Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

पेट में छाले या अल्सर


पेट में छाले या अल्सर
एसिडिटी या अम्लपित्त -खट्टी डकार ,फिर पेट में जलन होते रहना फिर भी मर्च मसाले शराब आदि का सेवन करते रहने से पेट में छाले या अल्सर हो सकते हे|
पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऐसा मानते थे की पेट के घाव (अल्सर्स) मुख्यतः तनाव एवं गलत खाद्य पदार्थों के सेवन से ही होते हें | लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है की पेट के घाव होने के मुख्य कारण हेलिकोबेक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया होते हैं। ये अल्सर या घाव अमीबीओसिस के कारण भी हो सकते हें। जो व्यक्ति पेट के अल्सर के शिकार होते हैं, डॉक्टर उन्हें एंटीबायोटिक दवाएं,एंटा एसिड्स और एसिड ब्लॉकर्स देते हैं। 
निम्न कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जो दवाओं के प्रभाव को कम करते हैं तथा घाव की तीव्रता को बढ़ाते हैं।
गर्म मसाले - गर्म मसाले पेट के अल्सर को जल्दी ठीक होने नहीं देते एवं आपकी समस्या को और बढ़ाते हैं। अतः जब तक अल्सर पूरी तरह से ठीक न हो जाये, गर्म मसाले से परहेज करें। हरी मिर्च या लाल मिर्च का सेवन पूरी तह से बंद कर दें।
कैफीन अथवा कॉफ़ी-- ऐसे खाद्य पदाथ जिनमें कैफीन मिला हुआ हो, आपके पेट के अल्सर को बढाते हैं। कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों का उपभोग करने से पेट में एसिड (अम्ल) के उत्पादन में बढ़ोतरी होने लगती है जिसके कारण आपकी समस्या बढती है। पेट में अम्ल की बढ़ोतरी होने से आपके पेट का घाव उत्तेजित होता है और पेट दर्द या अन्य तकलीफों में बढोतरी होने लगती है।
कैफीन चाय, कॉफी, चॉकलेट, कोला, शीतल पेय, और अन्यकार्बोनेटेड शीतल पेय के जैसे पेय और खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। इसलिए यदि आपको अल्सर की जरा भी शिकायत है तो इन पेय या खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें ।
दूध- पहले अकेले दूध को अल्सर से राहत पाने के लिए एंटा एसिड्स की तरह सेवन किया जाता था। लेकिन ऐसा देखा जाता था कि शुरुआत में अल्सर के रोगियों को इस उपाय से अस्थायी राहत तो मिल जाती थी लेकिन बाद में दूध पीने से अल्सर के लक्षण बढ़ने लगते थे। फिर यह तथ्य सामने आया कि दूध पेट में एसिड के स्राव को बढ़ावा देता है, जो अल्सर के साथ जुड़े जलन और दर्द को बढ़ावा देते हैं। आयुर्वेद में दूध पूर्व से ही रोगजनक माना हे|
पशुओं का मांस (मीट)-- पशुओं के मांस में प्रोटीन एसिड उच्च मात्रा में होते हैं। इसे पचाने के लिए आपके पाचन तन्त्र को काफी काम करना पड़ता है जिसकी वजह से काफी मात्रा में अम्ल का स्राव होता है। ऐसा होने से आपकी तकलीफ बढती है। इसलिए अगर आप मांस खाने के शौक़ीन हैं तो तब तक इसे न खाएं जब तक आपका अल्सर पूरी तरह से ठीक न हो जाये।
अम्लीय खाद्य पदार्थ-- अल्सर के मरीज का पाचन तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है। पाचन तंत्र के क्षतिग्रस्त क्षेत्र में एसिड प्रवेश करने लगता है जिसकी वजह से अक्सर पेट में जलन, दर्द इत्यादि की शिकायत बढ़ने लगती है। खट्टे फल जैसे टमाटर, संतरा, टमाटर का रस, नींबू के रस, नींबू, अनानास, जेली और जाम अम्लीय खाद्य पदार्थों के उदाहरण हैं। आम दिनों में या आम लोगों को ये खाद्य पदार्थ बहुत हीं फायदा पहुंचाते हैं लेकिन अगर आप अल्सर के मरीज हैं तो इनका सेवन आपके लिए उचित नहीं है।
शराब-- शराब अल्सर की समस्या को बहुत बढ़ाता है अतः अल्सर के मरीजों को शराब के सेवन से दूर रहना चाहिए।
सावधानी- अल्सर के मरीजों को ज्यादा देर खाली पेट नहीं रहना चाहिए क्योंकि इससे अम्ल का स्राव बढ़ता है जो आपकी तकलीफ को बढाता है।
सलाह-   अल्सर के मरीजों को भरपूर पानी पीना चाहिए और मट्ठे का सेवन करना चाहिए।अब आधुनिक चिकित्सक भी दही के स्थान पर मट्टे के सेवन पर जोर दे रहे हे| क्योकि दही भी हानी करता हे | आयुर्वेद मत से छाछ या मट्ठा(अधिक खट्टा नहीं होना चाहिए) बहुत ही लाभकारी हे |
आयुर्वेदिक पद्धति में एसिडिटी या अम्लपित्त/अल्सर के रोगी की विरेचन द्वारा चिकित्सा की जाती हे | घर पर भी अविपत्तिकर चूर्ण प्रतिदिन लेना ठीक रहता हे | परिस्थिति अनुसार सूतशेखर रस या स्वर्ण सूतशेखर बहुत लाभकारी हे पर चिकित्सक से परामर्श के बाद ही लें

समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें |.

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Sir alsar ka ilaaz

Dr Madhu Sudan Vyas ने कहा…

श्री बलवंत जी , जय हिन्द, अल्सर की आयुर्वेदिक चिकित्सा है, और दवाओं या पंचकर्म से ठीक किया जा सकता है| रोग की स्तिथि, के अनुसार चिकित्सा प्रत्यक्ष संपर्क से हो सकती है| आप पूर्व समय लेकर चिकित्सा लें| अभी लेख में लिखे अनुसार परहेज करें और परामर्श पर चलने से ही लाभ होना प्रारम्भ हो जायेगा|

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