेष काम लिया जाता है वह अधिक सक्रिय ओर सशक्त होता है। काम न लिया जाए तो वह हिस्सा कमजोर ओर बेकार होने लगता है। यह गति इतनी कम होती है, कि पता भी नही चलती। फिर कभी जब उस शरीर के भाग को अधिक प्रयोग में लाना पढ़ता है तब ज्ञात होता है। कभी अधिक चलना या श्रम करना पढे तो सांस भरने लगती है थोड़े में ही शरीर बेहाल थककर लस्त-पस्त हो जाता है। एसा सिर्फ इसलिए हुआ कि हमने शरीर की क्षमता को बहुत कम कर लिया है। ओर शरीर के अंदरूनी हिस्सों में मल जमा हो गया है।
हमारा देश एक ओसतन गर्म देश है, वर्ष में आठ से दस माह गर्मी पढ़ती है।
यह गर्मी शरीर विशेषकर स्नायु मण्डल को कमजोर करती है, स्नायुओं के कमजोर होने से स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, स्नायु दोर्बल्य, आदि रोग पैदा होने लगते हें। पाचन शक्ति भी कमजोर पढ़ने लगती है, इससे कब्ज, एसीडिटी, या पतले दस्त आदि रोग होने लगते हें, जो बढ़कर ब्लडप्रेशर/ ह्रदयरोग जैसे कई रोगों को होकर मौत का कारण बन जाया करते हें।
इसका एक मात्र रास्ता है नियमित व्यायाम जो हर व्यक्ति को उतना ही जरूरी है, जितना जीवित रहना, विशेष कर उन लोगों को जो दो चार सो कदम ही रोज पैदल चलते हें। ऑफिस की कुर्सी ओर घर के सोफ़े, ओर आने-जाने के लिए कार/बस/स्कूटर की सुविधा से भरी जिंदगी।
व्यायाम का सुंदरता से भी बढ़ा संबंध है। फिल्मी सितारों की तरह सुंदर/आकर्षक दिखना सभी चाहते हें! पर उनकी तरह प्रतिदिन न तो व्यायाम करना चाहते हें न उनके जैसा खानपान रखना चाहते हें।
सुंदर शरीर की चाहत रखने वाले, क्रीम पावडर आदि को भूलकर नियमित व्यायाम, ओर संतुलित आहार से नाता जोढें तो न केवल निरोगी जीवन जी पाएंगे वरन सुदर शरीर के स्वामी भी बन जाएंगे।
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