- हरड दातों से चबा कर खाने से अग्नि(भूख) बढाती हे।
- हरड पीस कर खाने से मल का शोधन(शोच ठीक करना) करती हे।
- हरड भून कर खाने से तीनो दोषों को ठीक करती हे।
- हरड भोजन के साथ खाने से बुद्धि और बल बढाती हे।मल मूत्र को साफ करती हे।
- भोजन के बाद खाई गई हरड खाए अन्न और जल के दोषों को दूर करती हे।
- हरड लवण (नमक) के साथ खाने से कफ दोष, मिश्री के साथ पित्त(जलन आदि)दोष ,घी के साथ सेवन से वात( दर्द युक्त) दोष एवं गुड के साथ सम्पूर्ण दोषों को नष्ट करती हे।
- हरड वर्षा ऋतु में सेंधा नामक के साथ शरद ऋतु में पीपर(लेंडी पीपल) के साथ, वसंत ऋतु में मधु(शहद) के साथ ग्रीष्म ऋतु में गुड के साथ खाने से परम रसायन( सभी रक्त, मांस आदि शारीर की धातुओं का पोषण कर सशक्त बनाना) का काम करती हे।
- बबासीर में सेंधा नमक के साथ पर खूनी बबासीर में इसका क्वाथ(काडा) दिया जाना लाभकारी हे। चूर्ण को गुड के साथ देने से खुनी बबासीर में लाभ होता हे।
- अर्श के मस्से पर इसको पानी के साथ पीस कर लेप करने से सुजन और दर्द ठीक होता हे।
- अधिक पसीना आने,पुरानी सर्दी जुकाम,नजला(नाक बहना),चोट के घावों के पाक जाने पास बहने की समस्या से इसका सेवन छुटकारा दिलाता हे।
- मुहांसे या मुहं पर व्रण इसे घिस कर लगाने से ठीक होते हें।
- हरड का चूर्ण गरम पानी के साथ देने पर 'हिचकी' आना बंद हो जाती हें।
- हरड का मुरब्बा आमातिसार (नए दस्त) बंद कर भूख बढाता हे।
बाज़ार में इससे बनी निम्न ओषधियां मिलती हें जो विवरण अनुसार लाभकारी हें।
*त्रिफला चूर्ण या गोली, * अभयारिष्ट * हरड मुर्रब्बा
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बहेड़ा (टर्मिनेलिया वेलेरिका) - तीसरा सर्व श्रेष्ट.
त्रिफला एक अद्भुत ओषधि-विश्व में हुई कई शोध |:
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