Polycystic
ovarian syndrome (PCOS) is another cause of obesity in young girls?
युवा
लड़कियों में पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम- मोटापे का
एक और कारण?
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Polycystic Ovarian Syndrome (PCOS)
can be treated, from Ayurveda Panchakarma.
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युवती एवं
प्रोढ महिलाओं में बढ़ते पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम का कारण है, अनियमित
मासिक धर्म (Irregular
menstruation) के साथ, महिला सेक्स हार्मोन (Female sex
hormones) कम बनना, या पुरुष हार्मोन अधिक बनना, या थाईराइड, या
इन्सुलिन का संतुलन बदलना है|
आश्चर्य न
करें कि महिलाओं में भी पुरुषो वाले हार्मोन (androjens)भी होते हें, जब वे अधिक
बढ़ने लगते हें, तो उनमें पुरुष में होने वाले विशेषतायें, जैसे चेहरे, छाती, पेट, अंगूठे, या पैर की उंगलियों पर अतिरिक्त बाल उग जाना, स्तन का आकार में कमी, आवाज
का भारीपन, बाल का पतला होना, मिलने लग सकतीं है |
इन पुरुष
लक्षणों के साथ या बिना भी, अन्य कष्टों में मासिक अनियमितता के साथ, मुँहासे, मोटापा
(शरीर का भार अधिक होना), पेडू में दर्द (pelvic pain), चिंता
या अवसाद, भी होने लगता है|
कई पीसीओएस
रोगी महिलाओं में मधुमेह,
उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, जैसी स्वास्थ्य
समस्या हो सकती है, जो अक्सर वजन बढ़ने जैसे कारणों से जुड़ी होती है। एसा अधिक
इन्सुलिन बनने से अंडाशय में एक प्रतिरोध प्रक्रिया से होता है, रोगी की भूख बड
जाती है वह सभी कुछ विशेषकर फ़ास्ट फ़ूड अधिक खाने लगता है और मोटापा जैसी समस्या के
साथ अंडाशय में रोग के साथ ऊपर वर्णित रोग या कष्ट हो सकते हैं|
कई रोग एक
साथ मिलने से ही इसे “पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम” कहा जाता हें|
सिंड्रोम
का अर्थ है- “किसी एक रोग
में अनेक कष्टों का एक साथ होना”| युवतियों के अंडाशय
(डिम्बग्रंथि) विकास के क्रम में किसी भी प्रकार का व्यवधान (कारण) पॉली सिस्टिक
अर्थात बहुत से सिस्ट (एक प्रकार के कोष्ठ) बनने लग सकते है|
वर्तमान
अनियमित, परिश्रम रहित जीवन, और फ़ास्ट फ़ूड के बड़ते बाज़ार ने विश्व में एक नई चिंता
पैदा कर दी है| नए शोध में पाया गया है की पूर्व में वयस्क महिलाओं में पाया जाने
वाला पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम, अब उन नव युवतियों में देखा जा रहा है, जो
अभी रजस्वला (Menstruate) होना शुरू कर रहीं हैं|
अमरीकन
स्टेट्स में लाखों की संख्या में रोगी मिलने की जानकारी पर जब हमारे देश में ध्यान
दिया गया तो यहाँ भी स्थिति अधिक ठीक नहीं पाई गई| जब कारण तलाशा गया तो पाया गया पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम, (पीसीओएस), महिला के सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन और
प्रोजेस्ट्रोन संतुलन ख़राब पाया गया| यह असंतुलन महिलाओं में मासिक चक्र, प्रजनन, हृदय क्रिया की समस्या पैदा कर रहा है|
यह
असंतुलन क्यों हो रहा है इसका उत्तर तलाशने पर शोध में विभिन्न परिणाम मिले|
सही कारण
अज्ञात होने से अभी तक माना जाता रहा था की यह हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिकी जैसे
कारणों से हो सकता है|
स्त्री में
पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन [यह महिलाओं के शरीर में भी उत्पादित होता है] का सामान्य
स्तर से अधिक बनना भी एक कारण हो सकता है। इससे डिंबोत्सर्जन (ovulation) (अंडे निकलने की प्रक्रिया) प्रभावित हो सकती हैं। एसा अधिक इंसुलिन (जो
की कि शर्करा को ऊर्जा और स्टार्च में परिवर्तित करता है) बनने से प्रतिरोध के
कारण भी होता है|
वर्तमान
जीवन विशेषकर शहरों में निवास रत युवतियों में शारीरिक श्रम न के बराबर होता है, बिलकुल
पैदल नहीं चलना, व्यायाम की कमी या अभाव, रात देरी तक जागना, देर सुवह उठाना,
मिलावट से भरपूर असंतुलित भोजन, वातावरण का प्रदूषण, शिक्षा में होड़ का दवाव, आदि
आदि कई कारणों के चलते युवती में रजस्वला होने के बाद से ही पीसीओएस के लक्षण आम
तौर मिलने लग सकते है| यह लक्षण अलग अलग युवतियों में अलग अलग न्यूनाधिक गंभीरता के
साथ हो सकते है|
रोगी के भगोष्ट
(clitoris) और अंडाशय में सूजन मिल सकती है, थायराइड हार्मोन जाँच, खाली पेट रक्त शर्करा, रक्त में कोलेस्ट्रॉल की
मात्रा, योनि अल्ट्रासाउंड (vaginal ultrasound), आदि से
निदान आसानी से हो जाता है|
चिकित्सा
आधुनिक
चिकित्सा में इसके लिए रोगनिवारक चिकित्सा नहीं है| चिकित्सा केवल लक्षणों के आधार
पर उन्हें नियंत्रित करने और और होने वाली जटिलता (कोप्लिकेशन complications) को रोकने की कोशिश तक के लिए होती है।
आधुनिक
चिकित्सक इसके लिए (मोटापा) वजन कम करने के लिए केन्द्रित एक संतुलित आहार
व्यवस्था, नियमित व्यायाम, के लिए कहते है| माहवारी नियंत्रित करने, टेस्टोस्टेरोन (पुरुष
हार्मोन), और मुंहासे आदि को गर्भनिरोधक गोलियां (control pills)
देकर नियंत्रित किया जाता है| परन्तु एसा करना भी हानिकारक सिद्ध हो सकता है क्योंकि
इससे भविष्य में संतान न हो पाने, केंसर, ट्यूमर आदि की संभावना बड जाती है|
कोम्लिकेशनस
(जटिलतायें )
इस रोग के
कारण युवतियों का विकास प्रभावित होने लगता है| मोटापे के अतिरिक्त भविष्य में कई संभावित
रोग , जैसे -उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), उच्च कोलेस्ट्रॉल high
cholesterol, चिंता और अवसाद anxiety and depression , स्लीप एपनिया sleep apnea (रोगी के सोते समय कभी
कभी सांस बंद हो जाने से दम घुटने का आभास), एंडोमेट्रियल कैंसर (कैंसर गर्भाशय स्तर
के शोथ (सूजन) युक्त के कारण), दिल का दौरा (heart attack हार्ट
अटेक), मधुमेह diabetes ,स्तन कैंसर breast cancer, आदि आदि कोम्लिकेशन
(जटिलता) समान्यत: उत्पन्न हो सकतीं हैं|
चूँकि पॉलीसिस्टिक
डिम्बग्रंथि सिंड्रोम कई रोगों का एक समूह होता है अत: अलग-अलग चिकित्सा के कारण
भटकाव उत्पन्न होता है| रोग को ठीक करने आवश्यक है, की एक एसी चिकित्सा की जाये की
सभी समस्याओं का निदान एक साथ हो सके|
फिर इसका समाधान क्या है?
इसका
समाधान है, आयुर्वेद हमने अपने पिछले लेख में लिखा है, की रस से रक्त, मांस, मेद, अस्थि,
मज्जा, शुक्र, सातों शरीर की धातुएं क्रम से बनतीं हैं (देखें लेख - आयुर्वेदीय पंचकर्म चिकित्सा से जड़ से ठीक जाते
हें सब रोग, Panchakarma therapy is to destroy the roots of diseases.
),
धातु पोषण क्रम प्रारम्भ में ही ख़राब होने, फ़ास्ट फ़ूड जैसे मिथ्याहार खाने से,
चपापचय (मेटाबोलिक) क्रिया दूषित हो जाती है|
इससे सर्व
प्रथम चपापचय को ठीक करना आवश्यक होता है|
एक बार यह प्रक्रिया ठीक हुई तो सभी धातुओं का पोषण ठीक होने लगता है, और वजन
भी कम हो जाता है, इन्सुलिन, थायरोइड, पुरुष एवं महिला हार्मोन्स नियंत्रित होकर
शरीर को लाभ देने लगते हें, रोग की वृद्धि बंद होकर शरीर की रोग निवारक क्षमता
अंडाशय आदि सभी अंगों की पुन:रचना करेने जुट जाती है, बाद में ओषधि से गर्भाशय,
डिम्ब ग्रन्थि आदि की चिकित्सा और पोषण कर रोगी को रोग मुक्त किया जा सकता है|
इससे संभवित बाँझपन ( Infertility) नहीं होने पाती| परन्तु यह सब इस बात पर निर्भर है की रोगी कितना अधिक
शीघ्र और सुशिक्षित चिकित्सक से चिकित्सा करवाता है|
पंचकर्म कर्म के अंतर्गत आयुर्वेद
चिकित्सा क्रम में शरीर का वमन, विरेचन आदि पंचकर्म के माध्यम से शोधन करना होता
है, इससे वजन पर में कमी होने से मोटापे से मुक्ति, होती है| बाद में उत्तर बस्ती (अविवाहित
युवतियों में नहीं) द्वारा स्त्री जननांगो
की चिकित्सा और शोधन किया जाता है| हम भी अपने वात्सल्य पंचकर्म केंद्र MIG 4/1
प्रगति नगर उज्जैन (+919425379102)
पर इसकी चिकित्सा कर कई रोगियों को लाभ दे चुके हैं|
पूर्ण
चिकित्सा के बाद रोगी का मोटापा नष्ट तो हो जाता है, अनावश्यक खाने-पीने की इच्छा
मिट जाती है| जीवन चर्या सुधरती है| यदि रोग के कारण कोप्लिकेशनस हुए हों तो वे भी
स्वत: ठीक हो जाते हें|
पॉलीसिस्टिक
डिम्बग्रंथि सिंड्रोम न हो इसके लिए क्या करें?
रोग पर
पूर्व नियंत्रण भी किया जा सकता है यदि पालक अभी से इस समस्या को जान लें तो उनकी
संतान इससे बच सकती है| इसके लिए –
1.
संतुलित अच्छा खाना या हेल्थी फ़ूड
की आदत बनाई जाया| स्ट्रीट फ़ूड, और फ़ास्ट फ़ूड, चाकलेट, आदि की आदत से बचाएं| ये सब
आवश्यक संतुलित आहार की इच्छा समाप्त कर देते है इससे शरीर एक प्रकार के कुपोषण का
शिकार होकर अनियंत्रित मोटापे की और बड़ने लगता है|
2.
वर्तमान परिस्थिति में शारीरिक
परिश्रम लडकियां नहीं करती अत उन्हें साइकल सवारी, रस्सी कूद, खो-खो, जैसे खेल के
लिए प्रोत्साहित करें|
3.
जीवन चर्या सुधारें रात्रि जल्दी
सोने और प्रात: जल्दी जगाने की आदत बनाये, इसके लिए यह जरुरी है की माता-पिता
स्वयं भी करें, ताकि संतान अनुसरण करे|
4.
प्रात: घूमने जाना, योग, आदि की आदत
इस रोग से ही नहीं अन्य रोगों से भी बचाए रखेगी|
5.
नियमित जीवन चर्या ही इसका एक मात्र
और अंतिम समाधान है|
6.
किसी भी स्थिति में माहवारी
रोकने(पूजा आदि के कारण से महिला हार्मोन टैब खातीं हैं) के लिए कोई दवा न खाई
जाये, क्योंकि यह इस रोग का बड़ा कारण हो सकता है|
आशा है,
पाठक इस बात को समझेंगे और भावी पीडी को PCOS और अन्य गंभीर
रोगों से बचाए रखेंगे,
लेख
केवल महिलाओं के लिये ही नहीं पुरुषों के लिए भी पड़ना, समझना जरुरी है। याद रखें की विश्व की आधी आबादी स्त्रियों की है, उनमें माता, बेटी, बहन, पत्नी, मित्र, आदि भी हैं, उनको बता सकें| याद रखें की स्त्रियों का सुख और दुःख आपको भी प्रभावित करता है|
अस्तु – शुभ कामनाओं के साथ- वैध्य
मधु सूदन व्यास उज्जैन
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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