Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Joint pain in the winter season,ठंड में जोड़ों का दर्द,

ठंड में जोड़ों का दर्द
एक भाई ने प्रश्न किया है की जब भी ठण्ड पड़ती है, उनके जोड़ों खास कर घुटनों में दर्द होता है| हड्डी के डाक्टर को दिखया तो उनने कहा घुटना बदलना पड़ेगा| कुछ दवाई दी, जब तक दवा चली आराम तब तक ही रहा क्या करूँ?
यह समस्या आजकल आम पाई जा रही है|

होता यह है की ठंड के मौसम में रक्‍तवाहिनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त का तापमान कम होने से प्रवाह कम होने लगता है, शरीर का नियंत्रक ह्रदय को अधिक रक्त पहुचाने लगता है, ताकि वहां अधिक उष्णता और सक्रियता बनी रहे, इस कारन शरीर के अन्य अंगों में रक्त कम मिलता है, जिन जिन अंगों में रक्त कम मिलता है वहां वहां दर्द महसूस होना शुरू हो जाता है| इसी क्रम में शरीर के सभी जोड़ भी सिकुडने लगते हैं, इसी सुकुडने के कारण दर्द महसूस होता है| चूँकि शरीर का पूरा भार घुटनों पर होता है, इसीलिए घुटनों के जोड़ का दर्द अधिक प्रभावित करता है|  
ठण्ड के साथ साथ यदि किसी को आमवात या अर्थराइटिस आदि रोग हो अथवा हड्डियां कमजोर हों कैल्शियम की कमी से ओस्टियो पोरोसिस हो तो, समस्या और विकराल हो सकती है| पर इन परिस्थिति में घुटने बदलवाने की कोई जरुरत नहीं|
यहाँ एक बात और जानने की है, की हड्डियों के जोड़ों में एक स्नेह की परत (कार्टिलेज लेयर) होती है जिससे जोड़ की हड्डियां आपस में रगड़ने से बचती हें, आयु के बडने के साथ साथ यह चिकना बनाए रखने वाला स्नेह (लुब्रीकेंट) कम होने लगता है। जोड़ों को बंधने वाले स्नायु रज्जू (लिगामेंट्स) में कमजोरी, और लचीलेपन में कमी भी आने लगती है, इससे जोड़ों में अकड़न होती है, और दर्द महसूस होने लगता है| समान्यत: इस कारण केवल सर्दियों में ही नहीं बारहों माह दर्द होता है, जो सर्दियों में रक्त संचार कम होने से अधिक कष्ट देता है|
यदि आप इन सब बातों को ठीक तरह से समझ गए हें, तो इलाज भी स्पष्ट हो जाता है, वह है की रक्त का संचार बढाने उष्णता बड़ाई जाये, जोड़ो की स्निघता में व्रद्धी की जाये, और स्नायु रज्जू को मजबूत सुद्रड, और लचीला बनाकर रखा जाये तो समस्या का हल मिल जाता है| घुटना बदलने की क्या जरुरत?
उष्णता बढाने के लिए भगवन सूर्य की पूजा अर्थात धुप सेवन से अच्छा कोई विकल्प नहीं| सुबह की धूप में रहने से विटामिन डी मिलने लगता है, जो कमर दर्द और जोड़ों के दर्द से आराम दिलाता है। शोधों में विटामिन की कमी हो जाये तो हड्डियों की सतह कमजोर होने लगती यह बात सिद्ध हो चुकी है|
अच्छा और पोष्टिक आहार शामिल कर रक्त की वृधि, स्नायु को पुष्ट और स्निग्ध बनाना भी आवश्यक है| स्नायुओं को लचीला बनाने के लिए उनकी सतत सक्रियता और हिलाते डुलते रखना भी जरुरी है, इसके लिए व्यायाम, योग, पैदल चलने से अच्छा विकल्प शायद ही कोई हो|
पोष्टिक आहार
मीट, मछली, दूध दही मक्खन घी, जैसे डेयरी उत्‍पाद, अंडे, सोयाबीन, दलिया, साबुत अनाज, दाल व मूंगफली आदि वीटा डी युक्त आहार को अपने आहार में शामिल करें| साथ ही विभिन्न प्रकार के फल खाने के साथ साथ अधिक मात्रा में पानी पीने की आदत बना लें ताकि रक्त में तरलता पूर्ति होती रहने और मूत्र अधिक जाने से शरीर के हानिकारक पदार्थ निकलते रहें, तो निश्चय ही जोड़ों का दर्द होना भूल ही जायेंगे|
समस्या का स्थाई हल हें पंचकर्म –
अधिक समस्या हो तो एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें जो पंचकर्म (स्नेहन, स्वेदन, एवं विशिष्ट प्रक्रिया जैसे जणू बस्ती, कटी बस्ती आदि के माध्यम शरीर के जोड़ों में स्निघता, पोषण, सक्रियता और लचीला पन उत्पन्न कर रोग मुक्त किया जाता है| कई एसे रोगी जिन्हें घुटना बदलने का सुझाव दिया गया था वे अब पूर्ण रूप से अच्छे हो गए हैं| यह प्रक्रियाएं अधिक खर्चीली भी नहीं हैं सामान्य जन आसानी से करवा सकते हें| हमारे क्लिनिक पर भी पंचकर्म चिकित्सा उपलब्ध है| इस हेतु संपर्क किया जा सकता है| नव आयुर्वेदिक चिकित्सको को प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जा रही है| 
 डॉ मधु सूदन व्यास उज्जैन, 
संपर्क- 09425379102, 


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1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

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