Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

डेंगू जानलेवा हे -केसे बचे?

जानलेवा डेंगू हे  -केसे बचे   
एडीज मच्‍छर के काटने से होने वाला डेंगू संक्रामक रोग है और यह जानलेवा भी हो सकता है। यह मच्‍छर दिन में काटते हैं। डेंगू होने पर तेज बुखार, शरीर में दर्द, पेट में दर्द खून की उल्‍टी जैसी समस्‍यायें शुरू हो जाती हैं। इसमें रक्त के अन्दर पाई जाने वाली प्लेटलेट्स की संख्या 30 हजार से कम होने लगती हे । यह प्लेटलेट्स रक्त में रह कर कहीं से भी लीकेज अदि होने पर वहां पहुचकर थक्के के रूप में जमा होकर लीकेज को पंचर जोड़ने की तरह जोड़ कर रक्त बहने से रोकती हें। इनकी कमी से मष्तिष्क आदि में रक्त रिसने से क्षति पहुचती हे जो मोत का कारण बन जाती हे। 

      डेंगूः कैसे पहचाने डेंगू खतरनाक बन रहा हे?

अगर इनकी संख्या रक्त में 30 हजार से कम हो जाए, तो शरीर के अंदर ही खून बहने लगता है और शरीर में बहते-बहते यह खून मसूड़ों, नाक, कान, यूरीन और मल आदि से बाहर आने लगता है। कई बार यह ब्लीडिंग शरीर के अंदरूनी हिस्सों में ही होने लगती है। कई बार आपके शरीर पर बैंगनी धब्बे पड़ जाते है विशेष कर पैर के नीचे के हिस्से में लेकिन आपको इनके बारे में मालूम नहीं होता, शरीर पर अपने आप या आसानी से खरोंच के निशान बनते हें , ये निशान भी प्लेटलेट्स की कमी के कारण होते है। यह स्थिति कई बार जानलेवा भी हो सकती है। डेंगू बुखार में यदि प्लेटलेट्स के कम होने होने पर ब्लड प्लेटलेट्स न चढ़ाए जाए तो डेंगू संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

एडीस इजिप्टी मच्छर 
एडीस इजिप्टी का जनन जून में बरसात के पूर्व चालू होता हे । यह बारिश के पहले पानी की कमी की वजह से  ज्यादा पानी इकठ्टा किया जाना भी होता हे। इस समय वाहक डेंगू मच्छर  पर निगरानी करके और बारिश के मौसम पर इसके नियंत्रण के तरीके अपना कर हम डेंगू को रोक सकते हें।

डेंगू बुखार हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन छोटे बच्चों और बुजुर्गों , ह्रदय रोगियों को ज़्यादा द्यान रखना चाहिए।  यह बुखार युवाओं में भी तेज़ी से फैलता है, क्योंकि वे अलग-अलग जगह जाते हैं और कई लोगों के संपर्क में आते हैं।
डेंगू बुखार के लक्षण:  
डेंगू बुखार के लक्षण आम बुखार से थोड़े अलग होते हैं। इसमें बुखार बहुत तेज़ होता है। साथ में कमज़ोरी हो जाती है और चक्कर आते हैं। डेंगू के दौरान मुंह का स्वाद बदल जाता है और उल्टी भी आती है। सिरदर्द के साथ ही पूरा बदन दर्द करता है। 
 ठंड के साथ अचानक तेज़ बुखार होना।  सरदर्द, गले में दर्द, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना। अत्यधिक कमजो़री महसूस होना और भूख कम लगना। शरीर पर ददोरे पड़ना। 
डेंगू में गंभीर स्थिति होने पर कई लोगों को लाल-गुलाबी चकत्ते भी पड़ जाते हैं। अक्सर बुखार होने पर लोग घर में ‘क्रोसिन’ जैसी दवाओं से खुद ही अपना इलाज करते हैं। लेकिन डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर थोड़ी देर भी भारी पड़ सकती है। लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। नहीं तो ये लापरवाही रोगी की जान भी ले सकती है।

डेंगू के  इलाज में खून को बदलने की जरूरत होती है इसलिए डेंगू के दौरान कुछ स्वस्थ व्यक्तियों को तैयार रखना चाहिए जो रक्तदान कर सकें।
सामान्यतः डेंगू से ग्रसित होने वाले सभी लोगों को इससे खतरा होता है।

जरूरी नहीं हर तरह के डेंगू में प्लेटलेट्स चढ़ाए जाएं, केवल हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम डेंगू में प्लेटलेट्स की जरूरत होती है। जबकि साधारण डेंगू में जरूरी दवाओं के साथ मरीज को ठीक किया जा सकता है। 
इस दौरान ताजे फलों का जूस व तरल चीजों का अधिक सेवन तेजी से रोगी की स्थिति में सुधार ला सकता है।
सामान्य बुखार की स्थिति में संजीवनी वटी या  पैरासिटामाल दिया जा सकता है।शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित रखने का हर संभव प्रयास करें और इसके लिए आप फलों का जूस भी ले सकते हैं।संतरे के जूस के सेवन से पाचनतंत्र ठीक रहता है और प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। तुलसी और अदरक से बनी हरी चाय के सेवन से मरीज़ को अच्छा महसूस होगा और इसके स्वास्थय के  लाभ भी हैं।
आयुर्वेदिक ओषधि लघु बसंत मालती या स्वर्ण वसंत मालती तुलसी के रस और शहद के साथ देने से प्लेटलेट्स की संख्या बडने लगती हे। ज्वर भी कम हो जाता हे। इसके साथ ही बोलबद्ध रस या चन्द्रकला रस रक्त में प्लेटलेट्स को बढाकर रक्त बहने से रोकने का काम कर प्राण रक्षा करते हे। धीरे धीरे विषाणु के प्रति एंटी बॉडी बनने से  रोगी ठीक होने लगता हे।
यह एक जड़ी बूटी है जो प्लेटलेट्स की संख्या में ब्रद्धि करती hei। स्वामी रामदेव के पतंजलि योग के द्वारा स्वाइन फ्लू के चिकित्सा  के लिए सिफारिश की गई हे। यह भी बर्ड फ्लू और chikengunia के मामले में सिफारिश की है.
डेंगू का टीका 
आज डेंगू का कोई टीका नहीं है हालाँकि डेंगू का टीका बनाने की कोशिश चल रहीं हें  पर अभी तक इसका टीका नहीं बन पाया है । 
डेंगू बुखार को डेन वायरस भी कहते हैं। सामान्यतः एक बार शरीर में वायरस के प्रवेश करने के बाद डेंगू बुखार के लक्षण 4 से 6 दिन के बाद ही मालूम पड़ते हैं। डेंगू बुखार का वायरस एडीस नामक मच्छर के काटने से रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है । ये मच्छर आमतौर पर दिन के समय काटता है । लेकिन समय रहते डेंगू का उपचार किया जाए तो डेंगू बढ़ने से रोका जा सकता है। 
आमतौर पर कुछ सामान्य लक्षणों से डेंगू का अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन ये अंदाजा गलत भी हो सकता है। 
 डेंगू की पहचान के लिए रक्त जांच अनिवार्य होती है। 
आमतौर पर डेंगू की जांच कभी भी की जाए लेकिन मच्छर के काटने और डेंगू वायरस शरीर में फैलने में 4 से 5 दिन लेता है इसीलिए रक्त जांच में भी डेंगू और उसके रूपों की पहचान तभी हो पाएगी जब संक्रमित व्यक्ति में या तो डेंगू फैल चुका हो या फिर उसे तीन-चार दिन बीत चुके हो,क्योंकि डेंगू के लक्षण भी रोगी में तीन-चार दिन के बाद ही दिखाई देने लगते है। 
बच्चो में डेंगू  संक्रामक बीमारियों के चपेट में भी बच्‍चे जल्‍दी आ जाते हैं । डेंगू वायरस से सिर्फ वयस्क ही नहीं बल्कि बच्चे भी खासा प्रभावित होते है। डेंगू का जितना खतरा वयस्कों  में रहता है, उससे कहीं अधिक बच्चों में भी रहता है। 
बच्चों में डेंगू वयस्कों  के मुकाबले अधिक तीव्रता से फैलता है। शुरूआत में बच्चों में डेंगू के लक्षणों को पहचानने में थोड़ी दिक्‍कतें आती है लेकिन 3 से 4 दिन में डेंगू की पहचान आसानी से की जा सकती है।
डेंगू के लक्षण, डेंगू के प्रकार पर निर्भर करते है।
आमतौर पर बच्चोंर में होने वाले बुखार से ही डेंगू की पहचान की जाती है। यदि बच्चे में बुखार के कारण ज्ञात नहीं होते और तेज बुखार के साथ कंपकपी और शरीर में दर्द होता है तो रक्तजांच से डेंगू की पहचान की जाती है। वयस्‍कों की तरह ही बच्चों के शरीर पर भी लाल रैशिस पड़ जाते है। बच्चे को भूख न लगाना, मुंह का स्वाद खराब होना डेंगू के ही लक्षण है।सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों आदि में दर्द की शिकायत सभी डेंगू के ही लक्षण है। लगातार प्लेटलेट्स का स्तर का कम हो जाना। बच्चा बार-बार चक्क‍र आने की शिकायत करता है।
कई बार डेंगू के कारण बच्चों का ब्लड प्रेशर लो हो जाता है।
यदि बच्चा  कमजोर और बीमार दिखाई पड़ता है, उसमें चलने-फिरने की हिम्मत नहीं रहती। 
बच्चे की खेलकूद में कोई रूचि नहीं रहती, वह आराम करने की कोशिश करता है लेकिन वह भी सही तरह से नहीं कर पाता हो तो डेंगू हो सकता हे।
केसे बचे डेंगू से ?
डेंगू से बचने का एकमात्र उपाय है मच्छरों से बचना। 
डेंगू से बचने के लिए मच्छरों से बचना बहुत ज़रूरी है जिनसे डेंगू के वायरस फैलते हैं । ऐसी जगह जहां डेंगू फैल रहा है वहां पानी को जमने नहीं देना चाहिए जैसे प्लास्टिक बैग, कैन ,गमले, सड़को या कूलर में जमा पानी । मच्छरों से बचने का हर सम्भव प्रयास करना चाहिए जैसे मच्छरदानी लगाना,पूरी बांह के कपड़े पहनना आदि। 
जैसा कि हम सभी जानते है कि डेंगु वायरस से होने वाली बीमारी है इसलिए इसके इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। सावधानी बरतें और डेंगू मच्छरों से बचें यही सबसे आसान उपाय है
डेंगू का इलाज इससे होने वाली परेशानियों को कम कर के ही किया जा सकता है। डेंगू बुखार में आराम करना और पानी की कमी को पूरा करना बहुत ज़रूरी हो जाता है । हालांकि डेंगू बुखार को लेकर लोगो में बहुत सी गलत धारणाएं हैं और डेंगू से मौत भी निश्चित नहीं है। डेंगू बुखार से होने वाली मौतें 1 प्रतिशत से भी कम हैं। यह बीमारी अकसर एक से दो हफ्ते तक रहती है।

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