Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

चावल से चिकित्सा

 चावल (Rice)के बारे में?

 आप क्या जानते हें?

     धान्य/शाली/तांदुल /भात/चोखा/अर्ज(अरबी)/आरिशी/नेलु/Oryza Satava आदि नामो से भी जाना जाने वाला चावल के बारे में कुछ लोगों का मानना हे की इसे खाने से मोटापा बढता हे, यह एक भ्रान्ति हे, कुछ लोग चावल को पूर्ण भोजन के बाद खाते हें,तब यह अतिरिक्त भोजन ही बजन बढाने का कारण होता हे।
 Nutrients: Content per 100 g-
 विरूद्ध आहार-विहार:अर्थ हे, एक साथ नहीं खाए खाद्य
चावल में पानीWater 12.9 % / मांस वर्द्धक तत्व(प्रोटीन)-7.5g / चर्बीLipids-6%/ Carbohydrate 77.8 gFiber 1.4 g /
     चावल अधिक चमकदार एवं सुन्दर बनाने के लिए इस पर पोलिश की जाती हे। इससे इसके ऊपर की पर्त जो मांस वर्द्धक,एवं तेल सहित, विटामिन्स और खनिज का भंडार होती हें नष्ट हो जाती हे , इससे चावल के गुण कम हो जाते हे। बिना पोलिश का चावल अधिक गुणवान और पोष्टिक होता हे पर स्वाद और रंग रूप के मान से कम होने के कारण पसंद नहीं किया जाता। 
सामन्यतय इस अन्न में विटामिन कम होने से जिन प्रान्तों मे इसे प्रमुख रूप से खाया जाता हे,वहां या केवल चावल पर निर्वाह करने वालों को "बेरी-बेरी" नामक रोग हो जाता हे।    
    चावल बहुत सारे देशों में मुख्य भोजन में शामिल है, लेकिन क्या आपको पता है चावल शारीरिक स्वास्थ के लिए भी उपयोगी होता हे। यह पचने में भी आसान होता है। चावल जितना पुराना हो उतना ही स्वादिष्ट और पोष्टिक होता है। चावल को सब्जी,
दाल, मछली और मांस आदि के साथ खाना चाहिए ताकि विटामिन्स और खनिजो की पूर्ति भी होती रहे।
  चावल के लाभ
  1. चावल के मांड यानी पकाते वक्त बचा हुआ सफेद गाढा पानी बहुत काम का होता है। उसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए चावल को मांड सहित खाना चाहिए।
  2. कमजोर पेट वालों के लिए चावल का मांड बहुत फायदेमंद है। चावल का मांड खाने से खाना पचाने में आसानी होती है। चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढंककर रख दीजिए, फिर उसके खाइए ज्यादा फायदा होगा।
  3. यदि डिनर में रोटी कम खाई जाए और चावल को प्रयेग ज्यादा किया जाए, तो यह हल्का भोजन आपके स्वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होगा।
  4. तीन साल पुराना चावल काफी स्वादिष्ट व ओजवर्धक होता है। इसलिए पुराने चावल का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए।
  5. अगर पेट की समस्या हो तो चावल की खिचडी का सेवन करना चाहिए।
  6. आतिसार और पेचिश पडने पर चावल खाना चाहिए। अतिसार में चावल को आंटे की लेई की तरह पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएं, इससे अतिसार में फायदा होगा।
  7. चावल और मूंग के दाल की खिचडी खाने से दिमागी विकास होता है और शरीर शक्तिशाली होता है।
  8. अतिसार, पेचिश, या दस्त होने पर चावल का प्रयोग करना चाहिए। चावल को दही के साथ खाने से  फायदा होता है।
  9. यदि भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शक्कर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है।
  10. अगर पेशाब में कोई समस्या हो तो चावल के धुले पानी में सोडा और शक्कर मिलाकर पीने से पेशाब की समस्या दूर हो जाती है। यही पेय मूत्र विकार में भी काम आता है।
  11. माइग्रेन या आधासीसी की समस्या हो तो रात को सोने से पहले चावल को शहद के साथ मिलाकर खाने से लाभ होता है। एक सप्ता‍ह ऐसा करने से सरदर्द की समस्या समाप्त हो जाएगी।
  12. यदि महिलाएं गर्भ निरोधक प्रयोग नहीं करना चाहती हैं तो चावल धुले पानी में चावल के पौधे की जड़ पीसकर छान लें। इसमें शहद मिलाकर पिएं। यह हानिरहित सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय है।
  13. सफ़ेद चावल के पानी से चेहरे को धोने से रंग साफ़ होता हे ।
  14. लाल चावल मूत्र सम्बन्धी रोगों जलन आदि के लिए लाभ दायक हे। 
चावल न खाएं  जिन्हें -
पथरी या स्टोन के रोगियों एवं मधुमेह,( डायबिटीज) के रोगी को चावल नहीं खाना चाहिए।

चावल की के साथ दूध,घी,शक्कर,एवं शहद, खाने से इसके द्वारा होने वाली हानि को रोका जा सकता हे। 


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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
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