डायबीटीज आज एक आम रोग के रूप में दिखाई देता है, अब सब जानते हें की यह वर्तमान परिस्थितियों की देन है। परंतु पिछले कुछ समय से जब शिशुओं में भी यह पाया गया तो स्थिति बड़ी ही भयावह नजर आने लगी है। पर अकसर इस रोग का प्रारम्भ में पता नहीं चल पाता। इसका कारण कुछ भय वश कुछ अनजाने में समय रहते अर्थात लगभग 40 के आसपास सतर्क नहीं होते ओर जांच से बचते हें, यदि समय रहते जांच हो जाए तो नियंत्रण कर अधिक हानी से बचा जा सकता है।
हमारे इस लेख का उद्धेश्य भी यही है की सब जान लें, डाईविटीज से बचने के बारे में हम कई बहुत बार जान चुके हें, पर इसके अन्य पहलुओं के बारे में सब तब तक नहीं जानते जब तक यह रोग उन्हे घेर नहीं लेता।
डाईविटीज होने के पहिले होने वाले लक्षण -
 प्रमेह या इस स्थिति की चिकित्सा आसानी से की जा सकती है, पर लक्षणो को नजरंदाज यह सोच कर करना की कुछ खाने पीने से या आने-जाने से हो गया होगा ठीक हो जाएगा, तो यह सोच गलत है, अपना खाना पीना, ओर गतिविधिया वही रखना मधुमेह बना देगा।
प्रमेह या इस स्थिति की चिकित्सा आसानी से की जा सकती है, पर लक्षणो को नजरंदाज यह सोच कर करना की कुछ खाने पीने से या आने-जाने से हो गया होगा ठीक हो जाएगा, तो यह सोच गलत है, अपना खाना पीना, ओर गतिविधिया वही रखना मधुमेह बना देगा। मधुमेह की प्रारम्भिक अवस्था
यूरिन या मूत्र की जांच। अगर ब्लड शुगर 170 से ज्यादा नहीं है, तो पेशाब में नहीं आएगी।
रक्त की जांच (ब्लड टेस्ट)।
Sugar F-शुगर खाली पेट( फस्टिंग), (नॉर्मल रेंज 100-120) -जब यह जांच कारवाई जानी हो तो इस टेस्ट से तीन-चार दिन पहले से कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाना खाना चाहिए, ओर टेस्ट से पहले कॉलेस्ट्रॉल कम करनेवाली नाइसिन टैब्लेट, विटामिन-सी, ऐस्प्रिन, गर्भ-निरोधक दवाइयां आदि का बिल्कुल इस्तेमाल न करें।
Sugar PP-खाना खाने के दो घंटे बाद (नॉर्मल रेंज 130-160)।
कई बार यह भी पाया गया है की उक्त जाँचों में भी कई कारणो से शुगर होने के बाद भी नॉर्मल आती है, या कभी कभी नॉर्मल से अधिक भी आ सकती है। जबकि अन्य लक्षण मिलते हें तो इससे खुश या दुखी होने की जरूरत नहीं, इसका अर्थ यह नहीं की डाईविटीज है या नहीं है, इसका अर्थ है रक्त देते समय किन्ही कारणो से शुगर मिली है।
HB A 1 C या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट (नॉर्मल रेज़ 4% से 6 %) -
इस टेस्ट में आपको खाली पेट और खाने के दो घंटे बाद का ब्लड सैंपल देने का झंझट पालने की जरूरत नहीं है। कभी भी, किसी भी लैब में जाकर एचबीए1सी जांच के लिए रक्त सैंपल दे सकते हैं।
- किडनी पर असर कुछ साल बाद ही शुरू हो जाता है। इसे रोकने के लिए ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों को नॉर्मल रखना चाहिए।
- ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखकर आंखों की मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
- डायबीटीज के मरीजों में अकसर 65 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते दिल के दौरे की समस्या शुरू हो जाती है। इससे बचने के लिए ग्लूकोज स्तर नियंत्रण में रखने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल और तनाव पर नियंत्रण भी जरूरी है।
- अन्य दूसरी बीमारियां हार्ट अटैक, स्ट्रोक्स, लकवा, इन्फेक्शन और किडनी फेल्योर,आदि।
- स्किन व आंखों अन्य रोग।
- पैरों की समस्याएं।
- दांतों की बीमारियां।
- पुरुषों में नपुंसकता और महिलाओं में बांझपन।
- फ्रोजन शोल्डर या कंधे का जाम होना।
डाईविटीज पर ओर जानकारी
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