इसके कुछ कारण निम्न हो सकते हें।
हार्मोन किसी कोशिका या ग्रंथि द्वारा प्रवाहित ऐसे रसायन होते हैं जो शरीर के दूसरे हिस्से में स्थित कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। शरीर की वृद्धि, मेटाबॉलिज्म और इम्यून सिस्टम पर हार्मोन्स का सीधा प्रभाव होता है। हमारे शरीर में कुल 230 हार्मोन होते हैं, जो शरीर की अलग-अलग क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। हार्मोन की छोटी-सी मात्रा ही कोशिका के मेटाबॉलिज्म को बदलने के लिए काफी होती है। ये एक कैमिकल मैसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सिग्नल पहुंचाते हैं।
अधिकतर हार्मोन्स का संचरण रक्त के द्वारा होता है। कई हार्मोन दूसरे हार्मोन्स के निर्माण और प्रवाह को नियंत्रित भी करते हैं।
हार्मोंस के कारण मधुमेह -
इंसुलिन नामक हार्मोंन खून में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करता है। यह हार्मोंन पेट के पीछे की और स्थित पैनक्रियाज में कुछ अल्फा और कुछ बीटा कोशिकाये होती है। अल्फा कोशिकाओ में ग्लुकागन तथा बीटा में इंसुलिन हार्मोंस बनते है। यह यकृत में उपस्थित ग्लाइकोजन निर्माण पर नियंत्रण रखता है। यह हार्मोन्स शरीर की कोशिकाओ में ग्लूकोज के आक्सीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाता हैं। तथा अतिरिक्त ग्लूकोज को यकृत तथा मांसपेशियों में ग्लायिकोजिन के रूप में छोड़ता है। यदि पैनक्रियाज में इंसुलिन कम मात्रा में बनने लगे तो यह ग्लायकोजिन अधिक मात्रा मे एकत्र होता हे, इससे व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित हो जाता है। इसीके कारण खून में शुगर की मात्रा सामान्य से अधिक आने लगती हे। इसी अनावश्यक शुगर को निकालने के लिए रोगी को बार-बार मूत्र त्यागने की प्रवृति होती है। इस प्रकार मूत्र के द्वारा काफी मात्रा में शुगर निकल जाती है। वास्तव मेन शरीर रूपी एंजिन को चलाने के लिए यही शुगर रक्त मे आक्सीजन के द्वारा एनर्जी मे बदली जाती हे ।एनर्जी न मिलने पर शरीर ओर ग्ल्यकोजन की मांग करता हे। इससे रोगी को अत्यधिक भूख, प्यास लगती रहती हे। न मिलने पर ही शरीर में कमजोरी और शिथिलता आने लगती है।
टाइप-1 डायबिटीज, इंसुलिन बनाने वाली 90 प्रतिशत से अधिक कोशिकाओं के समाप्त होने से होती है जो पैंक्रियाज में मौजूद होती है। इसका संबंध सीधे शुगर से नहीं होता है।
टाइप 2 डायबिटीज, में पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता है जो कभी-कभार सामान्य स्तर से भी अधिक मात्रा में होता है लेकिन, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के कारण इसका शरीर पर बुरा असर नहीं पडता है।
एसा माना जाता हे की मधुमेह के मरीज मीठा नहीं खा सकते हैं। यह विचार गलत हे।
मधुमेह रोगियों में सबसे बडा डर मिठाई को लेकर होता है। मधुमेह के रोगी कुछ हद तक अपने संतुलित भोजन के हिस्से के तौर पर मीठा खा सकते हैं। पर इसके लिए उन्हें अपनी खुराक में कार्बोहाइड्रेट की कुल मात्रा को नियंत्रित करना होगा। इसका अर्थ हे की यदि मीठा खा रहे हों तो अन्य कार्बोहाइड्रेट वाले खाध्य कम करना जरूरी होगा। मिष्ठान से सिर्फ कैलोरी मिलती है कोई पोषण नहीं। इसलिए मीठे को सीमित मात्रा में लीजिए, लेकिन उसे बिल्कुल दरकिनार करना उचित नहीं।
कुछ लोगों का मानना हे की मधुमेह की समस्या 40 की उम्र पार करने के बाद ही होता है। बच्चों और युवाओं को नहीं होता । जबाकि, बचपन में होने वाला रोग वयस्कों से अलग होता है। बच्चों को जब मधुमेह होता है तो उनका शारीरिक विकास नहीं हो पाता है जिसके कारण बच्चे दुबले होते हैं।
यह भी भ्रम हे की डायबिटीज मोटापे के कारण होता है ।
यह भी आम धारण है कि मोटापा के कारण मधुमेह होता है। जबकि, सभी मोटे लोग मधुमेह से ग्रस्त नही होते हैं। लेकिन मोटे लोगों को मधुमेह की चपेट में आने की संभावना ज्यादा होती है। वजन को सामान्य रखने से कुछ हद तक मधुमेह से बचाव किया जा सकता है।
विश्व स्वास्थ संगठन ने व्यापक रूप से फैल रही डायबिटीज की बीमारी से जुडे 10 तथ्यों की ओर ध्यान आकर्षित किया हे। संगठन के शोधों और अवलोकन के अनुसार, विशेष रूप से डायबिटीज विकासशील देशों में एक वैश्विक समस्या बन गया हे ।
इस रोग के कारण कई कारण हो सकते हैं लेकिन इसका प्रारंभिक कारण मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता है।
- डायबिटीज के 10 प्रमुख तथ्य हैं , डायबिटीज को एक उभरती हुई महामारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, यह बीमारी मोटापे, अधिक वजन और शारीरिक गतिविधि न करने के कारण तेजी से फैल रही है।
- मधुमेह के कारण अगले 10 वर्षों में 50 % बढने की संभावना है। अपर-मध्यम आय वाले देशों में 80 % अधिक मौतें होने की संभावना है।
- टाइप-1 डायबिटीज पार्याप्त इंसुलिन के उत्पादन की कमी और टाइप-2 डायबिटीज उपलब्ध इंसुलिन के अप्रभाव के कारण बढता है। टाइप-2 डायबिटीज, इंसुलिन के सही तरीके से प्रयोग न कर पाने के कारण टाइप-1 मधुमेह की तुलना में ज्यादा सामान्य है। इसके अलावा, यह डायबिटीज को दुनिया में 90% फैलाने में सहायक होता है।
- रिपोर्ट के अनुसार बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना कम थी। कई देशों में, बच्चों और किशोरों में टाइप-2 डायबिटीज मामलों का पता हालिया शोधों से चला।
- मधुमेह का बढता प्रकार और जो कि मधुमेह का तीसरा प्रकार है उसे गर्भावधि मधुमेह कहते हैं, जिसका पता या पहले गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर या हाइपरग्लाइसीमिया (hyperglycaemia) के बढने से होता है।
- 2005 में 1.1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत मधुमेह के कारण हुई। जो लोग मधुमेह की बीमारी के साथ कई साल तक जीवित रहते हैं उनकी मौत का कारण अक्सर दिल की बीमारी या गुर्दे के काम न करने से होता है।
- दुनिया भर में डायबिटीज से 80 % मौतें कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में होते हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं के अपर्याप्त उपयोग के साथ-साथ इस रोग के बारे में जागरूकता की कमी के कारण अंधापन, किड्नी की कमजोरी जैसे रोगों को बढाते हैं।
- स्वस्थ भोजन और 30 मिनट तक शारीरिक व्यायाम कर डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है। जोशीली गतिविधि करने से दिल स्वस्थ और शरीर के अन्य अंग ठीक से कार्य करते हैं, खासकर किड्नी। एक स्वस्थ आहार शरीर के सामान्य वजन को बनाये रखता है ।
- तंबाकू से परहेज करने से डायबिटीज की शुरूआत से बचाव किया जा सकता है, खासकर टाइप-2 डायबिटीज से।
मधुमेह जीवन पर्यंत रोग है क्योंकि अभी तक इसका स्थायी उपचार उपलब्ध नहीं हो पाया है। हालांकि, दवाईयों और इंसुलिन के इंजेक्शन से इसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है। उचित तरीके से रहन-सहन और खान-पान से डायबिटीज के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के चिकित्सको का प्रारम्भ मे मानना था की की डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। जबकि चरक/ सुश्रूत/ वाग्भट्ट ने इसकी चिकित्सा हेतु कठोर परिश्रम, खूब चलना व्यायाम ओर अधिक दूध घी से बने पदार्थो आदि का निषेध कर चिकित्सा बताई हे। अब नए शोध के अनुसार आधुनिक चिकित्सक भी डायबिटीज के मरीज को सक्रियता पर ध्यान देने लगें हें। उन्हे दिन में कम से कम 30 से 40 मिनट तक व्यायाम करने की सलाह दी जाने लगी हें। व्यायाम करने से वजन नियंत्रित रहता है और ग्लूककोज पर नियंत्रण रहता है।
मधुमेह के कुछ मरीजों को लगता है कि पेशाब में ग्लूकोज न आने का मतलब है कि डायबिटीज समाप्त हो गया। जबकि, मधुमेह पर नियंत्रण होने का मतलब है कि खून में ग्लूकोज की कमी होना, ना कि पेशाब में। अत: नियमित रूप से ग्लूकोज के स्तर की जांच कराते रहना चाहिए।
डायबिटीज रोगी को अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखना चाहिए। डायबिटीज रोगियों के लिए स्वस्थ आहार भी ज़रूरी होता है। यदि डायबिटीज रोगी अनुचित आहार लेंगे तो उन्हें स्वास्थ्य बिगड़ने के साथ-साथ कई अन्य बीमारियां होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। लेकिन इसके साथ ही यह जरूरी है कि डायबिटीज रोगी को पता हो कि उन्हें आहार में क्या कुछ लेना चाहिए यानी उनके लिए अनुचित आहार क्या है और उचित क्या।
स्वस्थ आहार के लिए डायबिटीज के दौरान मरीजों को क्या लेना चाहिए।
शोधों में भी ये बात साबित हो चुकी है कि डायबिटीज के इलाज में दवाओं से अधिक पौष्टिक और स्वस्थ आहार कारगर साबित हो सकता है। ऐसे में रोगी को संतुलित आहार ही लेना चाहिए।
डायबिटीज रोगियों को ऐसा आहार लेना चाहिए जो जल्दी पच जाए और साथ ही घुलनशील फाइबर युक्त आहार हो।
डायबिटीक मरीजों को ऐसे फाइबर युक्त फल खाने की सलाह दी जाती हे। इससे आंत को साफ रखने मेन मदद मिलती हे।
डायबिटीज के रोगियों को कार्बोहाइड्रेट के लिए मोटा अनाज, भूरे चावल, प्रोटीन युक्त पदार्थ, इत्यादि लेना चाहिए।
हालांकि डायबिटीज मरीज का आहार सामान्य व्यक्ति के आहार से बहुत अलग नहीं होता लेकिन डायबिटीज के मरीजों को अधिक मीठा, चिकनाई युक्त खाना न खाने की सलाह दी जाती है साथ ही उन्हें एक्सरसाइज और व्यायाम की भी सलाह दी जाती है।
आमतौर पर डायबिटीज रोगी को खाने में अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, टोंड दूध इत्यादि लेना फायदेमंद होता है, इससे रोगी को संतुलित आहार के साथ-साथ कैलोरी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट इत्यादि भी भरपूर मात्रा में मिलेगा जो कि डायबिटीज रोगी के लिए फायदेमंद है।
डायबिटीज रोगियों को खानपान के साथ ही तरल पदार्थों का सेवन भी करना चाहिए। इसके लिए आप पानी की मात्रा बढ़ा सकते हैं। या फिर आप इसके अलावा नींबू पानी, गुनगुना पानी, फलों का रस, सब्जियों का रस, सूप इत्यादि भी ले सकती हैं। रोगी को पेय पदार्थ ज्यादा से ज्यादा लेने चाहिए। जितना हो सके पानी पिएं। पेय पदार्थ लेने से शरीर के फालतू तत्व बाहर निकलते हैं। रेड मीट न लें। खाना सोने से दो घंटे पहले खाएं सोते समय दूध लेने से पेट खाली नहीं रहेगा क्योंकि प्रोटीन डाइट पचने में देर लगती है।इससे भी डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।
इनसे बचें-डायबिटीज के रोगी को आहार में जड़ एवं कंद, मिठाइयाँ, चॉकलेट, तला हुआ भोजन, सूखे मेवे, चीनी, केला, चीकू, सीताफल इत्यादि चीजों को खाने से बचना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह पर डायबिटीज रोगी स्वस्थ आहार के लिए अपना डायट चार्ट भी बनवा सकते हैं या फिर किसी डायटिशियन से भी कंसल्ट कर सकते हैं। ऐसे में डायबिटीज रोगी सही रूप में डायबिटीज कंट्रोल करने में सफल होंगे।
- करेले का जूस, रात में भिगोया मेथी दाना व जामुन मधुमेह में फायदेमंद है।
- खाना जल्दी में न खाएं। धीरे-धीरे चबा कर अच्छी तरह खाएं।
- भरपेट भोजन कभी न करें।
- खाना खाते समय बातचीत न करें, न ही टीवी देखें। तनावग्रस्त होने व थके होने पर भोजन न करें, क्योंकि इस तरह की स्थिति होने पर पाचन-क्रिया ठीक ढंग से काम नहीं करती। भोजन ठीक से न पचने के कारण शुगर लेवल बढ़ जाता है।
- सब्जियां सैलेड के रूप में खाएं।
- ये पांचफल-केला, चीकू, आम, लीची व अंगूर कम खाएं। सब्जियों में आलू-अरबी, जिमिकंद, कटहल और शकरकंदी हानिकर हैं। यदि इनमें से कुछ खाते हैं तो बाकी खाने में कैलरी संतुलित करें।
- रेशेदार फल व सब्जियां खाएं। खाने से पहले इन्हें लेने से इनके फाइबर खाने में मौजूद शक्कर को सोख लेते हैं।
- याद रखिए ब्रेन को सुचारु रूप से काम करने के लिए जो ऊर्जा चाहिए वह ग्लूको़ज से ही मिलती है और पूरे तौर पर इससे परहेज करने पर ब्रेन ठीक से काम नहीं कर पाएगा। इसलिए खाएं सबकुछ लेकिन अनुपात में। आगे जानिए कुछ स्वादिष्ट व्यंजनों की विधियां जिन्हें आप खा सकते हैं।
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