कण्ठमाला रोग का संक्रमण एक वायरस से होता है, जो प्रत्येक कान के सामने कर्णमूलीय ग्रंथियों की सूजन का कारण बनता है | यह सुजन गाठो के रूप में बढती हें|
पैरामायक्सोवायरस जो कि एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में खाँसी,छीके, और लार,साथ ही साथ दूषित वस्तुओं और सतहों के माध्यम के साथ संपर्क से,(उपयोग किए हुए टिशू , पीने का गिलास से, गंदे हाथ,बहती हुई नाक को छुने से, फैलाता है )| एक बार कण्ठमाला रोग वायरस शरीर में प्रवेश करता है, वह खून में गुजरता है और कई अलग अलग ग्रंथियों और मस्तिष्क में फ़ैल सकता है| कण्ठमाला रोग वायरस भी मस्तिष्क में चले जाती है , जहां यह मैनिंजाइटिस (सूजन और मस्तिष्क की झिल्लियों के संक्रमण को करती है ) और इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क संक्रमण) का कारण हो भी सकता है| कभी कभी बहरापन , पक्षाघात (कमजोरी, विशेष रूप से चेहरे की मांसपेशियों में) कर सकता हे |
कण्ठमाला रोग के साथ लोगों को पहले 48 घंटे जब शुरू होता है एक अवधि कि और 6-9 दिन समाप्त होने के दौरान कण्ठमाला रोग के लक्षणों की शुरुआत के बाद ऐसा होता हैं | इसका प्रभावी टीके से पहले 1960 में उपलब्ध हो गया था |
15% से 20% रोगियों में, कण्ठमाला रोग प्रारम्भ में कोई भी लक्षण पैदा नहीं करता है| आमतौर पर 14-18 दिन में लक्षण होते हैं
कण्ठमाला रोग के लक्षणों में संक्रमण, बुखार, सिर दर्द, गले में ख़राश, मांसपेशियों में दर्द, भूख ना लगना, बीमार जेसी गिरी गिरी हालत महसूस कर सकता है| कण्ठमाला रोग वायरस दर्द करता हे कान के नीचे इअरलोब के सामने सूजन हो सकता है जिसको पेरोटिसिस कहते हें| इसके दर्द की वजह से, चबाने, निगलने में बहुत असुविधाजनक हो सकता है ,और रोगी का खाने का मन नहीं होता|
कभी कभी, पुरुष, किशोरों और वयस्कों में कण्ठमाला रोग के साथ सूजन और एक या दोनों टेस्टीकल्स में दर्द हो सकता हैं | महिलाओं में, अंडाशय में संक्रमण से पेट दर्द पैदा कर सकता है|
कुछ सेक्स के रोगियों / बच्चों / वयस्कों में साधारण या गंभीर जटिलताओं के सहित हो भी सकता है|
कण्ठमाला का रोग के लक्षण आम तौर पर 10 दिनों तक रहते है| एक बार के संक्रमण के बाद आमतौर जीवन भर के लिए कण्ठमाला रोग के वायरस से प्रतिरक्षा हो जाती हैं| कण्ठमाला रोग को होने से रोकने के लिए कण्ठमाला रोग के टीके दिए जा सकते हें|
क्योंकि कण्ठमाला का रोग के साथ रोगियों में 48 घंटे संक्रामक हैं,इस समय रोगी को अलग रखना चाहिए|आमतौर पर बच्चे जिनको कण्ठमाला का रोग होता है उनको स्कूल या शिशु देखभाल से नौ दिनों के लिए बाहर रखा जाता है |
सामान्य परिस्थितियों में चूँकि यह रोग स्वयं ही ठीक हो जाता हे अत दवाओ की जरुरत नहीं होती |इसी का लाभ झाड़,फूक, मंत्र टोना वाले लोग उठाते हें | अत उनसे सावधान रहे | पर दर्द / ज्वर अदि से बचने और शारीरिक क्षमता बांये रखने हेतु निम्न आयुर्वेदिक औषधि कारगर हें|
कांचनार गूगल २-२ /लघुबसन्त मालती रस १/४ ग्राम/ संजीवनी वटी२-२ गोली, दो या तीन बार दें| अन्य जटिलता लगती हो तो गण्डमाला कंडंन रस चिकित्सक से परामर्श कर दी जा सकती हे |
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें |.
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