क्या आप अपने स्वास्थ्य के बारे में ख्याल रखना
चाहेंगे
और यह केवल आपके ही लिए नहीं उनके लिए भी जो आपको प्यार करते
हें, आपकी परवाह रखते हें। अपने स्वस्थ का ख्याल रख
कर आप अपनों को आपकी बीमारी से होने वाले कष्टों से भी बचा सकेंगे। इसे कष्ट जो संभवतय आप देख या भोग चुके हों।
जिगर
शब्द को जब भी हम सुनते हें, तब 'जिगर
वाला'आदि विशेषणों के कारण मनुष्यों
की हिम्मत के बारे में विचार आता है। पर अधिकतर नहीं जानते की ये जिगर वास्तव में
क्या है,और क्यों इस विशेषण से
जोड़ा गया है।
मानव
ही नहीं प्राणियों के शारीर का एक महत्त्व पूर्ण और बहुत आवश्यक अंगो में एक है
लीवर(LIVER)
हिंदी में यकृत भी कहते हें। उर्दू/अरबी में ही इसका नाम जिगर है।
यह
शारीर के सीधे(राईट) हिस्से में स्तिथ है (चित्र देखें)।
यह
शरीर का महत्वपूर्ण और अति आवश्यक अंग इसलिए भी है क्योंकि इसके क्षतिग्रस्त हो
जाने या नष्ट होने से पर जीवन असंभव होता है।
यह
समस्त प्राणियों में मेटाबोलिस्म (पाचन-पाचन और इससे सम्बन्धित समस्त क्रियाये)
शारीर में रक्त की आपूर्ति/शारीर पोषण का मुख्य और एक मात्र आधार है। यह ही
रक्तचाप,से लेकर अन्य समस्त क्रियाओ के लिए सीधे है जिम्मेदार और आवश्यक है।
शरीर
के इस महत्व पूर्ण भाग को क्षतिग्रस्त होने से बचाना जीवन जीने का एक मात्र रास्ता
है।
केसे-
ध्यान रखे हम इसका ?
लीवर
यकृत या जिगर की क्षति का मुख्य कारण जीवन शेली का सही न होना है।
1. बहुत देरतक सोना, और बहुत देर से जागना इसका एक बड़ा मुख्य कारण होता है।
2. सुबह में पेशाब
नहीं आना या नहीं करना ।
3. बहुत ज्यादा खाना
(अति भोजन)खाते रहना ।
4. व्रत या
लंघन के बाद अधिक और गरिष्ट खाना लीवर को हानी करता। यह अचानक लीवर पर पचाने
के दबाव बनने से होता है।
5. अधिक दवाये
(मेडिसिन्स) खाते रहना ।
6. बाज़ार की बने
खाद्य पदार्थो का अधिक सेवन- बाज़ार में उन खाद्य पदार्थो परिरक्षकों (preservatives) सहायक
मिश्रण (additives ), खाद्य रंग( food
coloring), और नकली मीठापन ( artificial
sweetener) के शारीर में अधिक प्रवेश से।
7. अधिक मात्रा
में खाना पकाने के तेल.( Consuming unhealthy cooking
oil.) का उपयोग। या अधिक प्रतिदिन तली हुई खाद्य पदार्थ खाते रहना।
चाहै आप "फिट"भी क्यों न हों।
8. एक साथ अधिक खाना
या खाद्य पदार्थ की अधिकता भी
लीवर पर पचाने का बोझ डालती है।
कच्चे या पकाया हुआ खाना भी शरीर के लिए आवश्यक मात्र में, 3-5 भागों में ( कई बार) खाया जाना चाहिए।
पूर्व
में खाया हुआ खाना पचाने (या केलोरी खर्च) किये विना खाने को रोकना चाहिए। हम सिर्फ एक अच्छी दैनिक जीवन शैली और खाने की
आदतों को अपनाने की जरुरत है। हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं की हम
अवशोषित करने के लिए अतिरिक्त और अनावश्यक खाने से
छुटकारा पा लें।क्योकि यही बात हमारे लीवर पर पचाने का बोझ डालती है और यही बोझ
लीवर को हानी पंहुचा देता है।
एक
अच्छी जीवनशेली अपनाना इसलिए जरुरी है क्योंकि ?
शारीर
की प्राक्रतिक क्रियाओ के अनुसार शाम 9 बजे - 11 का समय अनावश्यक / जहरीले रसायनों जो हमारे शारीर
में दिन भर में एकत्र हुए हें को नष्ट करने (Detoxification ) के लिए है। इस समय
आराम
करने या संगीत सुनने बचे को होमवर्क कराने,आदि में इस
समय अवधि के खर्च करना नहीं चाहिए। यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
टहलना घूमना खेलना आदि लाभकारी है।
रात्रि 11 रात्रि १ तक का समय जिगर detoxification
प्रक्रिया में रहता है इस समय एक गहरी आदर्श नींद की जरुरत होती है ताकि यकृत
को अपना कार्य करने हैतु पूरा और अधिक मात्रा में रक्त संचार (प्रवाह) मिल
सके । [जागते रहने से (रक्त मात्र बटने से) दुसरे
शरीर के अन्य हिस्सों को अधिक मिलती रहती है ]
जल्दी
एक सुबह - ३ बजे तक पित्त में detoxification प्रक्रिया होती है यह समय
भी एक आदर्श एक गहरी नींद का है।
सुबह
3
- ५ का समय फेफड़ों में detoxification
का है, इसलिए कभी कभी इस समय स्वास - खांसी से ग्रस्त मरीजों के लिए विशेषकर Detoxification प्रक्रिया की विशेष जरुरत होती है।
प्रात
(सुबह) ५से ७ का समय बृहदान्त्र
के , detoxification का है आप को अपने आंत्र को खाली (शोच आदि द्वारा) करना चाहिए चाहिए,इस समय सोना हानिकारक होता है।
7 सुबह 9 बजे: का समय छोटी आंत में पोषक तत्वों का अवशोषण का हो जाता है आप,इस समय नाश्ता कर कर लें । बीमार नाश्ता 7:30 से पहले कर लें यह बात फिट रहने
के चाहत वालों के लिए बहुत लाभकारी है। जो हमेशा सुबह
का नाश्ता नहीं लेते उन्हें अपनी आदतों में परिवर्तन करना चाहिए।
बहुत
देर रत तक सोना और बहुत देर से जागने के कारण अनावश्यक रसायनों (detoxification ) को हटाने की प्रक्रिया को बाधित करेगा।
यहाँ इन कारणों के अतिरिक्त और भी कई कारण लीवर को क्षतिग्रस्त करने
के हो सकते हें जेसे शराब सेवन,कुपोषण,पानी की कमी आदि की चर्चा पाहिले भी की जा चुकी
है शामिल नहीं किये हें। (पूर्व पोस्ट देखें)।
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