कितना खतरनाक है, हरी घास, मिट्टी, या रेत पर
नंगे पैर चलना?
हरी घास, मिट्टी या रेत पर नंगे पैर
चलने और घुमने की इच्छा कई लोगों की होती है, कई लोग इसके लिए कहते और आग्रह करते
हुए भी देखे जाते हें, बेशक इससे कुछ लाभ जिनमे तनाव से मुक्ति, जैसे कई लाभ भी
होते हें, परन्तु यह जानना भी जरुरी है की घास, रेत या जमीन पर बिना जूते घूमना
अत्यंत हानि कारक भी हो सकता है|
वर्तमान स्तिथियों में एक चिकित्सक
के दृष्टिकोण से, और चिकित्सा के लिए पिछले 40 वर्षों के अनुभव अनुसार मेरा मानना
है की कहीं भी, विशेषकर सार्वजानिक बाग़-बगीचों, सड़कों, मैदानों, नदी या समुद्र के
किनारे वाले या इस जैसे स्थानों पर बिना जूते पहिने घूमना लाभ 20% की तुलना में
नुकसान देह 80%, अधिक है|
लगभग हमारे देश के बाग़ बगीचे, सड़क,
खेत, मैदान, नदी, तलाब या समुद्र के निकट, आदि स्थानों पर कुत्ते, बिल्ली, चूहे से
लेकर बड़े पशु गाय, बैल, घोड़े, यहाँ तक की कई जगह सूअर भी घूमते मिल जायेंगे| खुले
मैदान, सडक किनारे,खेत, झाड़ियों के आसपास और रेल लाइन के पास के स्थानों को शोचालय
की तरह प्रयोग करते कई लोगों को आसानी से देखा जा सकता है| कुत्तों के पालक भी
अपने कुत्तों के लिए ऐसे स्थानों का प्रयोग भी करते है| आवारा पशु इन सब अपशिष्टों को खाते और बिखराते
रहते हें| आने जाने वाले मनुष्यों और पशुओं के पैरों में चिपक कर भी वह अपशिष्ट
आसानी से सब दूर पहुँच जाता है| यह अपशिष्ट हवा-पानी के माध्यम से भी सभी दूर जाता
रहता है| इन्ही अपशिष्टो में जन्मते, बड़ते, फलते फूलते है कई कीट, पेरासाईट, विषाणु, जीवाणु आदि, भी जो पशु,पक्षी, कीट और आपको शिकार बनाने के साथ साथ आपके शरीर पर सवार हो कहीं भी पहुँच सकते हें|
पार्क की हरी घास, और पेड़ पोधों के
लिए खाद, खेतों की मिटटी आदि का प्रयोग भी सतत किया हो जाता रहता है| इसके साथ ही
कई रसायन भी इस काम में प्रयुक्त होते हैं|
क्या आप जानते हें, की इस प्रकार की
घास, मिटटी, रेतीले स्थानों पर कई तरह के कृमि जो अनजाने ही ऐसे नंगे पेर चलने
वालों को अपना शिकार बना लिया करते हें, इसका पता अधिकतर मामलों में तत्काल पता भी
नहीं चल पाता, ये सब कुछ ऐसे रोग भी उत्पन्न करते हें जो कष्ट देने के साथ घातक भी
हो सकते हें|
इनमें जो प्रमुख हो सकते हें वे
निम्न हैं|
हुक वोर्म – (Hookworms)- यह परजीवी अण्डों और लार्वा के रूप में मनुष्य और पशुओं द्वारा त्यागा
जाकर इन्सान और पशुओं के पेरों और त्वचा के माध्यम से शरीर में घुस जाता है, रक्त
वाहिनियों के सहारे आंतों में जाकर दस्त लगना, पेट दर्द, जी मचलना, उलटी, बुखार, खून की कमी पैदा
करता है| इसके कारण मल में खून भी आ सकता है, भूख कम हो जाती है, सारे सारे शरीर
या कुछ भागों पर खुजली वाली पिटिका या Rash हो जाते हें| कभी कभी फेफड़ों और अन्य
भागों में भी पाए गए हें| इन कृमियों के अंडे दोबारा मल के साथ बहार निकल पशुओं/
हवा/ पानी आदि माध्यम से पुन: अन्य के पास जाने को निकल पड़ते हें| हमारे देश में
इससे प्रभावित लोगों की संख्या करोड़ों में है|
Chigoe flea (Tunga penetrans), 1 mm का यह खून पी कर जीवित रहने वाला और भारत, अफ्रीका, आदि देशों
की रेत या रेतीली मिटटी में पाया जाने
वाला यह कीट भी पैरों के माध्यम से ही घुसता है, वहां अपने लिए गुफा सी बनाकर अंडे
देकर बढता और रोग बढता रहता है {देखें फोटो}| पेड़ पोधो और घास के लिए तैयार रेतीली
मिटटी भी इसे रास आती है|
बोट फ्लाई (Bot flies,) - लगभग 3 -4 सौ प्रकार की घरेलू मक्खी से छोटी रंगविरंगी चमकीले शरीर
वाली मक्खी बगीचों में अक्सर देखी जाती है| घास और पार्क आदि में घुमने वालों को प्रभावित
करने वाली इन मक्खियों में से कुछ पशुओं
और कुछ इंसानों के शरीर के खुले भागों पर काट कर बड़ी तेजी से अंडे रख भाग जाती
हैं| पैरों के घाव, विवाई, नाख़ून आदि स्थान इसकी अंडे रखने की पसंदीदा स्थान होते
हें| यह अन्य घरेलू मक्खी या मच्छर के माध्यम से भी अपने अंडे पंहुचा सकती है| इन
अण्डों से निकले लार्वा शरीर में छेद बनाकर बाहर निकलते हें| आपने कई रोगियों के
घावों, आंख, नाक, आदि तक से इन लार्वा या इल्लियों को निकलते देखा या सुना होगा
भी| लारवा निकलकर पुन: घास में आकर मक्खी
बनते हें, और अन्य को रोग फेलाने तैयार हो जाते हें|
स्केबीज कीट (scabies
mite) - किसी अन्य खुजली वाले रोगी के माध्यम से बाग बगीचे, में
पहुँच कर घूमने वालों के खुले पेरों के जरिये संक्रमित कर सकने वाला यह “खाज खुजलीया स्केबीज का कारण एक कीट या पिशाच” (विशेष जानकारी देखें लिंक) हर कहीं हो सकता
है|
क्षुद्र कीट (ticks)- अन्य परजीवी (parasites) जिनमें कई प्रकार के खून पीने वाले मच्छर,मक्खी,और क्षुद्र कीट (ticks) आदि घास में रहते हें| इनके काटने से ब्लिस्टर या छाले या संक्रमण अक्सर
होता है| कभी कभी इन कुछ टिक्स का काटा बेहद कष्टकारी और शरीर पर एलर्जी या रशेज
पैदा करने वाला भी होता है| इनसे विषाणु (Borrelia burgdorferi) संक्रमण
होकर कष्टकारी लाइम रोग (Lyme
disease) हो जाता है|
कुछ अच्छी आदतें जो
बचा सकतीं में कई मुसीबतों से:-
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कोशिश करें, बिना
जूते के कहीं न जाएँ विशेष कर घर से बाहर|
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बाहर पहिने हुए
जूते,चप्पल भूल कर भी घर के भीतर न लायें|
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घर में प्रवेश के
तुरंत बाद हाथ-पैर अच्छी तरह से धोने की आदत बनायें| सोच लें की घर आपका मंदिर है,
इससे आप स्वयं को और अपने परिवार, विशेषकर बच्चो को परिजीवियों से बचा सकेंगे|
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जब भी जमीन पर पैर रखना
पड़े तो शीघ्र ही पैरों को अच्छी तरह से धो और पोंछ लें|
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जूते की जगह यदि
चप्पल पहनते हें तो विशेष रूप से पैर और सेंडिल या चप्पल को धोते रहना चाहिए|
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धोने के बाद पैरों
में कोई भी थोड़ी सी तैल या बोरोप्लस जैसी क्रीम जरुर लगायें, ताकि नमी बनी रहे|
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जूतों को बाहर से तो
अक्सर सभी पोलिश या साफ करते हें, पर अन्दर से भी साफ रखें, अन्दर का तला, कपड़ा भी
साफ और फटा टुटा न रहे, इनमें भी कीट जीव पनपते हें| विशेष कर बरसात या पानी अदि
से गीले हो जाने पर|
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यदि जूते धोने जेसे
हों तो धो भी लिया करें, या कभी कभी धूप में जरुर रखें|
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छोटे (तंग) या बड़े
(ढीले) जूते पैरों में घाव करते हें, जिनमें उक्त कीट आसानी से जा पाते हें, अत:
हमेशा सही जूते पहिने|
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जो किसी कारण वश बिना
जूते के चलते हो उन्हें बार-बार पैरों को अच्छी तरह से धोते रहना चाहिए, ताकि अद्रश्य
परजीवीयों को दूर किया जा सके|
==End of How dangerous it is to walk barefoot on a green grass, sand or soil.कितना खतरनाक है, हरी घास, मिट्टी, या रेत पर नंगे पैर चलना?===
समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।