Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

वृद्धावस्था के रोग


·       वृद्धावस्था के रोग
क्या आप अपने स्वास्थ्य के बारे में ख्याल रखना चाहेंगे और यह केवल आपके ही लिए नहीं  उनके लिए भी जो आपको प्यार करते हें, आपकी परवाह रखते हें। अपने स्वस्थ का ख्याल रख कर आप अपनों को आपकी बीमारी से होने वाले कष्टों से भी बचा सकेंगे। इसे कष्ट जो संभवतय आप देख या भोग चुके हों।  
प्रमुखता से अल्जाइमर या भूल जाने का रोग, तनाव अनिद्रा जेसी  मानसिक बीमारियां,  गठिया और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, रक्तचाप या  ब्लड प्रेशर,  दिल की बीमारियाँस्ट्रोक, लकवा,  कैंसर, डाईविटीज या  मधुमेह,  गुर्दा रोग, मोटापा,  प्रोस्टेट बढ़ना,  ऑस्टियोपोरोसिस (कमजोर हड्डियों),  क्षय रोग या  टीबी , आंखें रोग  , त्वचा की देखभाल,  बुढ़ापे में गिरजाने पर चोट आदि देखे जाते हें।

संभव है की आप आज स्वस्थ दिख रहें हों, पर इसी समय नियमित जांच से पूर्व जानकारी होने पर कष्ट से बचा जा सकता है ।

कुछ जांच जैसे रक्तचाप जाँच, उच्च रक्त शर्करा और उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच करवाते रहने पर प्रारंभिक अवस्था में ही रोगों को रोका जा सकता है। अगर कोलेस्ट्रॉल स्तर सामान्य है तो भी प्रतिवर्ष जांचा जाना चाहिए। इस आयु में पेट में सूजन, दंत परीक्षा और सफाई के लिए हर साल दंत चिकित्सक के पास जान चाहिए, आँख परीक्षा भी दृष्टि समस्याओं या मोतियाबिंद के लिए हर 2 साल में विशेष कर यदि डाईविटीज है तो आँख की जांच करना चाहिए।
आधुनिक जीवन शैली की तेज रफ्तार एवं भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का विषय बहुत पीछे रह गया है और नतीजा यह निकला की आज हम युवावस्था में ही ब्लड प्रेशरडायबिटीजह्रदय रोग, कोलेस्ट्रोलमोटापा, गठिया, थायरॉइड जैसे रोगों से पीड़ित होने लगे हैं जो कि पहले प्रोढ़ावस्था एवं व्रद्धावस्था में होते थे और इसकी सबसे बड़ी वजह है, खान पान और रहन सहन की गलत आदतें। इसलिए भोजन संतुलित होना चाहिए।  
तनाव या टेंशन न रखें-  रोज मर्रा की जिंदगी में आने वाली समस्यों के लिए चिंतन करना सही है चिंता करना नहीं, चिता तो फिर भी मरने के बाद शरीर को जलाती है, किन्तु लगातार अनावश्यक चिंता जीते जी शरीर को जला देती है, इसलिए तनाव होने पर भाई, बंधू एवं विश्वास पात्र मित्रों से सलाह करें यदि समस्या फिर भी ना सुलझे तो विशेषज्ञ से राय लेंl
समाज के विभिन्न कार्यक्रमों में सतत भाग लेते रहने से, और व्यस्तता से किसी भी प्रकार का तनाव दूर किया जा सकता है
Ø  नींद पूरी न हो पाने से तनाव के कारण होने वाला सिर दर्द समय पर(रात्री में) एक अच्छी नींद निकालने पर ठीक हो जाता है। अधिक नींद निकालना भी सिरदर्द पैदा कर सकता है। 
Ø  यदि बिना किसी रोग के सारा शरीर टूट रहा हो तो सिर ओर शरीर पर तेल की मालिश करेंऔर नहा लें कोई संतुलित आहार जेसा नाश्ता कर लें। आराम हो जाएगा।
Ø  सिर दर्दबदन दर्द या जोड़ों की तकलीफ आदि किसी भी शरीर के दर्द से परेशान व्यक्ति जिसे अक्सर पेन किलर या कोई दर्द निवारक ओषधि जिनमें कुछ आयुर्वेदिक आदि भी शामिल हें खाते रहने की आदत हो गई हैओर इसके लिए वह किसी चिकित्सक की राय लेना भी आवश्यक नहीं समझता तो वह गुर्दों की जांच कराता रहे। अन्यथा एक दिन उसे पता चलेगा की खतरा जीवन को है
·         पैदल सैर करें - जीवन में नियमित व्यायामों को स्थान दें: सुबह-शाम किलोमीटर की पैदल सैर करें या तैरने जाएं और साथ ही तनाव को भी कम करें। इसके लिए योग व ध्यान एक अच्छा साधन है।
·         उम्र बढ़ने से कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। कई शारीरिक समस्याएं  इतनी  तेजी से और चुपचाप हमला करती हैं कि मनुष्य को संभलने  का मौका ही नहीं मिलता। कुछ अंदर ही अंदर शरीर को खोखला करती रहती हैं और उनका असर देर से सामने आता है। बीमारी के आने से पहले ही सतर्कता रखने में ही समझदारी है। हर साल पूरे शरीर की भी  जांचें और परीक्षण करा लें। खानपान की आदतें बदलें और अनुशासन  तथा संयम के रहना सीखें। खुद की फिटनेस के प्रति स्वार्थी हो जाएं।
·         जीवनशैली में परिवर्तन - अपनी उम्र व क्षमता के हिसाब से अपने रहन-सहनखान-पान व दिनचर्या को ढालेंयह सबसे जरूरी है। जीवनशैली का स्ट्रेस या दबावतनाव व सीडेन्ट्री लाइफ स्टाइल यानी शारीरिक श्रम रहित जीवनशैली से गहरा संबंध है। इन दोनों कारणों से आप भविष्य में उच्च रक्तचाप (ब्लॅडप्रेशर)हृदय रोगमधुमेह (डायबिटीज)डिप्रेशन (अवसाद)पोश्चर व जोड़ों की समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं।

नियमित जांचें  कराते रहें -  
·         प्रौढ़ावस्था के दौरान शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं। महिलाओं में जहां इस दौरान रजोनिवृत्ति व इससे जुड़े हारमोनल परिवर्तन होते हैंवहीं पुरुषों में भी कई रासायनिक परिवर्तन होते हैं। डायबिटीज टाइप-जैसी अनुवांशिक बीमारी भी इस दौरान प्रकट होती हैबरसों से धमनियों में जमा कोलेस्टेराल व फेफड़ों में जमा सिगरेट के धुएं से निकला कार्बन हृदयाघातदमा व ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
·         कैल्शियम की कमी व शारीरिक व्यायामरहित जीवनशैली आर्थराइटिस को साथ लाती है। पढ़ने के लिए चश्मा लगने की उम्र भी यही है। इसलिए जरूरी है कि प्रौढ़ावस्था की शुरुआत से पहले आप कम से कम एक बार सभी जरूरी जांचें व चिकित्सकीय परीक्षण अवश्य करा लें।  
·         डायबिटीज की  हिस्ट्री तो नहीं...    यदि परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री है तो 45 वर्ष की उम्र से पहले दो वर्ष में एक बार और फिर बाद में प्रत्येक वर्ष खून में शकर की जांच जरूरी है। इसी प्रकार परिवार में स्तन कैंसर पहले हुआ हो तो महिलाओं को साल में एक बार मेमोग्राफी अवश्य कराना चाहिए। वर्ष में एक बार आंखों की जांचकानों की जांच भी करा सकें तो अच्छा है। इसके अलावा साल में एक बार अपने डॉक्टर से अपना पूर्ण परीक्षण कराएं और जो जांचें वे जरूरी समझेंउन्हें कराएं।
·         इन जांचों को एक बेसलाइन के रूप में हमेशा सामने रखें। इससे आपको भविष्य में हो रहे शारीरिक परिवर्तनों की तुलना करने में आसानी होगी। कोई समस्या जन्म ले रही होगी तो वह पकड़ में आ जाएगी और उसे आगे बढ़ने से रोका जा सकेगा। जरूरी जांचों में लिपिड प्रोफाइलब्लड यूरियासीरम क्रिएटिनीनलीवर फंक्शन टेस्टईसीजीचेस्ट एक्स-रेएब्डोमिनल सोनोग्राफीटीएमटी (ट्रेडमिलटेस्ट)यूरिन व कम्पलीट हीमोग्राम साथ ही महिलाओं के लिए बोनमेरो डेन्सिटी (बीएमडी)सरवाइकल पेप स्मीअर व मेमोग्राफी आदि जांचें सामान्यतया कम से कम एक बार करवाकर रखना चाहिए। 

कुछ आवश्यक जाँचों  - Freedom from the big crisis by examining diseases at the time. {समय पर रोगों की जांच बड़े संकट से मुक्ति|}
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नशा सबसे खतरनाक बीमारी है तो वो है नशे के जाल में फँसना, शराब, धूम्रपान, तम्बाकू ये सब सेहत के दुश्मन हैं, किसी भी स्थिति में नशे की लत से बचें, यदि नशे से बचे हुए हैं तो बहुत अच्छा किन्तु, यदि कोई नशा करते हैं तो जितनी जल्दी नशे से दुरी बना लें उतना ही अच्छा है, ये ऐसी बीमारी है जो कैंसर और एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है और एक साथ कई परिवारों को बर्बाद करती है तथा शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक प्रतिष्ठा के नाश का कारण बनती है, इसलिए नशे से बचना ही बेहतर उपाय हैl

बढ़ती आयु ओर खान-पान ---- और देखें 
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स्वास्थय के ऊपर बताये हुए नियमों का पालन अवश्य करें क्योकि कहा भी गया है- हैल्थ इज वैल्थ l
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| आपको कोई जानकारी पसंद आती है, ऑर आप उसे अपने मित्रो को शेयर करना/ बताना चाहते है, तो आप फेस-बुक/ ट्विटर/ई मेल/ जिनके आइकान नीचे बने हें को क्लिक कर शेयर कर दें। इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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