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Paralysis लकवा - पक्षाघात
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हमारे शरीर की समस्त हलचल या गति विधियाँ मांसपेशियों के द्वारा की जाती हें पर इन सभी मांसपेशियों को मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित किया जाता हे| मस्तिष्क यह कार्य तंत्रिका तंत्र या नर्वस सिस्टम जो की एक विधुत के तारों की तरह सारे शरीर में फेला रहता हे के द्वारा सन्देश भेज कर सम्पादित करता हे| दुसरे शब्दों में हम कहें तो शरीर की सारी गतिविधियों के सञ्चालन की जिम्मेदारी मस्तिष्क पर होती हे या शरीर के सभी भागों से संदेश प्रक्रियाओं के नियंत्रण मस्तिष्क के अधीन है| कभी कभी तंत्रिका कोशिकाओं, या मस्तिष्क के न्यूरॉन्स, की मांसपेशियों को नियंत्रित नहीं कर पाती| तब वह मांसपेशियों को स्वेच्छा से नियंत्रण करने की क्षमता खो देता है, इससे व्यक्ति अपनी समस्त क्षमताएं खो देता हे |
जब यह नियंत्रण शरीर के एक तरफ चेहरा, हाथ और पैर की मांसपेशियों का होता हे तब यह पक्षाघात, अर्धांगघात ("आधा") कहा जाता है इसी प्रकार जब किसी कारण से रीढ़ की हड्डी की नसों या तंत्रिकाओं को नुकसान होता हे तो यह शरीर के विभिन्न अन्य भागों को प्रभावित करता है| क्षति की मात्रा तंत्रिकाओं के नुकसान पर निर्भर करती है| दोनों निचले अंगों का पक्षाघात अर्द्धांग (paraplegia,) कहा जाता है, और दोनों हाथ और दोनों पैरों का पक्षाघात चतुरांगघात (quadriplegia)कहा जाता है| पक्षाघात अस्थायी या स्थायी बीमारी या चोट के आधार पर हो सकता है , क्योंकि पक्षाघात शरीर में किसी भी मांसपेशियों को प्रभावित कर सकते हैं | व्यक्ति इससे चलने फिरने और अन्य किसी भी शारीरिक गतिविधयों की क्षमता से लेकर बात करने या साँस लेने की क्षमता भी खो सकता हैं|
लकवे या पक्षाघात का कारण, खेल या दुर्घटनाओं से कोई शारीरिक चोट, विषाक्तता, (poisoning) संक्रमण(infection,) रक्त वाहिकाओं का अवरोध(blocked blood vessels,) और ट्यूमर( tumors) के कारण पक्षाघात हो सकता हे |
भ्रूण या बच्चे के जन्म के दौरान मस्तिष्क की चोट से मस्तिष्क के विकास में बाधा भी मस्तिष्क पक्षाघात के रूप में जाना जाता है| एकाधिक काठिन्य(multiple sclerosis,) सूजन (inflammation) नसों के निशान,( scars )
मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच संचार व्यवस्था में अवरोध , कभी कभी मांसपेशियों में पेशी क्षय ( dystrophy) भी प्रभावित करती हे | हाथ और पैर की मांसपेशियों के ऊतकों की पेशी क्षय ( dystrophy) या गिरावट बढ़ती कमजोरी का कारण बनता है|
पक्षाघात का इलाज है?
पोलियो से होने वाले पक्षाघात को टीकाकरण से रोका जा सकता है| मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की चोट से होने वाले पक्षाघात को जो कुछ मामलों में उचित सुरक्षा उपायों का उपयोग करके रोका जा सकता है|
इसके अलावा, यह आमतौर पर पक्षाघात के कारण को रोकना के संभव नहीं है |
कुच्छ एक कारण जेसे
रक्तचाप या ब्लड प्रेशर के बड़ने से होने वाले मष्तिष्क में रक्त लीकेज / ब्लड क्लोट के कारण ब्लोकेज से आदि जेसे कारणों से हो जाने वाले पक्षाघात को इनकी चिकित्सा द्वारा रोका जा सकता हे| दवाओं का प्रयोग रीढ़ की नसों को नुकसान की मात्रा सीमित करने की कोशिश में सूजन को कम करने के लिए रीढ़ की हड्डी में चोट के समय पर किया जाता है|
पक्षाघात से पीड़ित हुए रोगी की चिकित्सा में संक्रमण होने से रोकना और दबाव घावों से बचने पर जोर दिया जाता हे | सामन्यतय अधिकांश लोग की प्रारभिक चिकित्सा जो लगभग एक सप्ताह हो सकती हे, के बाद शरीर की स्वनियंत्रित प्रणाली द्वारा ठीक हो सकती हे| पर यदि शारीरिक अवयव जेसे हाथ/पैर आदि की मांस पेशियाँ जो मस्तिस्क से आदेश लिया करती थी वे आदेश न मिल पाने के कारण निष्क्रिय अवस्था में आ जाती हे को इस निष्क्रियता से हटाने के लिए फिजिकली एक्सरसाइज आदि की सहायता करना होती हें| इस अवस्था में रोगी कोई भी सहयोग नहीं करना चाहता , वह अधिक आराम पसंद हो सकता हे जो की मनोवैज्ञानिक कारणों से हो सकता हे | यदि लगातार कुछ माहों तक मांस पेशियाँ को सक्रिय नहीं रखा गया तो व्यक्ति हमेशा के लिए अपंग जेसी स्थिति में भी आ सकता हे|
इसके ही लिए आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा (देखें पंचकर्म से स्वास्थ लाभ: ) के माध्यम से रोगी में अंतर्निहित मनोवैज्ञानिक समस्या के साथ मांस पेशियों को सक्रियता प्रदान की जा सकती हे| इस चिकित्सा में ओषधियो के माध्यम से भी संक्रमण /रक्तचाप/और रक्त में थक्का जमने से रोकने के लिए सहायता की जाती हे| सतत पाचन सस्थान के क्रिया कलाप पर भी ध्यान भी बस्ती आदि द्वारा किया जाता हे|
कुल मिलाकर जितने जल्दी (रोग आक्रमण के एक सप्ताह के बाद से हे) अधिक सक्रिय करने पर ध्यान दिया जायेगा उतना जल्दी और अधिक लाभ होगा | देर करने से या रोगी की मनोवृति "केवल आराम"करने दिया गया तो शेष जीवन अपंगता की स्तिथि में रहने की सम्भावना अधिक हो जाती हे|
पक्षाघात के बाद भी जो उक्त पंचकर्म चिकित्सा ले लेते हें वे पुनह सामान्य जीवन प्राप्त कर सकते हें|
एक बात ध्यान रखने की हे की मष्तिष्क के कारण जो लकवा ग्रस्त हुए थे वे पुनह शरीर की स्वयं ठीक कर देने वाली शक्ति से कभी कभी पूरी तरह से ठीक भी हो जाते हें ,ऐसे में यदि कोई जादू-मंतर/ देवी देवता आदि की मन्नत मानी हे तो यह समझने की भूल हो जाती हे की देवी या मंत्रो ने ही रोगी को ठीक किया हे| पर यदि हाथ पेरों की मांस पेशियों के काम न करने देने या आराम के कारण अपंगता की स्तिथि जीवन भर बनी रह सकती हे |
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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