Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

बढ़ती आयु ओर खान-पान और स्वस्थ्य रहने के उपाय.

बढ़ती आयु और खान-पान...  
स्वस्थ जीवन शेली के साथ स्वस्थ आहार कार्यक्रम भी वृद्धावस्था की तकलीफ़ों से बचाता है।
हो सकता है की आपके वुजुर्ग माता-पिता या दादा-दादी इस जानकारी को यहाँ पढ़ न पाए पर आप उन्हें इसका पिंट देकर लाभ पंहुचा सकते हें| 
आयु जैसे जैसे बढती जाती है, वैसे वैसे शारीरक क्षमताएं कम होती जाती हें|  इनमें पाचन क्षमता भी शामिल है| पाचक रस, जिनमे इन्सुलिन, एन्जयम्स पेप्सिनोजिन, ट्राईपेप्सिनोजिन प्रोकार्बोपेप्तिडेज, आदि आदि 
इस अवस्था में एक स्वस्थ जीवन शेली के साथ स्वस्थ आहार कार्यक्रम ही वृद्धावस्था की तकलीफ़ों से बचाती है।
इस अवस्था में घी, तैल से बनी चीजें जैसे पूड़ी, पराँठे, छोले भठूरे, समोसे, कचौड़ी, जंक फ़ूड, चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन सेहत के लिए घातक है, इनका अधिक मात्रा में नियमित सेवन ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल, मधुमेह, मोटापा एवं हार्ट डिजीज का कारण बनता है, तथा पेट में गैस, अल्सर, ऐसीडिटी, बार बार दस्त लगना, लीवर ख़राब होना जैसी तकलीफें होने लगती हैं, इनकी बजाय खाने में हरी सब्जियां, मौसमी फल, दूध, दही, छाछ, अंकुरित अनाज और सलाद को शामिल करना चाहिए जो की विटामिन, खनिज लवण, फाइबर, एव जीवनीय तत्वों से भरपूर होते हैं और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैंl
चीनी एवं नमक का अधिक मात्रा में सेवन ना करें, ये डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोगों का कारण हैं l
बादाम, किशमिश, अंजीर, अखरोट आदि मेवा सेहत के लिए बहुत लाभकारी होते हैं इनका सेवन अवश्य करें।
पानी एवं अन्य लिक्विड जैसे फलों का ताजा जूस, दूध, दही, छाछ, नींबू पानी, नारियल पानी का खूब सेवन करें, इनसे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाती, शरीर की त्वचा एवं चेहरे पर चमक आती है, तथा शरीर की गंदगी पसीने और पेशाब के दवारा बाहर निकल जाती है l
      खान-पान में संयम बढ़ती आयु की एक और खास आवश्यकता है। अपने वजन पर खास ध्यान दें। घीतेलचिकनाईयुक्त और मीठे भोज्य पदार्थों से यथासंभव बचेंनमक भी सीमित मात्रा में लेंकच्चा नमक न खाएं तो भी हर्ज नहीं। भोजन में पर्याप्त मात्रा में हरी सब्जियांसलाद व अन्य रेशेदार पदार्थ लें।

·         अंकुरित मूंगचने व फलों का रस नाश्ते में शामिल करें। कई लोग इस उम्र में अपने मन से ही विटामिन्स व एंटी-ऑक्सीडेंट्स की गोलियां लेने लगते हैं। इससे सिर्फ इन महंगी दवाओं को बनाने वाली कंपनियों को ही लाभ होता है व्यक्ति को नहीं। एक संतुलित आहार से इन सभी की पूर्ति प्राकृतिक रूप से हो जाती है।

Ø  नींद पूरी न हो पाने से तनाव के कारण होने वाला सिर दर्द समय पर(रात्री में) एक अच्छी नींद निकालने पर ठीक हो जाता है। अधिक नींद निकालना भी सिरदर्द पैदा कर सकता है। 
Ø  यदि बिना किसी रोग के सारा शरीर टूट रहा हो तो सिर ओर शरीर पर तेल की मालिश करेंऔर नहा लें कोई संतुलित आहार जेसा नाश्ता कर लें। आराम हो जाएगा।
Ø  सिर दर्दबदन दर्द या जोड़ों की तकलीफ आदि किसी भी शरीर के दर्द से परेशान व्यक्ति जिसे अक्सर पेन किलर या कोई दर्द निवारक ओषधि जिनमें कुछ आयुर्वेदिक आदि भी शामिल हें खाते रहने की आदत हो गई हैओर इसके लिए वह किसी चिकित्सक की राय लेना भी आवश्यक नहीं समझता तो वह गुर्दों की जांच कराता रहे। अन्यथा एक दिन उसे पता चलेगा की खतरा जीवन को है
·         पैदल सैर करें - जीवन में नियमित व्यायामों को स्थान दें: सुबह-शाम किलोमीटर की पैदल सैर करें या तैरने जाएं और साथ ही तनाव को भी कम करें। इसके लिए योग व ध्यान एक अच्छा साधन है।
·         उम्र बढ़ने से कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। कई शारीरिक समस्याएं  इतनी  तेजी से और चुपचाप हमला करती हैं कि मनुष्य को संभलने  का मौका ही नहीं मिलता। कुछ अंदर ही अंदर शरीर को खोखला करती रहती हैं और उनका असर देर से सामने आता है। बीमारी के आने से पहले ही सतर्कता रखने में ही समझदारी है। हर साल पूरे शरीर की भी  जांचें और परीक्षण करा लें। खानपान की आदतें बदलें और अनुशासन  तथा संयम के रहना सीखें। खुद की फिटनेस के प्रति स्वार्थी हो जाएं।
·         जीवनशैली में परिवर्तन - अपनी उम्र व क्षमता के हिसाब से अपने रहन-सहनखान-पान व दिनचर्या को ढालेंयह सबसे जरूरी है। जीवनशैली का स्ट्रेस या दबावतनाव व सीडेन्ट्री लाइफ स्टाइल यानी शारीरिक श्रम रहित जीवनशैली से गहरा संबंध है। इन दोनों कारणों से आप भविष्य में उच्च रक्तचाप (ब्लॅडप्रेशर)हृदय रोगमधुमेह (डायबिटीज)डिप्रेशन (अवसाद)पोश्चर व जोड़ों की समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं।
प्रात 5 से 6 बजे
उषा पान कम से कम दो गिलास पानी पिये।
प्रात: 7 बजे
औषधि चाय, प्रज्ञापेय, फल का रस या दूध, छाछ, आदि अपनी प्रक्रति एवं रोगनुसार लें।
प्रात: 9 बजे -
नाश्ता- अंकुरित अनाज, ऋतु अनुसार मोसमी फल, दलीया, उपमा, खमण, सत्तू, लापसी, आदि 
11 से 12 बजे
भोजन - चपाती (मोटे आटे की) दाल, चावल, दलिया, हरी सब्जी, सलाद (प्याज,टमाटर,ककड़ी, मुली, नीबू आदि)  दही या छाछ,आदि ।     
दोप 3 से 4  बजे
फल- पपीता, केला, सेव, अमरूद, आदि एवं मोसमी फल, 500 ग्राम न्यूनतम, परमल, खँखारा, चने(भुने) , फलों का रस,
7 बजे साय
रात्री भोजन- फल,  दूध, दाल-दलिया+ हरी सब्जी, चपाती,
रात्री 9 से 10
गरम दूध मलाई रहित,
उपरोक्त तालिका के अनुसार सामान्य व्यक्ति (निरोगी) दिन भर में 10-15 ग्राम शक्कर, 5 ग्राम नमक, 15- 25 ग्राम देसी घी-तैल, आदि का प्रयोग करें तो लाभदायक रहता हें। माह में एक दो बार सामान्य से हटकर खीर पूरी पकवान कम मात्र में हानी कारक नहीं होता।  डाईविटीज के रोगी को चिकित्सक के अनुसार मात्रा में उपरोतानुसार समय पर ही भोजन व्यवस्था करना चाहिए। बाज़ार की बनी हुई कचोरी समोसा आदि का सेवन न करें क्योंकि व्यापारियों द्वारा एक ही तैल घी को चाहे वह कितना भी जल जाए, का प्रयोग किया जाता रहता हे इससे खराब कोलेष्ट्रोल  आदिक बनाता हे और रक्तचाप- हृदय के रोगों को आमंत्रित करता है ।  
अलसी का चूर्ण (2 से 5 ग्राम तक) अच्छे कोलेष्ट्रोल को बडाता है, इससे धमनियों में बाधा नहीं होती। डाईविटीज के रोगी इस चूर्ण में सेकी हुई मेथी को मिलकर कर सकते हें। किसी विशेष रोग के रोगी चिकित्सक से परामर्श कर अन्य चीजों को प्रयोग कर सकते हें।


लाभदायक द्रव्य एवं ओषधि ।

कष्ट
फल, एकोषधि
सामान्य ओषधियां जो हानी नहीं पहुंचाती।   
कब्ज में
अमरूद, पपीता, आवंला, हरड़, गाय का घी, मुली, पालक, लोकी,
अभयारिष्ट, त्रिफला घृत, पञ्च सकार चूर्ण,   अविपत्तिकर चूर्ण, 
अम्लपित्त,   जलन, खट्टी डकार 
इलायची, लोंग, नीबू, फलाहार, भूखा न रहना, अधिक या गरिष्ठ भोजन त्याग,   
अविपत्तिकर चूर्ण,
पेट में दर्द
अदरक, सोंठ, पोदीना, लहसुन, हिंग,
हिंग्वाष्टक चूर्ण,
वमन/ उल्टी जी मचलाना
इलायची (छिलका सहित),
मयूर पुच्छ भस्म (मोर पंख चंद्रिका लोहे तवे पर जलाकर बनी भस्म,  अमृत धारा (पीपरेंट+ कपूर+ अजवायन का सत)
पेचिश,दस्त,
कच्चा बिल्व फल चूर्ण, कुटज चूर्ण, आम की गुठली का चूर्ण, दही, छाछ, केला, साबुदाना,   
हिंग्वाष्टक चूर्ण, कुटजा रिष्ट, वत्सकादी घन वटी, लघु  गंगाधर चूर्ण,   
सर्दी जुकाम
तुलसी, सोंठ, पीपल, कालीमिर्च का चूर्ण या काढ़ा( इन सभी को मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हें, शहद,   
अमृतारिष्ट, सुदर्शन चूर्ण,
मूत्र में जलन
नारियल पानी, लोकी का रस, अनार रस, मुली का रस, तरबूज, ककड़ी, 
क्षार पर्पटी(पानी के साथ), गोक्षुरादी गुग्गलु,
खांसी
तुलसी, पान का रस, शहद, 
खदिरादी वटी, लवंगादि वटी, कंट्कार्यादी अवलेह,
·     
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| आपको कोई जानकारी पसंद आती है, ऑर आप उसे अपने मित्रो को शेयर करना/ बताना चाहते है, तो आप फेस-बुक/ ट्विटर/ई मेल/ जिनके आइकान नीचे बने हें को क्लिक कर शेयर कर दें। इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।
आज की बात (29) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "