Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

एलोवेरा--- ग्वारपाठा,





एलोवेरा--अन्य नाम- ग्वारपाठा, क्वारगंदल, घृतकुमारी, कुमारी, घी-ग्वार इत्यादि

             यह एक ऐसा पौधा है जिसमें अन्य सभी जड़ी-बूटियों के मुकाबले अधिक गुण है। यानी व्यक्ति को फिट रखने में एलोवेरा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं।
एलोवेरा के पौधे को कई नाम हैं, जैसे संजीवनी बूटी, साइलेंट हीलर, चमत्कारी औषधि भी कहा जाने लगा हे।

एलोवेरा का उपयोग अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि बनाने में किया जाता है।
एलोवेरा के पौधे में वो सारे गुण समाहित है जिसे संजीवनी बूटी कह सकते है।
कब्ज़ से लेकर कैंसर तक के मरीजों के लिए एक अत्यंत लाभकारी औषधि है।
एलोवेरा में वो औष‍धीय तत्व हैं जो शरीर में नहीं बनते बल्कि एलोवेरा से ही प्राप्त होते हैं जैसे– कुछ खनिज, अमीनोएसिड। इन तत्वों को निरंतर शरीर की जरूरत रहती है जिसे पूरी करना भी जरूरी है।
एलोवेरा बढि़या एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है।
एलोवेरा में शरीर की अंदरूनी सफाई करने और शरीर को रोगाणु रहित रखने के गुण भी मौजूद है।
एलोवेरा हमारे शरीर की छोटी बड़ी नस,ना़डि़यों की सफाई करता है उनमें नवीन शक्ति तथा स्फूर्ति भरता है।
एलोवेरा औषि‍ध हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर सकते है और यह शरीर में जाकर खराब सिस्टम को ठीक करता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।
यह बैक्टीरिया नाशक है साथ ही मेटाबॉलिक प्रक्रिया को ठीक करता है।
शरीर में मौजूद हृदय विकार, जोड़ों के दर्द, मधुमेह, यूरीनरी प्रॉब्ल्म्स, शरीर में जमा विषैले पदार्थ इत्यादि को नष्ट करने में मददगार है।
त्वचा की देखभाल और बालों की मजबूती व बालों की समस्या से निजात पाने के लिए एलोवेरा एक संजीवनी का काम करती है।
बच्चे से लेकर वरिष्ठ लोगों तक सभी के लिए एलोवेरा किफायती है। इसके प्रयोग से बीमारियों से मुक्त रहकर लंबी उम्र तक स्वस्थ और फिट रहा जा सकता है।

ग्वार पाठे के रस को सुखा कर जो पदार्थ बनता हे वह एलुआ ,मोशाब्बर,कहलाता हे|

उपयोग-
   इसके गुदे का लेप पेट पर बाधने सेअन्दर की गांठे गल जाती हें| 
  पीलिया रोग में खिलाने पर कब्ज दूर और पीलापन ठीक करता हे|चर्म रोगों में भी       लाभकारी हे|
  एलुआ कब्ज और महिलाओ के मासिक स्राव कष्ट को ठीक करता हे|
  इसका रस आँखों में डालने से नेत्राभिश्यंद या कन्जेकटिवाईटिक्स को ठीक करता हे|       इसका रस नियमित सेवन से योवन सुरक्षित होता हे|

घृत कुमारी के बांये लड्डू ,अचार,कुमारी पाक,कुमारी-आसव, अदि कई रूपों में बाज़ार में उपलब्ध हे,या स्वयं बनाया भी जा सकता हे| आजकल बोटेल में बंद इसके रस की जगह ताजा बनाया  रस अधिक अच्छा और बहुत सस्ता होता हे|
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें |.

3 टिप्‍पणियां:

Dr Madhu Sudan Vyas ने कहा…

Aniljit Kaur
pls kya ap bata sakta ha ghar pa kasa banana or kitna din rakh sakta ha
3 hours ago

Aniljit Kaur
kya isko honey k sath mila ka la sakta ha or kitni qty ma
2 hours ago
Madhusudan Vyas
घी कुमार का रस बनाने के लिए इसका गुदा निकलकर मसल कर छान लेने से रस बन जाता हे|फ्रिज में अधिक दिन ख़राब नहीं होगा|पर ताजा रस लेना ही अच्छा होता हे|बाज़ार में बोटेल बंद रस को सुरक्षित रखने प्रिजर्वेटिव मिलाया जाता हे जो हानिकर होता हे, अत वे प्रयोग नहीं करना चाहिए|शहद के साथ लिया जा सकता हे|

telecom ने कहा…

क्या ग्वारपाठा के कच्चा गुदा को खा सकते है और कैसे कितनी मात्रा मे सुनील शर्मा

Dr Madhu Sudan Vyas ने कहा…

खाया जा सकता हे। इसका रस भी पिया जा सकता हे। मात्र रोग ओर जरूरत के मान से निर्णय की जा सकती हें। लगातार अधिक दिन नहीं लेना चाहिए।

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