स्नेहन से हो सकते हें कई रोग अच्छे - क्या है स्नेहन?
Snehan, [purva karma of panchakarma] स्नेहन|
So many disease can cure by SNEHAN of panchakarma - What is Snehan?
स्नेहन {Snehan} पंचकर्म के पूर्व किया जाना वाला कार्य है, कई रोगों में केवल स्नेहन से ही रोगी को रोग मुक्त किया जा सकता है|
स्नेह का अर्थ है, विशेष प्रेम, स्नेह स्निग्ध घी तैल आदि चिकनाहट को भी कहते हें| स्निग्ध (चिकना) करने की क्रिया स्नेहन कहलाती है| स्नेह जैसे शुष्क व्यवहार को नरम बनादेता है उसी प्रकार शरीर को भी स्नेहन से मृदु या नरम बनाया जाता है| जब शरीर की रुक्षता (सूखापन) शुष्कता (खुश्की) बढ़ जाती है, तब आन्तरिक खिलाकर या पिलाकर या बाहरी अभ्यंग(मालिश) आदि से इसे दूर किया जा सकता है|
आयुर्वेद सिद्धांतों के अनुसार यह शुष्कता, रुक्षता का कारण वायु (Vata वात दोष) की वृद्धि होती है, शुष्कता से शूल (दर्द), कंडू (खुजली),आदि होने लगता है इसलिए जोढ़ों में दर्द. सर दर्द आदि को वात-विकार माना कहा जाता है, और स्नेहन इसको दूर करता है इसीलिए वात रोगों में स्नेहन श्लोक- “वाते स्नेहनम“ कहा जाता है|
स्नेहन कार्य पंचकर्म का एक पूर्व कर्म है, इसका अर्थ है की यह प्रत्येक पंचकर्म प्रक्रिया के पूर्व किया जाने वाला आवश्यक चिकित्सा कर्म है|
आयु 40 पार आप स्वस्थ्य हैं शुभकामनाएं| स्वस्थ्य रहना भी है| स्वस्थ्य रहने प्रतिदिन स्नानादि जरुरी है| व्यस्त जिन्दगी में इसी के साथ ही सप्ताह में एक बार सर्वांग अभ्यंग [ सारे शरीर पर तेल मालिश] और भाष्प स्नान यदि किया जाता रहे तो -- 1- शरीर चुस्त और दुरुस...