Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Is our body its own doctor? -हमारा शरीर स्वयंं चिकित्सक है?

Is our body its own doctor? -हमारा शरीर स्वयंं चिकित्सक है? 
जब भी किसी को कोई रोग होता है तो रोगी उसे तुरंत ठीक करने के लिए कौशिश करने लग जाता है, पहले वह स्वयं अपनी चिकित्सा, किसी टोटके, दवा- आदि से, किसी की सलाह से या चिकित्सक के पास पहुँच जाता है| 
वह यह नहीं जानता कि प्रकर्ति स्वयं चिकित्सक  है, जो उसे स्वस्थ कर देना चाहती है| 
इस बात को निम्न कुछ उदाहरणों से समझ जा सकता है|  
हममें से सभी ने अनुभव क्या होगा की कभी कभी पानी पीते समय या भोजन के समय पानी या खाना श्वास नली में जाने के बाद खांसी उठती है- यह प्रकृतिक रूप से इस तकलीफ को ठीक करने का प्रयत्न है| 
एसा ही तम्बाकू, या कुछ ख़राब खाना आदि पेट में जाने पर उल्टी होने से भी होता है| 
चोट आदि लगाने पर कुछ दिनों में घाव कैसे भर जाता है| 
हड्डी टूटने पर बिना कुछ करे वह कुछ दिनों में कैसे जुड़ जाती है|
अधिक खाने या अनर्गल खाने पीने से उल्टी दस्त इसीलिए लगते है की उस अवांछित खाद्य को शरीर बाहर फेकना चाहता है| 
हमको चाहिए की प्रकृति के इस स्वभाव को समझें, सामान्य छोटी छोटी तकलीफों होने पर कुछ भी दवा आदि न लेकर प्रकृति को अपन काम करने दें, घबराएँ नहीं, सोचें की तकलीफ किन कारणों से हुई है, और प्रकृति उसे हटाने का प्रयत्न कर रही है, उसमें हम सहायक बनें| 
वैध्य मधु सूदन व्यास उज्जैन 
https://healthforalldrvyas.blogspot.com/2024/05/is-our-body-its-own-doctor.html

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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।

वलिष्ठ बनाने वाला भोजन ?- छोटी छोटी बातें-

वलिष्ठ बनाने वाला भोजन ?-     छोटी छोटी बातें- 

          भोजन के विषय में जनता में यह भ्रम फेला हुआ है कि शरीर को शक्ति शाली स्वस्थ्य और वलिष्ठ बनाने के लिए अधिक मूल्य वाले महंगे खाद्य की आवश्यकता होती है, इस विचार में आशिंक भी सत्यता नहीं है| 
सत्य यह है कि उचित समय (भोजन काल), उचित परिमाण (मात्रा) , उचित रूप (भोजन ठोस, तरल, परिपाक या पाचन योग्य बनाने के लिए निर्माण करना)  में, निश्चिन्त होकर ग्रहण किया जाने वाला भोजन सदा लाभ दायक होता है|  
वैध्य मधुसूदन व्यास उज्जैन. (healthforalldrvyas.blogspot.com) https://healthforalldrvyas.blogspot.com/2024/05/blog-post.html

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Irregular life invitation to serious diseases? अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण ?


 अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण ?

आज का स्वास्थ्य संदेश- क्या आप जानते हैं ?

 संसार की समस्त प्राकृतिक और पशु पक्षियों सहित प्राणी मात्र की गतिविधियाँ तो एक निश्चित समय पर सतत चलती रहतीं हैं| परन्तु हम अधिकांश इंसान अक्सर अपने जीवन की गतिविधयां विशेषकर खाने-पीने का समय नियमित नहीं रखते|

इस अनियमितता का परिणाम है, --- गंभीर रोगों का आमंत्रण { नींद का न आना, बेचेनी, से करवट बदलना, अपचन, विवंध (शोच में कमी) कब्ज, ववासीर, पेचिश , वजन का बढना, और इससे आगे चलकर गंभीर, लीवर रोग, उदर रोग, मूत्र रोग, किडनी, रोग, मेटाबोलिक रोग, प्रोस्टेट बड़ने, आदि जैसे गंभीर रोग}

हिन्दू और जैन धर्म की मान्यता के अनुसार, यदि स्वास्थ जीवन भर ठीक रकना है तो सायंकाल बाद और रात्रि गरिष्ठ भोजन को त्याग दें| और भोजन नाश्ता, चाय, दोपहर भोजन ,रात्रि भोजन आदि सही समय पर होना चाहिए|

प्रतिदिन प्रात अच्छा नाश्ता खाना जरुरी होता है, क्योंकि रात्रि भोजन के बाद १० से १२ घंटे व्यतीत हो चुके होते हैं| इस समय शरीर को अच्छी केलोरी की जरुरत होती है|

नाश्ते के ४  से ५ घंटे बाद दोपहर का खाना खाना चाहिए| अर्थात यदि नाश्ता 7 बजे लिया है तो १२ बजे के लगभग खाना खाना आवशयक है|

दोपहर के इस भोजन या लंच के बाद या ४ घंटे बाद बूस्टर डोज के रूप में फल, खाना उचित है|

दोपहर के भोजन के लगभग ८ घंटे बाद डिनर या रात्रि भोज खाना चाहिए| रात्रि के इस खाने में अच्छे स्वास्थ्य बनांये रखने सुपाच्य और दोपहर की तुलना में हलका कम केलोरी वाला खाना खाना चाहिए| चूँकि इस भोजन के ३ से ४ घंटे में सो जाया करते हैं इसलिए पूरी पकवान और वर्तमान में डिनर पार्टियों में परोसा जाने वाला गरिष्ठ खाना पचाने में शरीर को मुश्किल आती है, इसका परिणाम कई  गंभीर रोगों के द्वारा खोलता है| प्रारम्भ में युवा वस्था में तो इन समस्याओं का पता नहीं चलता पर जब कई वर्ष भोजन की अनियमितता चलती रहती है तब प्रोड़ावस्था, या बुडापे के रोगों के रूप में बेवक्त, और रात्रि के गरिष्ठ भोजन के दुष्परिणाम आते हैं और तब तक देर हो चुकी होती है, वापिस स्वस्थ जीवन नहीं पाया जा सकता| 

हिन्दू धर्म में, और जैन धर्म में इसी कारण सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध किया है| हमारे अधिकांश जैन भाई इस का पालन करते है पर हिन्दू भाई इस को भूल गए है, और पश्चात डिनर में गरिष्ठ भोजन को आदर्श मान रोगों को आमंत्रित करते रहते हैं|

आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार भी भोजन का क्रम उपरोक्त होना चाहिए|

कुछ विद्वानों ने प्रात: का भोजन रईसों की तरह अधिक केलोरी वाला, दोपहर का भोजन मध्यम वर्गीय सामान्य, और रात्रि भोजन गरीबों के भोजन के सामान, रुखा सुखा, कम केलोरी वाला सुपाच्य रखने की सलाह देते हैं| यह भोजन मन्त्र स्वास्थ के लिए सर्वथा उपयुक्त है|

मधुमेह आदि के रोगियों के लिए तो इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं|    

वैद्य मधुसूदन व्यास l

1-2- चैत्र शुक्ल 2080 / 7 मार्च 2023

पूर्व जिला आयुष अधिकारी उज्जैन

वात्सल्य सेवार्थ ओषधालय

MIG 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र.

 

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Sciatica कटिस्नायुशूल (Panchakarma and Treatment:- According to disease).

(Panchakarma and Treatment:- According to disease)   (पंचकर्म एवं उपचार :- रोग अनुसार) 

गृध्रसी या साईटिका की चिकित्सा करें घर पर|

कोविड 19 के संक्रमण त्रासदी ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के महत्त्व को भारत के जन जन तक पहुंचा दिया है| आज देश का लगभग प्रत्येक नागरिक किसी न किसी रूप में आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ ले रहा है| आयुर्वेद चिकित्सा केवल व्यावसायिक नहीं है यह रसोईघर से ही प्रारम्भ हो जाती है, इसी कारण इसके महत्त्व को समझने में देर लगी|

यूँ तो पूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा जिसमें, पंचकर्म, शल्य आयुर्वेद, रस चिकित्सा, काष्ठ ओषधि चिकित्सा आदि आदि कई अधिक विषय एसे हैं जिनमें बिना आयुर्वेद स्नातक और विशेषज्ञ आयुर्वेद के सलाह के चिकित्सा संभव नहीं है|

हम यहाँ कुछ एसे आयुर्वेद चिकित्सा विधियाँ प्रस्तुत कर रहें है जिन्हें आप अपने घर पर स्वयं करके बिना हानि के लाभ ले सकते है, यह हो सकता है की कुछ लाभ कम मिले|  यदि इसे आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के साथ करेंगें तो अधिक लाभ होगा| 

निम्न चिकित्सा से एलोपेथिक आदि चिकित्सा (दवा कहते रहने तक आराम फिर कष्ट शुरू) द्वारा कभी ठीक न हो पाने वाला यह रोग तीन माह की चिकित्सा से हमेशा के लिए ठीक किया जा सकेगा

Self care from Covid 19 - WHO Instructions (कोविड 19 से स्वयं की देखभाल - डब्लू एच ओ निर्देश)

कोविड 19 से स्वयं की देखभाल-- डब्लू एच ओ निर्देश

अगर किसी ऐसे व्यक्ति से आपका संपर्क हुआ है जिसे COVID-19 है, तो ये चीज़ें करें:- 

  1. अपने डॉक्टर या COVID-19 हॉटलाइन पर कॉल करके पता करें कि आप कब और कहां टेस्ट करवा सकते हैं|
  2. वायरस को फैलने से रोकने के लिए, उन प्रक्रियाओं में सहयोग करें जिनसे पता लगाया जाता है कि आप किस-किस के संपर्क में आए थे|
  3. अगर टेस्ट करवाने की सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो 14 दिनों के लिए दूसरे लोगों से दूर, घर पर रहें|
  4. जब आप क्वॉरंटीन में हों, तब काम, स्कूल या सार्वजनिक जगहों पर न जाएं| ज़रूरत का सामान किसी व्यक्ति से घर पर ही मंगवा लें|
  5. दूसरे लोगों से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखें, यहां तक कि अपने परिवार के लोगों से भी|
  6. दूसरे लोगों की सुरक्षा के लिए मेडिकल मास्क पहनें, अगर आपको चिकित्सा देखभाल की ज़रूरत हो, तब भी मास्क पहनें|
  7. अपने हाथों को बार-बार साफ़ करते रहें|
  8. परिवार के अन्य लोगों से अलग, किसी दूसरे कमरे में रहें| अगर ऐसा संभव न हो, तो मेडिकल मास्क पहनें|
  9. कमरे में हवा आने-जाने के लिए खिड़कियां-दरवाज़े खुले रखें
  10. अगर आप किसी अन्य व्यक्ति के साथ कमरे में रहते हैं, तो दोनों के बिस्तरों के बीच कम से कम 1 मीटर की दूरी होनी चाहिए|
  11. 14 दिनों तक खुद पर नज़र रखें कि बीमारी का कोई लक्षण तो नहीं दिख रहा है|

अगर आपको इनमें से कोई भी खतरे के संकेत मिले तो तुरंत अपने डॉक्टर को कॉल करें: सांस लेने में परेशानी, बोल न पाना या हिल-डुल न पाना, उलझन या सीने में दर्द|

अपने करीबी लोगों से फ़ोन या इंटरनेट के ज़रिए ऑनलाइन जुड़े रहकर और घर पर कसरत करके, सकारात्मक बने रहें|

who|int पर जाकर ज़्यादा जानें

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Be careful also those who have been given the Corona Vaccine (सावधान वे भी रहें जिन्हें अभी कोरोना वैक्सीन लगा है)

Be careful also those who have been given the Corona Vaccine: -
सावधान वे भी रहें जिन्हें अभी कोरोना वैक्सीन लगा है :-

कोरोना वैक्सीनेशन गति पकड़ रहा है, पर जिन्हें एक डोज लग चुकी है वे अभी भी सावधान रहें।
दूसरी डोज लगने के 15 दिन बाद ही आपका शरीर कोरोना से सुरक्षित हो पाएगा । अर्थात आप कोरोना वायरस के संपर्क में आएंगे लेकिन वह आपके शरीर पर असर नहीं कर पाएगा।
ऐसे में पहली वैक्सीन लगने से 43 दिन तक आप असुरक्षित हैं लेकिन 44 वें दिन आप सुरक्षित हो जाएंगे. लिहाजा इस पूरी प्रक्रिया में करीब डेढ़ महीने का वक्त लगेगा। हालांकि इसके बावजूद लापरवाही बरतने की जरूरत नहीं है बल्कि कोरोना से बचने के सभी उपाय करने की जरूरत है। इसकी मुख्य वजह है कि आप तो सुरक्षित हैं, लेकिन वाइरस आपके शरीर में हो सकता है वह अन्य को आपके द्वारा बरती जा रही सावधानियों से ही बचा सकेगा।
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Won't the corona grow in unlock?(क्या कोरोना अनलॉक में अधिक नहीं बढेगा?)

क्या कोरोना अनलॉक में अधिक नहीं बढेगा

डॉ मधु सूदन व्यास उज्जैन 30/08/2020

पिछले छे माहों से आतंक फैलाने वाली कोविड या कोरोना महामारी को रोकें हेतु, शासन ने अनलॉक की नई गाइड लाईन जारी की है, इसमें कुछ ही व्यवस्थाओं को छोड़कर अधिकतम को मुक्त कर दिया है|  

इस विषय में मेरा यह मानना है कि, शासन की अनलॉक करने की प्रक्रिया पूरी तरह एक सोचा समझा समझदारी का निर्णय है। इससे आर्थिक, रोजगार, आदि समस्याओं, से छुटकारे की ओर बढ़ेंगे।

How to defeat the corona monster. :- Small small measures. (कैसे कोरोना राक्षस को हराएं,:- छोटे छोटे उपाय )


कैसे कोरोना राक्षस को हराएं, ओर स्वयं परिवार, समाज, मानवता, ओर देश को स्वस्थ सम्रद्ध बनाएं।
सबकी जय हो।
Thanks to concern, for the image about Covid 19
कोरोना अब सेकेंड ओर थर्ड स्टेज में जा रहा है, यही वह समय है जब संक्रमित रोगी जो नाक बहना, खांसी, हल्का या तेज बुखार, सिरदर्द जैसे जुकाम के सामान्य लक्षण से पीड़ित दिखता है, वह रोगी अपने वाइरस औरों में फैला सकता है, इसलिए जरूरी है कि वह स्वयं को सभी से दूर कर ले, इससे संक्रमण उनके परिवार, समाज के अन्यों में नहीं जा पायेगा, स्वयं खवरायें नहीं, नाक साफ रखें विक्स, इंट्रोप्स लिकविड डिशेन, नाक कान में डालते रहें, खांसी के लिए, दूध में हल्दी, कंटकारी अवलेह, खदिरादी वटी, आयोबिन ओर कफलीन टैब डिशेन, कोफ़्लेट ,सेप्टोलीन हिमालय, जैसी जुकाम खांसी की दवा 6 से 7 दिन लें, मुहं हाथ बार बार धोते रहें, नाक कान में चीटी अंगुली से बोरोप्लस, बोरोलीन जैसी एंटीसेप्टिक क्रीम लगाए, इससे अन्य का संक्रमण आपको प्रभावित नहीं कर पायेगा, ओर यदि आपको न केवल कोरोना बल्कि अन्य इन्फ्लूएंजा, जुकाम, आदि से भी स्वयं ओर अन्य को बचाया जा सकेगा। जुकाम प्रभावित को इससे सांस लेने में सुविधा भी होगी, रोग से राहत मिलेगी।
कोरोना राक्षस को हराएं, स्वयं परिवार, समाज, मानवता, ओर देश को स्वस्थ सम्रद्ध बनाएं, ।
सबकी जय हो।

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निशुल्क चिकित्सा परामर्श
कोरोना वाइरस रोग संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि अनावश्यक कहीं आना जाना बंद कर दिया जाए।
इस दौरान यदि आप किसी रोग से ग्रस्त होते हैं तो आप मुझसे दूरभाष पर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकते है।
में एक इंटीग्रेटेड (आयुर्वेद एवं एलोपैथ) चिकित्सक ओर पूर्व अधीक्षक शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय उज्जैन पद से सेवानिवृत्त हूँ।
फोन 9425379102 / 0734 3590859 .
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Some people are worried about losing weight and some are worried about gaining weight! कुछ लोग वजन कम होने से चिंतित हैं और कुछ बडने से!

Some people are worried about losing weight and some are worried about gaining weight!
कुछ लोग वजन कम होने से चिंतित हैं  और कुछ बडने से!
निम्न इस लेख में छुपा है, शरीर का बडाने या घटाने का राज?  
इससे आप शरीर की वजन बडाने वाली प्रक्रिया के विषय में जान कर मोटापे से बच सकते हैं या वजन कम भी कर सकते है, ओर हमेशा नियंत्रित भी रख सकते हैं !!
आजकल हम आयुर्वेदिक चिकित्सकों के पास वजन कम करने ईच्छुक तो बहुत आते हैं, पर बहुत से एसे लोग भी आते हैं जो चाह्ते हैं, कि उनका वजन बड जाय। कई बच्चों के माता-पिता भी बच्चों के कम वजन से चिंतित हो कर हमारे पास आते रहते हैं। यह लेख दोनों के लिये पडना ओर अमल करना चाहिये। 
में  अपनी बात बडे ही कम शब्दों में कह रहा  हूँ, सावधानी से समझ कर पडने से आप अपना वजन कम या अधिक कुछ भी कर सकते हैं।  

Some symptoms that can tell that you are getting "Obese" now. (कुछ लक्षण जो बता सकते है की, अब आप मोटे होते जा रहे हैं।)

कुछ लक्षण जो बता सकते है की, अब आप मोटे होते जा रहे हैं।
वजन बड रहा है केसे जाने?
अक्सर हम शरीर कि छोटी मोटी समस्याओं को को नजर अंदाज करते रहते हैं। थोडे से  श्रम या पैदल चलने से सांस फूलती हो या कमजोरी मह्सूस हो, थकान, अचानक पसीना, सोते समय  खरांटे, पीठ ओर जोडों में दर्द, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में कमी का अनुभव, अकेलापन लगने लगा हो तो समझा जा सकता है की आप मोटापे की ओर बड रहे हैं। 
कैसे बचेंं इस मोटापे से?   
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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