यह प्रश्न किसी एक के अतिरिक्त अन्य का भी हो सकता है। क्योकि यह समस्या आजकल के जीवन व्यवहार के दुष्परिणामों के कारण आम हो रहे है। इसीलिए इस समस्या के लिए सभी के लिए जानना आवश्यक है।
सामान्य [Normal] रूप से यूरिक एसिड का स्तर रक्त में पुरुष में7mg/dL , एवं स्त्रियॉं में 6mg/dL होता है। इससे अधिक होने पर यह हायपर यूरेमिया [Hyperuricemia] कहलाता है। यह खाद्य पदार्थों के प्यूरीन के टूटने से बनता है। सामिष-आहार करने वालों में यह अधिक बनाता है। यह बना यूरिक एसिड रक्त प्रवाह के माध्यम से गुर्दे की ओर ले जाया जाता है, इसका विसर्जन मूत्र के द्वारा हो जाता है।
उच्च यूरिक एसिड के कारण
रक्त में यूरिक एसिड का बढ़ना यह मूत्र द्वारा यूरिक एसिड
न निकल पाने के कारण होता है। यूरिक एसिड के रक्त में बढ्ने के सामान्य कारणों में, चिकित्सा में दवाओं का प्रयोग, आनुवंशिक समस्या [genetic predisposition], और लिए जा रहा आहार [ कैफीन और शराब का अधिक सेवन, प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे- मांस और मांस उत्पादों, समुद्री भोजन, शेल मछली, और फली वाली सब्जियाँ) होता है।
मूत्रवर्धक दवाये, नियासिन, विटामिन बी 3, प्रतिरक्षा कम करने वाली दवाओं [immunosuppressive], का अधिक प्रयोग से भी उरिक एसिड बढ़ जाता है।
कुछ रोग जैसे थायराइड हारमोन का कम बनाना (
हाइपोथायरायडिज्म), ल्यूकेमिया, सोरायसिस, मोटापा जैसे रोग भी यूरिक एसिड बढ्ने के कारण होते हें।
यूरिक एसिड का स्तर बढ्ने का सामान्यत: पता नहीं चल पाता है। पर यह यह व्रद्धि लोगों में, गठिया (जोड़ों की सूजन) और गुर्दे की पथरी और गुर्दे काम न करने [kidney failure] जैसी गुर्दे की बीमारियों को जन्म दे सकती है। .
गठिया [Gout ]- यह जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल के जमा हो जाने से, प्रतिरक्षात्मक [immunologic] प्रतिक्रिया की वजह से हो जाता है। गठिया रोग में जोड़ों में सूजन, उष्णता तनाव सहित, अत्यधिक दर्द, ज्वर [ बुखार की होता है। 10mg/dL से अधिक यूरिक एसिड का स्तर होने पर गाउट होने का खतरा बढ़ जाता है।
गुर्दे की पथरी उच्च यूरिक एसिड के कारण पीड़ित लोगों में पथरी बढ्ने लगती है। जब तक पता चलता है, पथरी के कारण अचानक और तीव्र पेट में दर्द, कमर में दर्द की तेज लहर , अधिक अक्सर मूत्र में रक्त(खून) आना, मतली और उल्टी, ज्वर(बुखार) जैसे लक्षण मिलने लगते हें। यूरिक एसिड पथरी आमतौर पर गठिया के रोगियों में पाई जाती हैं।
गुर्दे का फेल होना- यूरिक एसिड के उच्च स्तर होने पर, यदि कम मूत्र आना (decreased urination), सांस लेने में कष्ट (shortness of breath), भ्रम (confusion) उनींदापन (drowsiness), थकान (fatigue), या सीने में दर्द(chest pain), हाथ पैरों में सूजन, आदि लक्षण मिलें तो इसे गुर्दे के फेल होने का लक्षण समझ लेना चाहिए।
हाल के शोध से ज्ञात हुआ है की यूरिक एसिड का स्तर बढ्ने से,
उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या करें यदि रक्त में यूरिक एसिड बढ़ रहा हो?
- इसके कारणो को खोजें।
- अपने चिकित्सक से परामर्श करें, ताकि यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित किया जा सकें।
- आहार (पथ्य--अपथ्य) में परिवर्तन करें। एसे आहार जिनसे यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता हो जिनमें प्युरिंस (purines) अधिक हो। आपको मांसाहारी खाद्य,शराब, प्रोटीन और तले हुए खाद्य पदार्थ और सफेद चीनी से बचना चाहिए।
- उत्सर्जन में वृद्धि-मूत्र बढ्ने वाली ओषधि, खाध्य (जैसे मुली आदि,) का सेवन करें।
- आयुर्वेदिक ओषधियाँ-रक्त में यूरिक एसिड की अधिकता ओर गठिया की चिकित्सा - गुर्दे यदि फेल नहीं हुए हों,तो रोगी को निम्न ओषधियाँ किसी योग्य चिकित्सक की देख रेख में दें।
- आमवात प्रमथनी वटी + आंमवातारी वटी+महयोगराज गूगल की, 2-2 गोली दिन में दो से तीन बार। महारास्नादी क्वाथ-प्रति दिन दो बार क्वाथ बना कर(उबाल कर एक चोथाई शेष रहे तो छान कर) लें। (नोट- आजकल बाज़ार में तैयार बोतल बंद, क्वाथ मिलते हें उनका सेवन हानिकर होगा क्योकि उसमें प्रिजर्वेशन के लिए अल्कोहल आदि मिलाया जाता है)
- जोढ़ों पर हल्के हाथ से विषगर्भ तैल लगाए। किसी प्रकार की मालिश न करें, सूजन बढ़ सकती है। सभी ओषधिया आयुर्वेदिक ओषधि विक्रेताओं के यहाँ मिल जाएंगी।
- निर्गुंडी के पत्ते पानी में उबाल कर इस गरम पानी में कपढ़ा भिगो कर जोढ़ों पर रखें, इससे आराम मिलेगा। निर्गुंडी के पत्ते(चित्र देखें) का रस पीने से भी लाभ होता है।
- लगातार चिकित्सक से परामर्श करते रहें।
- चिकित्सा अवधि तीन से पाँच माह ।
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