Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Irregular life invitation to serious diseases? अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण ?


 अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण ?

आज का स्वास्थ्य संदेश- क्या आप जानते हैं ?

 संसार की समस्त प्राकृतिक और पशु पक्षियों सहित प्राणी मात्र की गतिविधियाँ तो एक निश्चित समय पर सतत चलती रहतीं हैं| परन्तु हम अधिकांश इंसान अक्सर अपने जीवन की गतिविधयां विशेषकर खाने-पीने का समय नियमित नहीं रखते|

इस अनियमितता का परिणाम है, --- गंभीर रोगों का आमंत्रण { नींद का न आना, बेचेनी, से करवट बदलना, अपचन, विवंध (शोच में कमी) कब्ज, ववासीर, पेचिश , वजन का बढना, और इससे आगे चलकर गंभीर, लीवर रोग, उदर रोग, मूत्र रोग, किडनी, रोग, मेटाबोलिक रोग, प्रोस्टेट बड़ने, आदि जैसे गंभीर रोग}

हिन्दू और जैन धर्म की मान्यता के अनुसार, यदि स्वास्थ जीवन भर ठीक रकना है तो सायंकाल बाद और रात्रि गरिष्ठ भोजन को त्याग दें| और भोजन नाश्ता, चाय, दोपहर भोजन ,रात्रि भोजन आदि सही समय पर होना चाहिए|

प्रतिदिन प्रात अच्छा नाश्ता खाना जरुरी होता है, क्योंकि रात्रि भोजन के बाद १० से १२ घंटे व्यतीत हो चुके होते हैं| इस समय शरीर को अच्छी केलोरी की जरुरत होती है|

नाश्ते के ४  से ५ घंटे बाद दोपहर का खाना खाना चाहिए| अर्थात यदि नाश्ता 7 बजे लिया है तो १२ बजे के लगभग खाना खाना आवशयक है|

दोपहर के इस भोजन या लंच के बाद या ४ घंटे बाद बूस्टर डोज के रूप में फल, खाना उचित है|

दोपहर के भोजन के लगभग ८ घंटे बाद डिनर या रात्रि भोज खाना चाहिए| रात्रि के इस खाने में अच्छे स्वास्थ्य बनांये रखने सुपाच्य और दोपहर की तुलना में हलका कम केलोरी वाला खाना खाना चाहिए| चूँकि इस भोजन के ३ से ४ घंटे में सो जाया करते हैं इसलिए पूरी पकवान और वर्तमान में डिनर पार्टियों में परोसा जाने वाला गरिष्ठ खाना पचाने में शरीर को मुश्किल आती है, इसका परिणाम कई  गंभीर रोगों के द्वारा खोलता है| प्रारम्भ में युवा वस्था में तो इन समस्याओं का पता नहीं चलता पर जब कई वर्ष भोजन की अनियमितता चलती रहती है तब प्रोड़ावस्था, या बुडापे के रोगों के रूप में बेवक्त, और रात्रि के गरिष्ठ भोजन के दुष्परिणाम आते हैं और तब तक देर हो चुकी होती है, वापिस स्वस्थ जीवन नहीं पाया जा सकता| 

हिन्दू धर्म में, और जैन धर्म में इसी कारण सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध किया है| हमारे अधिकांश जैन भाई इस का पालन करते है पर हिन्दू भाई इस को भूल गए है, और पश्चात डिनर में गरिष्ठ भोजन को आदर्श मान रोगों को आमंत्रित करते रहते हैं|

आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार भी भोजन का क्रम उपरोक्त होना चाहिए|

कुछ विद्वानों ने प्रात: का भोजन रईसों की तरह अधिक केलोरी वाला, दोपहर का भोजन मध्यम वर्गीय सामान्य, और रात्रि भोजन गरीबों के भोजन के सामान, रुखा सुखा, कम केलोरी वाला सुपाच्य रखने की सलाह देते हैं| यह भोजन मन्त्र स्वास्थ के लिए सर्वथा उपयुक्त है|

मधुमेह आदि के रोगियों के लिए तो इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं|    

वैद्य मधुसूदन व्यास l

1-2- चैत्र शुक्ल 2080 / 7 मार्च 2023

पूर्व जिला आयुष अधिकारी उज्जैन

वात्सल्य सेवार्थ ओषधालय

MIG 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र.

 

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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।

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हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

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