- काले की अपेक्षा सफेद अंगूर में ज़्यादा विटामिन होते हैं।
- किशमिश और मुनक्के अंगूर को सुखा कर बनाए जाते हैं।
- अंगूरों से बनने वाली मदिरा सर्वोत्तम समझी जाती है।
- अंग्रेज़ी में ग्रेप और ग्रेप फ्रूट दो अलग-अलग जातियों के फल हैं। ग्रेप अंगूर को कहते हैं जबकि ग्रेप फ्रूट संतरे की जाति का फल है।
- अंगूर हरे और काले के साथ ही लाल, गुलाबी, नीले, बैंगनी, सुनहरे, सफ़ेद रंगों के भी होते हैं।
- अंगूरों की जंगली जातियों की ६० से अधिक क़िस्में होती हैं।
- अंगूर का फलों में बहुत महत्व है क्योंकि इसमें शक्कर की मात्रा अधिक और ग्लूकोज़ के रूप में होती है। ग्लूकोज़ रासायनिक प्रक्रिया का नतीजा होने के कारण शरीर में तुरन्त सोख लिया जाता है। इसलिए अंगूर खाने के बाद आप तुरंत स्फूर्ति अनुभव करते हैं। अंगूर विटामिनों का भी सर्वोत्तम स्रोत हैं। विटामिन का सेवन खाली पेट ज़्यादा लाभदायक होता है इसलिए अंगूर का सेवन प्रात: काल श्रेयस्कर है। लाल और काले रंग के अंगूर शाम के समय खाए जा सकते हैं।
- पके हुए अंगूर का रस मायग्रेन का घरेलू इलाज माना जाता है। अंगूर हृदय को स्वस्थ रखता है, साथ-साथ दिल की धड़कन और दिल के दर्द में भी लाभकारी पाया गया है। अच्छी मात्रा में थोड़े दिन अगर अंगूर का रस सेवन करे तो किसी भी रोग को काबू में लाया जा सकता है। हृदय रोगियों के लिए अंगूर का रस काफी लाभकारी हो सकता है।अंगूर का महत्व पानी और पोटैशियम की प्रचुर मात्रा के कारण भी है। इसी तरह अलब्युमिन और सोडियम क्लोराइड की मात्रा कम होने के कारण ये गुर्दे की बीमारी में लाभकारी हैं। अंगूर गुर्दे और लीवर से पानी और विषैले तत्व बाहर निकालता है। इससे कब्ज़ की शिकायत भी दूर हो सकती है और पेट व आंत की बीमारियों में भी सुधार आ सकता सकता है। अच्छे नतीजे के लिए दिन में हर व्यक्ति को कम से ३५० ग्राम अंगूर खाने चाहिए। अस्थमा और दमा जैसी बीमारियों में भी अंगूर का रस लाभकारी है।
- ब्रिटेन के अनुसंधाकर्ताओं ने पता लगाया है कि काले अंगूर में पाए जाने वाले फ्लैवोनायड्स का सीधा संबंध तंत्रिका कोशिकाओं से रहता है। इनके बीच होने वाला संवाद मस्तिष्क कोशिकाओं के पुनरुत्पादन को बढ़ावा देता है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इससे अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक याददाश्त को सुधारने में मदद मिलती है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस अध्ययन की मदद से भविष्य में अल्ज़ाइमर का इलाज खोजा जा सकता है।
- एक नए अध्ययन के अनुसार भोजन में अंगूर को नियमित रूप से शामिल कर लिया जाए तो बड़ी आंत में होने वाले कैंसर का खतरा कम हो सकता है। यह कैंसर की तीसरी ऐसी किस्म है, जिसके कारण हर साल विश्व में पांच लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।
मार्च २००8 से यूरोप की दो बड़ी खुदरा कंपनियों कारेफोर और टेस्को ने भारतीय बाजार से नासिक के अंगूर का निर्णय किया है। फ्रेंच कंपनी कारेफोर ने १५० टन बिना बीज वाले थॉपसन अंगूर का ऑर्डर दिया है और ब्रिटेन की कंपनी टेस्को ने २५० टन अंगूर का ऑर्डर दिया है। वैसे तो भारतीय अंगूर पहले भी यूरोप के बाजार में उपलब्ध थे लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि बड़ी खुदरा कंपनियों ने इतने बड़ा ऑर्डर दिया है। यूरोप में अंगूर २.५ यूरो प्रति किलो के हिसाब से बिकता है जबकि दूसरे देशों में दाम बहुत कम हैं। इस प्रकार इस साल भारत में अंगूरों के निर्यात में २० प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
अंगूर जल्दी खराब हो कर सड़ने लगते हैं। इसलिए ताज़े ही खा लेने चाहिए या फिर ठंडी जगह पर रखने चाहिए। अंगूर ख़रीदते समय अच्छे पके हुए अंगूर लेने की कोशिश करनी चाहिए। बड़े स्तर पर भारत में अंगूरों को दूरस्थ स्थानों पर भेजने के लिये टोकरियों या हल्की सस्ती लकड़ी के बक्सों में घास फूस या पत्तियों तह बिछाकर अंगूरों को पैक किया जाता है। इसके भंडारण के लिये अनुकूल तापमान शून्य डिग्री से०ग्रे० है अंगूरों को तोड़कर तुरन्त पैक कर लेना चाहिए अंगूरों का उपयोग बहुत तरह से होता है इसके दो प्रमुख उत्पाद उल्लेखनीय है-
(१) अंगूर की शराब और (२) किशमिश में।
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