Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

लीवर - शरीर का विषों/ रसायनो/ शराब/ जहर/ ड्रग्स आदि के विरुद्ध(डीटॉक्सीफिकेशन) चौकीदार!

क्या है लीवर?

   शरीर में लीवर, यकृत या जिगर को आयुर्वेद में रक्तवह (रक्त को धारण करने वाला) स्त्रोतस कहा गया है, यह पेट मे ऊपरी दाएँ भाग में स्थित दिखने त्रिभुज आकार का सबसे बड़े ठोस अंगों में से एक है। लीवर का अधिकांश भाग छाती या रिब की हड्डियों के नीचे होता है।
लीवर - शरीर का विषों/ रसायनो/ शराब/ जहर/ ड्रग्स आदि के विरुद्ध(डीटॉक्सीफिकेशन) चौकीदार!

शरीर में क्या करता है लीवर? 

    इसे आयुर्वेद अनुसार रक्त को धारण करने वाला (रक्तवह स्त्रोतस) कहने का प्रमुख कारण इसके द्वारा ग्लूकोज से बनने वाले ग्लाइकोजन (शरीर का इन्धन) को एकत्र करना, और आवश्यकता होने पर, ग्लाइकोजन को ग्लूकोस में परिवर्तित कर रक्तधारा में प्रवाहित करना होता है, जिससे जीवन की गाड़ी चलती रहे।

   इसके साथ ही लीवर का काम पचे हुए भोजन से फेट्स और प्रोटीनस को अलग कर पोषण में मदद, रक्त का थक्का बनाने के लिये आवश्यक प्रोटीन को बनाना, ताकि रक्त बहने से रोका जाता रहे, शरीर में आए या पैदा हुए विषों/ रसायनो/ शराब/ जहर/ ड्रग्स के हानी कारक प्रभाव को निष्क्रिय (डीटॉक्सीफिकेशन) करना होता है। इस प्रकार कहा जा सकता है की लीवर खून की सफाई करता है।

   जब बच्चा गर्भ में रहता है तो लीवर उसके शरीर के लिए रक्त (खून) भी बनाता है।

   लीवर जिगर भी पित्त (बाइल)भी बनाता है, जो गोल ब्लेडर या पित्ताशय जो एक थेली जैसी कही जा सकती है, में जमा होकर आंतों के ऊपरी भाग (डोडिनम) में भोजन के साथ मिलकर पाचन का कम करता है। इसका अर्थ है की यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर रहा है, तो जीवन को खतरा होने ही वाला है।

           लीवर की खराबी के लक्षणों को देख कर लापरवाह बने रहना घातक हो सकता है।

क्यों खराब होता है लीवर? 

शराब का अधिक सेवन, विषेले रसायनो, ड्रग्स या दवाओं का विना सोचे समझें उपयोग, अधिक मात्रा में घी तैल के खाद्य खाना, अपथ्य (न खाने योग्य) या मिथ्या-आहार (अनाबश्यक चाट पकोड़ी, फास्ट फूड, अति मांसाहार आदि) खाने से लीवर पर उन्हे हटाने (डीटोक्सिफिकेशन) का अतिरिक काम बड जाता है, यह पूरा हो नहीं पाता और यह काम पेंडिंग काम के रूप में एकत्र होता रहता है जो लीवर को जंक स्टोर की तरह बना देता है। यह काम फिर कभी भी पूरा नहीं किया जा सकने के कारण इसे लीवर खराब होना कहते हें।

कैसे जाने की लीवर खराब हो रहा है? 


यदि आप निम्न लक्षण अनुभव करें तो यह लीवर की खराबी का संकेत हो सकता है।

1. मुंह से गंदी बदबू आना - मुंह से बदबू यदि लीवर सही से कार्य नही कर रहा है तो मुंह में अमोनिया का रिसाव अधिक होता है इससे गंदी गंध (बदबू) आती है।

2. काले घेरे या थकान भरी आंखें- आँखों के नीचे काले घेरे (डार्क सर्कल) लीवर खराब होने का संकेत देते हें। आंखों के नीचे की स्‍किन बहुत ही नाजुक होती है लीवर पर दवाव बडने से त्वचा (स्‍किन) क्षतिग्रस्‍त होने से कालापन और आँखों में थकान दिखाई पडती है।

3. पाचन तंत्र में खराबी –अपथ्य या मिथ्याहार से लीवर पर चर्बी जमा हो जाने से, या उसके फिर लीवर बड़ा हो जाने से जो पेट के बाहर से भी अनुभव किया जा सकता है। हाजमा लगातार खराब रहता है और सादा खाना पानी भी हजम नहीं ही होता हो।

4. त्‍वचा पर धब्‍बे - यदि आपकी त्‍वचा का रंग उड गया हो, वह बीमार सी दिखने लगी हो, या उस पर सफेद se धब्‍बे पड़ने लगे हैं तो ये लीवर स्‍पॉट लीवर रोग के चिन्ह होते हें।

5. गहरे रंग का मूत्र- यदि आपका मूत्र(पेशाब) या मल हर रोज़ गंदला या गहरे रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। (एक दो बार गहरे रंग का मूत्र आना पानी की कमी से भी होता है)

6. आंखों में पीलापन - यदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे और मल(लेट्रिन) सफ़ेद हो तो आपको पीलिया या जौन्‍डिस हो सकता है। इसका अर्थ है कि आपका लीवर वाइरस से संक्रमित है।

7. मुंहु में कड़वाहट– मुंह में कडुआहट मालूम होने पर जान लें, की लीवर में उत्पन्न होने वाला बाइल या पित्त आपके मुंह में पहुंच रहा है। यह पाचन के दोष से होता है।

8. पेट पर सूजन- जब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट पर सूजन आ जाती है, कभी कभी उसे हम मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं। पर जान लें की मोटापे में चर्बी नाभी se निचले भाग की और होती है, जबकि लीवर की खराबी में पेट की सूजन नाभि से ऊपरी की और।

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1 टिप्पणी:

satya ने कहा…

liver ke ilaz ke liye kuch bataye

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