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सावधान आपका ब्लड प्रेशर बढ़ गया है!!
आपको क्रोध (गुस्सा)
अधिक आ रहा है?
दिल की धड़कन बड रही है?
छाती में हल्का सा दर्द भी
है?
सर का दर्द अक्सर होता है, या
हो रहा है?
पसीना ज्यादा आ रहा है?
उल्टी या उबकाई होने जैसा लग
रहा है?
यदि अधिक बढ़ता है और अधिक
समय तक बढ़ा रहता है, तो आपको हार्ट अटेक,
किडनी डेमेज, आँखों
में खराबी, पूर्ण या
आशिक लकवा हो सकता है|
आप तुरंत जाँच कराएँ, नमक
कम खाएं, चिंता
तनाव दूर करें,
भरपूर नींद लें, धुम्रपान, शराब
आदि नशा न करें,
वजन पर नियंत्रण करें, व्यायाम
करें , एसिडिटी
और कब्ज न होने दें,
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दूध कैसे और कब पियें..[प्रभात संदेश- दूध विषयक]
अधिकांशत दूध में चीनी मिलाकर पीया जाता है, चीनी के निर्माण में कई केमिकल्स का प्रयोग होता है, ये दूध के कैल्शियम को प्रभावित करते हें, दूध में प्राकृतिक मिठास होती ही है, बाजारी दूध पानी आदि की मिलावट से बेस्वाद रहता है, इसीलिए कुछ मीठा डालने से अच्छा लगता है अत: यदि दूध को मीठा करना ही है तो उसमें मुनक्का, शहद, मिसरी या किशमिश, खारक का प्रयोग उत्तम होता है|
रात्री को दूध सोने से 2- 3 घंटे पूर्व पीया जाना चाहिए, इससे स्वप्न दोष और अनावश्यक उत्तेजना नहीं होती, नींद भी अच्छी आती है|
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दुग्ध के प्रतिकूल पदार्थ
दुग्ध के प्रतिकूल पदार्थ (5 जुलाई 16). दूध और केला.
दूध और केला दोनों ही कफ वर्धक होते हें, इन्हें एक साथ खाने पर कब्ज हो जाती है| कब्ज ही अधिकांश रोगों का प्रारम्भ है| यदि दूध और केला खाने से कब्ज हो जाये तो सात्विक भोजन करें से कब्ज दूर हो जाती है| किसी भी प्रकार की विरेचक, और शोधक ओषधि से हानि पहुंचती है|
विमर्श- सामान्यत: दूध और केला एक साथ खाने से वजन बडता है| केला पोटेसियम की पूर्ति का अच्छा विकल्प है| यदि संतुलित भोजन, सहित दूध और केला सेवन किया हो तो कब्ज नहीं होती, यह वजन बढाता है| अक्सर उपवास आदि के समय केवल दूध और केला खाया जाता है, इससे प्रोटीन की कमी होने से कब्ज हो जाती है| प्रोटीन की कमी पूर्ति मूंगफली से हो सकती है|
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दूध के साथ क्या नहीं खाना चाहिए.
सेंधा नमक को छोड़कर अन्य क्षारीय पदार्थ, और नमक, आवले को छोड़कर अन्य खटाई, गुड, मुंग, मूली, मद्य (शराब), मच्छली, आदि दूध के साथ नहीं खाना चाहिए|
विमर्श- एक दुसरे के विपरीत प्रभाव करेने वाले पदार्थ एक साथ खाने से किसी भी द्रव्य का कोई लाभ नहीं मिलता, परन्तु विपरीत प्रभाव के कारण अन्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकतीं हें| गुड के निर्माण में उसे साफ करने सोडा आदि मिलाया जाता है अत; हानिकरता है, गुड यदि विशुद्ध हो और निर्माण में केमिकल्स का प्रयोग न हुआ हो तो लाभकारी होता है|
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"दुग्ध पान निषेध"
अर्थात जिन्हें दूध नहीं पीना चाहिए|
जिनको तीव्र आम प्रकोप के साथ ज्वर (नूतन) हो, मन्दाग्नि, अग्निमांध , आम- वृधि, कुष्ठ, उदर शूल, कफ वृद्धि, और उदर कृमि, हों एसे व्यक्ति को दूध हानि करता है|
अर्श (पाइल्स) के रोगी को कच्चा दूध, उपदंश, सुजाक, व्रण (फोड़ा फुंसी), में भेंस का दूध हानि करता है|
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विमर्श - जिन्हें आम प्रकोप अर्थात खाए हुए अन्न भोजनादि का ठीक प्रकार से पाचन नहीं होता, और अपचित (अपक्व) मल, आता हो | खाने के ठीक प्रकार से न पचने पर अग्नि मंद पड़ जाती है, भूख कम या नहीं लगती, उदर शूल या पेट में दर्द उत्पन्न हो सकता है, किसी काम में मन नहीं लगता कमजोरी, आलस बना रहता है| जिनके पेट में कृमि जैसे एस्केरियेसिसी, टेप वार्म, गिनी-वर्म, थ्रेड वार्म आदि हों तो वे भी भोजन का पाचन न कर अपक्वता पैदा करते हें इससे गेस बनती है, मन नहीं लगता और सारे शरीर में दर्द भी होता रहता है|
अग्नि मंद होने से मेटाबोलिज्म बिगड़ने लगता है, और मोटापा, डाइविटीज, ब्लड प्रेशर, आदि बड़े रोगों को प्रवेश का रास्ता मिलने लगता है| एसे में दूध, विशेषकर भेंस का या कच्चा दूध, इस समस्या को और भी बड़ा देता है| दूध या किसी भी अन्य शक्ति वर्धक खाध्य, दवा, आदि का लाभ लेने के लिए पहले पाचन ठीक होना अति आवश्यक है|
कब्ज या "constipation" का उपचार ---
दूध के विषय में अधिक जानकारी के लिए देखें- लेख-
दूध सम्पूर्ण आहार ही नहीं सोंदर्य वर्धक भी है|
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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