Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

VIRECHNA- The Part of Ayurveda Pancha Karma,

VIRECHNA- The Part of Ayurveda Pancha Karma, [Therepetik Purgation विरेचन] -डॉ मधु सूदन व्यास
हमारा पेट ही है प्रत्येक रोग का प्रारम्भिक स्थान?
हम जीवित रहने के लिए खाते हें, खाना मनुष्य की स्वभाविक वृत्ति है| जन्मते ही एक सामान्य मनुष्यसबसे पहिले वह यही सीखता है, और जीवन पर्यंत कुछ न कुछ खाता-पीता ही रहता है, और अक्सर इतना की उसे अच्छे-बुरे में भेद भी नहीं करता [सात्विक विशेष व्यक्तियों को छोड़कर] , इस तरह कि मनुष्य पाचन संस्थान किसी अजायबघर की तरह भी माना जा सकता है|
बात मजाक की लग रही होगी, पर है यह सच|
जाने अनजाने, चाहे अनचाहे, कुछ भी, कहीं भी, कैसा भी, और कैसे भी, खाते पीते रहने से मुहं के द्वारा वातावरण, खाध्य पदार्थों, के या पानी, मिटटी, और हवा, में स्थित केवल जीवाणु, विषाणु, पेरासाइट्स, ही नहीं, ज्ञात नहीं कितने प्रकार के रसायन (केमिकल्स), मुहं द्वारा रोज प्रवेश करते ही रहते हें|
हालांकि प्रकृति ने हमारा शरीर कुछ एसा बनाया है, की शरीर अवश्यक और अनावश्यक पदार्थों को बड़ी बारीकी से अलग-अलग कर देता है, अच्छे शरीर द्वारा जमा कर लिए जाते हें, वहीँ ख़राब पदार्थ मल-मूत्र-पसीने आदि से बाहर फेंक दिए जाते हें, जीवाणु, विषाणु, वाइरस, और पेरासाइट्स भी कुछ मारे जाते हें कुछ हार जाते हें|
फिर भी हर बात की एक सीमा होती है,-
धीरे धीरे शरीर के किसी न किसी भाग में किसी न किसी रूप में यह विषाणु, पेरासाईटस, और रसायन अपना निवास बना ही लेते हें, इससे नए नए रोगों के कष्ट मनुष्य को होने लगते हें|
रोगों के इन कष्टों से बचने के लिए एक ही रास्ता है, की किसी भी प्रकार इनको निकाला जा सके, और शरीर का पुन: संशोधन किया जा सके, जिससे सुखायु या जीवन का आनद और लिया जा सके|
आयुर्वेद में पंचकर्म जैसी शरीर संशोधन प्रक्रिया यही करती है, विषाणु, पेरासाईट, और रसायनों आदि को निकालती है, शरीर को पुन प्राकृतिक प्रतिकार शक्ति प्रदान कराती है, और रोग मुक्ति दिलाती है|
वमन कर्म [VAMAN – Part of  PanchaKarma” “वमन कर्म” Therepetik Emisis] के द्वारा शरीर के उर्द्व जत्रुगत अर्थात उपरी भागों का संशोधन होता है वहीं शरीर के नीचे वाले भाग के लिए विरेचन कर्म [आदि] किया जाता है|
शास्त्रीय विरेचन Therepetik Purgation.
विरेचन और बस्ती से पाचन संस्थान विशेषकर आमाशय के नीचे छोटी बड़ी आंतों और उनसे संबध अंगों की सफाई कर क्रमी (पेरासाईट), अमीबा, आदि के साथ रसायन, और अपचित खाद्य पदार्थों को निकाल कर उसे शुद्ध कर् देता है|
शुद्ध हुआ पाचन संस्थान स्वस्थ्य खाद्य और ओषधियों के द्वारा शरीर को पुन योवन प्रदान करने में सक्षम हो जाता है|
कई रोग ठीक हो जाते हें विरेचन से :-
जिस प्रकार से कुछ रोग वमन कर्म से ठीक होते हें, उसी प्रकार से विरेचन द्वारा भी कृमियों, विष्णु, आदि से उत्पान होने वाले पित्तज रोगों जैसे एक्जीमा, फोड़ा-फुंसी सहित अनेक चर्म रोग, उदर रोग, आदीं अनेक रोग जिनमें मधुमेह, दमा, चर्म विकार जैसे कि विसर्पिका, शरीर के निचले हिस्से में पक्षाघात, आंशिक पक्षाघात, जोड़ों की बीमारी, पाचन संबंधी बीमारी, पीलिया कब्ज, उच्च अम्लता, श्वेत कुष्ठ, त्वचा रोग, सिरदर्द, बवासीर, उदरीय केंसर, कृमि, गठिया, पीलिया, जठरांत्रिय समस्याएँश्लीपद एवं स्त्रीरोग सम्मलित हें, को जड़ से नष्ट करने में मदद करती हैं|
विरेचन से तात्कालिक लाभ होने का प्रमाण भी है :-
हममे से कई ने महसूस भी किया होगा की जब भी बुखार, बवासीर, पीलिया आदि होने पर जब भी जुलाब लिया जाता है तो अगले ही दिन चमत्कारिक रूप से लाभ लगने लगता हैजब साधारण से जुलाब या विरेचन से लाभ मिलता है, तो एक कुशल चिकित्सक के नियंत्रण (देख-रेख) में विशेष विधि द्वारा दिया जाने वाला विरेचन जिसके लेने के बाद कोई कप्लिकेशन न हो, न कमजोरी हो, न पानी की कमी (डिहाइडरेशन) आदि हो, और वह व्यक्ति उत्साहित, स्वस्थ्य, अनुभव करने लगे, तो क्या वह जल्दी ही रोग मुक्त नहीं हो जायेगा?

वमन विरेचनादी द्वारा संशोधित शरीर पर ओषधियों का प्रभाव भी जल्दी होता है शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पुनर्जीवन प्राप्त कर शरीर को पुन: युवा बनाने लगती है|
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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