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दूसरों के द्वरा धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर- विश्व में मौत का सबसे बड़ा कारण होगा?

दूसरों के द्वरा धूम्रपान-  फेफड़ों का कैंसर, विश्व में मौत का सबसे बड़ा कारण होगा?
सैकंड हैंड स्मोक महिलाओं के लिए खतरे की घंटी?
पहले सिग्रेट व उससे होने वाले लंग कैंसर का नाम सुनकर लोग उसे पुरुषों से संबंधित मानते थे। लेकिन पुरूषों की बीमारी समझे जाने वाला लंग कैंसर
दूसरों के द्वरा धूम्रपान-  फेफड़ों का कैंसर, विश्व में मौत का सबसे बड़ा कारण होगा?
  अब पुरूषों तक ही नहीं बल्कि महिलाओं के समीप पहुंच गया है। इसके बारे में नई दिल्ली के पूसा रोड स्थित बी एल कपूर अस्पताल के कैंसर रोग विषेशज्ञ डॉ.अमित अग्रवाल का कहना है,  कि लंग कैंसर से संबंधित आंकड़ों को देखा जाए तो पुरूष तो पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए लंग कैंसर अब गले का फंदा बनता जा रहा है। 
अक्टूबर 2012 में प्रकाशित लंदन स्थित किंग्स कालेज की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले तीन दशकों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में होने वाला फेफड़ों का कैंसर 35 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।  आने वाले तीस वर्षों तक फेफड़ों का कैंसर विश्व में मौत का सबसे बड़ा कारण रहेगा। 2010 की अपेक्षा 2040 में दोगुने लोग कैंसर से पीड़ित होंगे।  इसके मुख्य कारण हैं-लंबा जीवनकाल, बढ़ती उम्र व कैंसर की बढ़ती संभावना। 
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार 1975 से 2007 के बीच पुरुषों में होने वाला फेफड़ों का कैंसर 9 प्रतिशत से घटकर 7.2 प्रतिशत हो गया है जबकि वहीं औरतों में होने वाला फेफड़ों के कैंसर की दर बढ़ती जा रही है. यह दर दोगुनी हो गई है. 1975 में यह संख्या 2.4 प्रतिशत थी जो कि अब बढ र 5.5 हो गई है. 2013 में फेफड़ों के कैंसर के लगभग 228190 नए केस आने की संभावना है। 
कारण-
सैकंडहैंड स्मोक- बेशक आप सिग्रेट न पीते हों लेकिन आप के आसपास कोई सिग्रेट पीता है या आप किसी भी प्रकार उसके धुएं के संपर्क में आते हैं तो भी आप लंग कैंसर का शिकार हो सकते हैं।  इसे सैकंड हैंड स्मोक कहते हैं. प्रत्येक वर्ष केवल अमेरिका में सैकंड हैंड स्मोक से होने वाले लंग कैंसर से लगभग 3000 लोगों की मौत होती है. पूरे विश्व में 21000 से भी जयादा लोग सैकंड हैंड स्मोक के कारण लंग कैंसर की चपेट में आकर मौत के मुंह में चले जाते हैं. सिग्रेट पीने वालों के आसपास रहने से आप 20 से 30 प्रतिशत तक लंग कैंसर से लिप्त होने की संभावना के घेरे में रहते हैं। 
एच पी वी वायरस का संक्रमण- कई बार यदि महिलाओं को एच पी वी का संक्रमण होता है तो उससे भी किसी-किसी केस में लंग कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।  
घरों में रैडोन नामक गैस के संपर्क में आना- रैडोन एक ऐसी गैस है जिसकी कोई दुर्गंध या रंग आदि नहीं होता है. यह घरों में सीवर लाइन, पाइपों में क्रैक, पानी के पाइप, टूटी दीवार व जमीन के माध्यम से घरों में प्रवेश कर सकती है. विश्व में 15 प्रतिशत लंग कैंसर की वजह इस गैस का कहर होता है। 
केमिकल आदि का प्रकोप- कुछ प्रकार के केमिकल, वायु प्रदूषण, लकड़ी का धुंआ कुछ ऐसे कारण हैं जो कि जाने अनजाने में लंग कैंसर को चार गुना बढ़ावा देते हैं। 
एस्ट्रोजन- एस्ट्रोजन नामक हार्मोन भी महिलाओं में लंग कैंसर पैदा करने में एक अहम भूमिका निभाता है. कई अध्ययनों से पता चला है कि जिन महिलाओं के मेनोपोज से पहले ओवरी को शल्य चिकित्सा के द्वारा निकाली जाती है, उनमें लंग कैंसर पनपने की संभावना बहुत अधिक होती है।

लंग कैंसर के सामान्य लक्षण -
  • खांसी व खांसते समय खून आना,
  • छाती में दर्द व जकडन,
  • बैक पेन
  • सांस लेने में तकलीफ
  • बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना
उपचार-  कीमोथैरेपी । 
डा.अमित अग्रवाल के अनुसार केस को देखते हुए कीमोथैरेपी लंग कैंसर के उपचार में प्रयोग की जाने वाली पद्धति है।  कीमोथैरेपी शब्द, कैमिकल अर्थात् रसायन और थैरेपी यानी उपचार से मिलकर बनी है।  जिसका अर्थ होता है-वह उपचार जो रसायन या केमिकल की सहायता से किया जाए।  इस थैरेपी का निर्धारण लंग कैंसर की स्थिति के अनुसार तय किया जाता है।  इसके देने के तरीके अलग-अलग होते हैं। कभी-कभी यह ड्रिप या सूई से दी जाती है या फिर यह गोली के रूप में मुंह में डाला जाता है।  इसके अलावा यह एक छोटे से पंप के जरिए, शरीर के अंदर भी पहुंचाया जाता है। लेकिन कभी-कभी कीमोथैरेपी की खुराक को लेकर मुश्किलें आती हैं क्योंकि अगर खुराक बहुत कम है, तो यह कैंसर के खिलाफ अप्रभावी हो जाता है जबकि अत्यधिक खुराक रोगी के लिए असहनीय हो जाता है।  इसलिए इस थैरेपी के दौरान डाक्टर काफी सजग होते हैं। 
कीमोथैरेपी के फायदे
डॉ.अग्रवाल का कहना है कि इसमें केमिकल या रसायन की मदद से कैंसरग्रस्त सेलों के विभाजन को रोका जाता है। इसमें उन सभी सेलों को लक्ष्य बनाया जाता है जो कि तेजी से विभाजित हो रही हों. कीमोथैरेपी उन केसों में इस्तेमाल होता है, जिसमें कैंसर अन्य भागों तक फैल चुका होता है. कीमोथैरेपी, ल्यूकेमिया और लिंफोमा में अवष्य इस्तेमाल होता है. इस प्रक्रिया को रुक-रुक कर कुछ समय के अंतराल पर किया जाता है ताकि इन डोज के बीच में शरीर को इसके दुष्प्रभावों से लडने की ताकत मिलती रहे। 
ध्यान देने योग्य बातें-
जो महिलाएं सिगरेट पीने की आदी हैं, वे सिगरेट का सेवन त्याग दें।
सिगरेट पीने वाले लोगों से दूरी बनाकर रखें। 
घरों में रैडोन की जांच कराएं। 
पौष्टिक आहार लें। 
व्यायाम करना न भूलें।
 लेख साभार । 
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