Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Last phase of life and my thoughts. जीवन का अंतिम पड़ाव और मेरा विचार|

जीवन का अंतिम पड़ाव और मेरा विचार|

वैद्य मधु सूदन व्यास उज्जैन 

 (madhusudan.vyas67@gmail.com)

भारतीय संस्कृति अनुसार जीवन के चतुर्थ पायदान पर आयु के 75 से अधिक वर्ष व्यतीत कर में आज पहुँच गया हूँ, जितनी आयु का आनंद मेने उठाया है अब उससे कम वर्ष ही मुझे अब जीना है,यह में जानता हूँ|

जीवन के पिछले ७७ वर्षों में यथा संभव परिजनों की सहायता भी की| अनुभव में आया की कई परिजनों ने विगत जीवन में मेरी आर्थिक,शारीरिक आदि कई प्रकार से सहायता भी की, इस उस समय की तत्कालीन सहायता को में वर्तमान में किसी भी मूल्य पर चुकाया तो जा ही नहीं सकता, सिवाय इसके की शेष जीवन पर्यंत एसे याद रखूं|

कई परिजनों की विशेषकर नजदीकी रिश्तेदारों की सभी प्रकार की मदद करने में भी  पीछे नहीं रहा, उनमें कुछ  को आज वह सहायता अहसान लगा, तो उनने उसे वर्तमान मोल से चुका देने का उपालम्भ भी दे दिया, जिसने कुछ आघात भी पहुँचाया|  

यह सब अनुभव के बाद मुझमें कुछ अधिक परिवर्तन भी आया है: -

Ø  कई साथी, परिजन साथ छोड़ कर जाते है तो अब दुःख नहीं होता| क्योंकि आज वो गए हैं , तो कल मेरी भी बारी है|

Ø  आज में अचानक भी दुनिया छोड़ता हूँ तो भी मेरे बाद मेरे नजदीकियों का क्या होगा यह सोचना भी त्याग दिया है, क्योंकि अनुभव में आया की कई यह सोचते और जीवन भर तड़पते रहे की उनके बाद उनका क्या होगा, पर उनकी मृत्य के बाद भी उनके उत्तर वर्त्ति सामान्य जीवन जी रहे हैं|

Ø  अब मुझे किसी अधिक प्रभावशाली व्यक्ति से भी कोई भय नहीं लगता, जान गया हूँ कि कोई किसी का कुछ विगाड ही नहीं सकता, जो कर सकता है उससे कोई विशेष हानि होने वाली नहीं|  

Ø  पहिले की तुलना में अब स्वयं को अधिक समय देना शुरू कर दिया है क्योंकि में जान गया हूँ, की कोई मेरे भरोसे नहीं है,में नहीं करूँगा तो भी किसी का कोई काम रुकने वाला नहीं|

Ø  छोटे छोटे विक्रेताओं दुकानदारों से यह जानते हुए भी की वे कुछ अधिक वसूल रहे हैं, के साथ तोल मोल करना बंद कर दिया है क्योंकि जितना नजदीकियों ने लूटा उससे भी कम वे मांग रहे होते हैं, अत: उनका एसा करना बुरा नहीं लगता|  

Ø  भंगार लेने वालों, कचरे से सामान बीन कर ले जाने वालों को एसा सामान जिससे किसी को पांच –पचास मिल सकते हैं यूँ ही देकर उनके चहरे पर ख़ुशी देख अच्छा लगता है|

Ø   रास्ता चलते कभी कभी सड़क पर बेचने वालों से अनावश्यक खिलोने आदि व्यर्थ की चीजें भी खरीद लेता हूँ और उनको जरुरत मंद बच्चों या लोगों को देकर ख़ुशी का आनंद उठाने से नहीं चूकना चाहता|

Ø  घर पर या कहीं भी खाने पीने में मीन मेख नहीं निकल कर चुपचाप खाने की आदत बनाने की कोशिश कर रहा हूँ|

Ø  किसी से भी बहस करने की बजाय अब शांति से किसी की बात सुनने और सहमत होने के आदत बनाने में लगा हुआ हूँ| इससे अधिक शांति का अनुभव करता हूँ|

Ø   लोगों के अच्छे काम या विचारों की खुले दिल से प्रशंसा करता हूँ। ऐसा करने से मिलने वाले आनंद का मजा लेता हूँ।

Ø  किसी के भी द्वारा उपयोग की जा रही विलासता आदि ब्रांडेड चीज़ से व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना छोड़ दिया है। व्यक्तित्व विचारों से प्रघट होता है वस्तुओं से नहीं, में यह समझ गया हूँ।

Ø  अब में एसे व्यक्तिओं से  दूरी बनाकर रखता हूँ जो अपनी जड़ मान्यता और विचार मुझ पर थोपना चाहते हैं, और उनकी बुरी आदतों में मेरा साथ चाहते है| अब में उन्हें सुधारने की कोई भी कोशिश भी नही करता क्योंकि कई लोगों ने यह पहले ही कर दिया होता है|

Ø  अब कोई मुझसे किसी भी बात या काम में आगे जाना चाहता है तो में उसे शांति से रास्ता दे देता हूँ, अब उससे कोई प्रतिस्पर्धा नहीं चाहता| अब मुझे कोई भी प्रतिद्वंदी लगता ही नहीं |

Ø  अब मैं वही करना चाहता हूँ और करता हूँ जिससे मुझे आनंद आता है। लोग क्या सोचेंगे या कहेंगे, इसकी चिंता छोड़ दी है। किसी को खुश करने के लिए अब मेने अपना मन मारना छोड़ दिया है|  

Ø  बाज़ार, होटल में रहने खाने आदि की  बजाय घर का बना खाना, पेड़ पोधों में मन रमा कर प्रकृति के करीब जाना पसंद करता हूँ। जंक फूड की बजाय ज्वार की रोटी और सादा दाल  सब्जी में संतोष पाता हूँ।

Ø  अपने ऊपर हजारों रुपये खर्च करने की बजाय किसी जरूरतमंद को पाँच सौ हजार रुपये देने का आनंद लेना सीख गया हूँ, और हर किसी की मदद पहले भी करता था और अब भी करता हूँ। और में यह भी जानता हूँ कि वे मुझ से मदद के लिए झूठ बोल रहे हैंl

Ø  मेरे पास आने वालो रोगियों को में अब निशुल्क या उनको स्वीकार्य फीस या राशि एक बॉक्स में डलवा कर चिकित्सा कर देता हूँ| में परवाह नहीं करता की जो ओषधि में दे रहा हूँ उसका मूल्य मुझे मिल भी रहा है या नहीं| पर में अब यह भी पाया है की अब कुछ लोग मुझे कुछ अधिक ही दे देतें हैं, में उस अतिरिक्त धन को जरुरत मंदों की चिकित्सा में व्यय करता हूँ|

Ø  कोई गलत भी कहे तो में अब अपना पक्ष सही साबित करने की बजाय मौन रहना पसंद करने लगा हूँ। कुछ कहने की  बजाय चुप रह कर उनको लगने देता हूँ कि वे सही हैं l

Ø  मुझे मेरा शरीर, आत्मा, नाम, धन सब किसी ने मुझको दिया हुआ है, जब मेरा अपना कुछ भी नहीं है, तो खोने के लिए मेरे पास भी कुछ है ही नहीं|

Ø   अपनी सभी प्रकार की तकलीफों,  कठिनाइयाँ, या दुख किसी को न पहिले कभी कहता या बताता था, पर अब किसी को भी अहसास करना भी छोड़ दिया है, क्योंकि मेरे विषय में कोई जो कुछ भी समझता है उसे कहना नहीं पड़ता और जिसे समझना चाहिए वह  समझता नहीं और न ही समझना चाहता है|

Ø   अब अपने आनंद में ही मस्त रहना चाहता हूँ क्योंकि स्वयं के किसी भी सुख या दुख के लिए केवल मैं ही जिम्मेदार हूँ, यह मुझे समझ आ गया है।

Ø  हर पल को जीना सीख रहा हूँ, क्योंकि अब समझ आ गया है कि जीवन बहुत ही अमूल्य है, यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है, कुछ भी कभी भी हो सकता है, ये दिन भी बीत जाएँगे।

Ø   आंतरिक आनंद के लिए मानव सेवा, जीव दया और प्रकृति की सेवा में डूब जाना चाहता हूँ, मुझे समझ आया है कि अनंत का मार्ग इन्हीं से मिलता है।

Ø  शाश्वत सत्य समझ रहा हूँ, स्वयं में खोकर प्रकृति  में रहने लगा हूँ, मुझे समझ आ गया  है कि अंत में इसी प्रकृति की गोद में समा जाना है।

Ø  देर से ही समझा हूँ मान पर अब सब समझ आ गया है,

अब शायद मुझे जीवन जीना आ गया हैl
हो सकता है की किसी भी अन्य की नजर में में अब भी गलत हूँ? 

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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।

Irregular life is an invitation to serious diseases!!! (अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण!!!)

आज का स्वास्थ्य संदेश-

अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण!!!

वैद्य मधुसूदन व्यास उज्जैन.

 (निशुल्क चिकित्सा परामर्श हेतु फोन /व्हाट्स अप 9425379102)

 संसार की समस्त गतिविधियाँ तो एक निश्चित समय पर नियमित चलती रहतीं हैंपरन्तु हम अधिकांश मनुष्य अक्सर अपने जीवन की गतिविधियां विशेषकर खाने-पीने-सोने-जागने आदि का समय नियमित नहीं रखते|

इस अनियमितता का परिणाम होता है, गंभीर रोगों का आमंत्रण नींद का न आनाबेचेनी, करवट बदलनाअपचनविवंध (शोच में कमी) कब्जववासीरवजन का बढनाऔर इससे आगे चलकर गंभीरलीवर रोगउदर रोगमूत्र रोगकिडनीरोगमेटाबोलिक रोगप्रोस्टेट बड़नेआदि जैसे गंभीर रोग|

सनातन हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसारयदि जीवन भर स्वस्थ रहना है, तो सायंकाल बाद और रात्रि गरिष्ठ भोजन को त्याग दें, और भोजन, नाश्ताचायदोपहर, भोजन,रात्रि भोजन आदि उचित समय पर होना चाहिए|

प्रतिदिन प्रात: अच्छा स्वल्पाहार या नाश्ता करना जरुरी होता हैक्योंकि रात्रि भोजन के बाद 10 से 14 घंटे व्यतीत हो चुके होते हैंइस समय शरीर को अच्छी केलोरी की जरुरत होती है|

नाश्ते के 4 से 5 घंटे बाद दोपहर का खाना खाना चाहिएयदि नाश्ता 7 बजे लिया है तो 12 बजे के लगभग खाना खाना आवश्यक होता है|

दोपहर के इस भोजन या लंच के बाद या 4 घंटे बाद बूस्टर डोज के रूप में फलखाना उचित है|

दोपहर के भोजन के लगभग 6-7 घंटे बाद डिनर या रात्रि भोज खाना चाहिएरात्रि के इस खाने में अच्छे स्वास्थ्य बनांये रखने सुपाच्य और दोपहर की तुलना में हलका कम केलोरी वाला खाना खाना चाहिएइस भोजन के 3 से 4 घंटे में सो जाया करते हैं इसलिए पूरी पकवान और वर्तमान में डिनर पार्टियों में परोसा जाने वाला गरिष्ठ खाना पचाने में शरीर को मुश्किल आती हैइसका परिणाम कई  गंभीर रोगों के द्वारा खोलता हैप्रारम्भ में युवा वस्था में तो इन समस्याओं का पता नहीं चलता पर जब कई वर्ष भोजन की अनियमितता चलती रहती है तब प्रोड़ावस्थाया बुडापे के रोगों के रूप में बेवक्तऔर रात्रि के गरिष्ठ भोजन के दुष्परिणाम आते हैं और तब तक देर हो चुकी होती हैवापिस स्वस्थ जीवन नहीं पाया जा सकता

हिन्दू धर्म मेंऔर जैन धर्म में इसी कारण सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध किया हैहमारे अधिकांश जैन भाई इस का पालन करते है पर हिन्दू भाई इस को भूल गए हैऔर पश्चात डिनर में गरिष्ठ भोजन को आदर्श मान रोगों को आमंत्रित करते रहते हैं|

आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार भी भोजन का क्रम उपरोक्त होना चाहिए|

प्रात: का भोजन रईसों की तरह अधिक केलोरी वाला,

दोपहर का भोजन मध्यम वर्गीय सामान्यऔर

रात्रि भोजन गरीबों के भोजन के सामानरुखा सुखा ( कम केलोरी वाला सुपाच्य) रखना चहिये|

 यह भोजन मन्त्र स्वास्थ के लिए सर्वथा उपयुक्त है|

मधुमेह आदि के रोगियों के लिए तो इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं|   

वर्तमान में पश्चात् सभ्यता से प्रभावित वैवाहिक अदि कार्यक्रमों रात्रि कालीन भोजन रखा जाता है इस परम्परा को बदल कर दोपहर भोज रखा जाना उचित होगा|    


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 समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।

Is our body its own doctor? -हमारा शरीर स्वयंं चिकित्सक है?

Is our body its own doctor? -हमारा शरीर स्वयंं चिकित्सक है? 
जब भी किसी को कोई रोग होता है तो रोगी उसे तुरंत ठीक करने के लिए कौशिश करने लग जाता है, पहले वह स्वयं अपनी चिकित्सा, किसी टोटके, दवा- आदि से, किसी की सलाह से या चिकित्सक के पास पहुँच जाता है| 
वह यह नहीं जानता कि प्रकर्ति स्वयं चिकित्सक  है, जो उसे स्वस्थ कर देना चाहती है| 
इस बात को निम्न कुछ उदाहरणों से समझ जा सकता है|  
हममें से सभी ने अनुभव क्या होगा की कभी कभी पानी पीते समय या भोजन के समय पानी या खाना श्वास नली में जाने के बाद खांसी उठती है- यह प्रकृतिक रूप से इस तकलीफ को ठीक करने का प्रयत्न है| 
एसा ही तम्बाकू, या कुछ ख़राब खाना आदि पेट में जाने पर उल्टी होने से भी होता है| 
चोट आदि लगाने पर कुछ दिनों में घाव कैसे भर जाता है| 
हड्डी टूटने पर बिना कुछ करे वह कुछ दिनों में कैसे जुड़ जाती है|
अधिक खाने या अनर्गल खाने पीने से उल्टी दस्त इसीलिए लगते है की उस अवांछित खाद्य को शरीर बाहर फेकना चाहता है| 
हमको चाहिए की प्रकृति के इस स्वभाव को समझें, सामान्य छोटी छोटी तकलीफों होने पर कुछ भी दवा आदि न लेकर प्रकृति को अपन काम करने दें, घबराएँ नहीं, सोचें की तकलीफ किन कारणों से हुई है, और प्रकृति उसे हटाने का प्रयत्न कर रही है, उसमें हम सहायक बनें| 
वैध्य मधु सूदन व्यास उज्जैन 
https://healthforalldrvyas.blogspot.com/2024/05/is-our-body-its-own-doctor.html

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वलिष्ठ बनाने वाला भोजन ?- छोटी छोटी बातें-

वलिष्ठ बनाने वाला भोजन ?-     छोटी छोटी बातें- 

          भोजन के विषय में जनता में यह भ्रम फेला हुआ है कि शरीर को शक्ति शाली स्वस्थ्य और वलिष्ठ बनाने के लिए अधिक मूल्य वाले महंगे खाद्य की आवश्यकता होती है, इस विचार में आशिंक भी सत्यता नहीं है| 
सत्य यह है कि उचित समय (भोजन काल), उचित परिमाण (मात्रा) , उचित रूप (भोजन ठोस, तरल, परिपाक या पाचन योग्य बनाने के लिए निर्माण करना)  में, निश्चिन्त होकर ग्रहण किया जाने वाला भोजन सदा लाभ दायक होता है|  
वैध्य मधुसूदन व्यास उज्जैन. (healthforalldrvyas.blogspot.com) https://healthforalldrvyas.blogspot.com/2024/05/blog-post.html

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Irregular life invitation to serious diseases? अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण ?


 अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण ?

आज का स्वास्थ्य संदेश- क्या आप जानते हैं ?

 संसार की समस्त प्राकृतिक और पशु पक्षियों सहित प्राणी मात्र की गतिविधियाँ तो एक निश्चित समय पर सतत चलती रहतीं हैं| परन्तु हम अधिकांश इंसान अक्सर अपने जीवन की गतिविधयां विशेषकर खाने-पीने का समय नियमित नहीं रखते|

इस अनियमितता का परिणाम है, --- गंभीर रोगों का आमंत्रण { नींद का न आना, बेचेनी, से करवट बदलना, अपचन, विवंध (शोच में कमी) कब्ज, ववासीर, पेचिश , वजन का बढना, और इससे आगे चलकर गंभीर, लीवर रोग, उदर रोग, मूत्र रोग, किडनी, रोग, मेटाबोलिक रोग, प्रोस्टेट बड़ने, आदि जैसे गंभीर रोग}

हिन्दू और जैन धर्म की मान्यता के अनुसार, यदि स्वास्थ जीवन भर ठीक रकना है तो सायंकाल बाद और रात्रि गरिष्ठ भोजन को त्याग दें| और भोजन नाश्ता, चाय, दोपहर भोजन ,रात्रि भोजन आदि सही समय पर होना चाहिए|

प्रतिदिन प्रात अच्छा नाश्ता खाना जरुरी होता है, क्योंकि रात्रि भोजन के बाद १० से १२ घंटे व्यतीत हो चुके होते हैं| इस समय शरीर को अच्छी केलोरी की जरुरत होती है|

नाश्ते के ४  से ५ घंटे बाद दोपहर का खाना खाना चाहिए| अर्थात यदि नाश्ता 7 बजे लिया है तो १२ बजे के लगभग खाना खाना आवशयक है|

दोपहर के इस भोजन या लंच के बाद या ४ घंटे बाद बूस्टर डोज के रूप में फल, खाना उचित है|

दोपहर के भोजन के लगभग ८ घंटे बाद डिनर या रात्रि भोज खाना चाहिए| रात्रि के इस खाने में अच्छे स्वास्थ्य बनांये रखने सुपाच्य और दोपहर की तुलना में हलका कम केलोरी वाला खाना खाना चाहिए| चूँकि इस भोजन के ३ से ४ घंटे में सो जाया करते हैं इसलिए पूरी पकवान और वर्तमान में डिनर पार्टियों में परोसा जाने वाला गरिष्ठ खाना पचाने में शरीर को मुश्किल आती है, इसका परिणाम कई  गंभीर रोगों के द्वारा खोलता है| प्रारम्भ में युवा वस्था में तो इन समस्याओं का पता नहीं चलता पर जब कई वर्ष भोजन की अनियमितता चलती रहती है तब प्रोड़ावस्था, या बुडापे के रोगों के रूप में बेवक्त, और रात्रि के गरिष्ठ भोजन के दुष्परिणाम आते हैं और तब तक देर हो चुकी होती है, वापिस स्वस्थ जीवन नहीं पाया जा सकता| 

हिन्दू धर्म में, और जैन धर्म में इसी कारण सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध किया है| हमारे अधिकांश जैन भाई इस का पालन करते है पर हिन्दू भाई इस को भूल गए है, और पश्चात डिनर में गरिष्ठ भोजन को आदर्श मान रोगों को आमंत्रित करते रहते हैं|

आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार भी भोजन का क्रम उपरोक्त होना चाहिए|

कुछ विद्वानों ने प्रात: का भोजन रईसों की तरह अधिक केलोरी वाला, दोपहर का भोजन मध्यम वर्गीय सामान्य, और रात्रि भोजन गरीबों के भोजन के सामान, रुखा सुखा, कम केलोरी वाला सुपाच्य रखने की सलाह देते हैं| यह भोजन मन्त्र स्वास्थ के लिए सर्वथा उपयुक्त है|

मधुमेह आदि के रोगियों के लिए तो इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं|    

वैद्य मधुसूदन व्यास l

1-2- चैत्र शुक्ल 2080 / 7 मार्च 2023

पूर्व जिला आयुष अधिकारी उज्जैन

वात्सल्य सेवार्थ ओषधालय

MIG 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र.

 

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Sciatica कटिस्नायुशूल (Panchakarma and Treatment:- According to disease).

(Panchakarma and Treatment:- According to disease)   (पंचकर्म एवं उपचार :- रोग अनुसार) 

गृध्रसी या साईटिका की चिकित्सा करें घर पर|

कोविड 19 के संक्रमण त्रासदी ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के महत्त्व को भारत के जन जन तक पहुंचा दिया है| आज देश का लगभग प्रत्येक नागरिक किसी न किसी रूप में आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ ले रहा है| आयुर्वेद चिकित्सा केवल व्यावसायिक नहीं है यह रसोईघर से ही प्रारम्भ हो जाती है, इसी कारण इसके महत्त्व को समझने में देर लगी|

यूँ तो पूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा जिसमें, पंचकर्म, शल्य आयुर्वेद, रस चिकित्सा, काष्ठ ओषधि चिकित्सा आदि आदि कई अधिक विषय एसे हैं जिनमें बिना आयुर्वेद स्नातक और विशेषज्ञ आयुर्वेद के सलाह के चिकित्सा संभव नहीं है|

हम यहाँ कुछ एसे आयुर्वेद चिकित्सा विधियाँ प्रस्तुत कर रहें है जिन्हें आप अपने घर पर स्वयं करके बिना हानि के लाभ ले सकते है, यह हो सकता है की कुछ लाभ कम मिले|  यदि इसे आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के साथ करेंगें तो अधिक लाभ होगा| 

निम्न चिकित्सा से एलोपेथिक आदि चिकित्सा (दवा कहते रहने तक आराम फिर कष्ट शुरू) द्वारा कभी ठीक न हो पाने वाला यह रोग तीन माह की चिकित्सा से हमेशा के लिए ठीक किया जा सकेगा

Self care from Covid 19 - WHO Instructions (कोविड 19 से स्वयं की देखभाल - डब्लू एच ओ निर्देश)

कोविड 19 से स्वयं की देखभाल-- डब्लू एच ओ निर्देश

अगर किसी ऐसे व्यक्ति से आपका संपर्क हुआ है जिसे COVID-19 है, तो ये चीज़ें करें:- 

  1. अपने डॉक्टर या COVID-19 हॉटलाइन पर कॉल करके पता करें कि आप कब और कहां टेस्ट करवा सकते हैं|
  2. वायरस को फैलने से रोकने के लिए, उन प्रक्रियाओं में सहयोग करें जिनसे पता लगाया जाता है कि आप किस-किस के संपर्क में आए थे|
  3. अगर टेस्ट करवाने की सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो 14 दिनों के लिए दूसरे लोगों से दूर, घर पर रहें|
  4. जब आप क्वॉरंटीन में हों, तब काम, स्कूल या सार्वजनिक जगहों पर न जाएं| ज़रूरत का सामान किसी व्यक्ति से घर पर ही मंगवा लें|
  5. दूसरे लोगों से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखें, यहां तक कि अपने परिवार के लोगों से भी|
  6. दूसरे लोगों की सुरक्षा के लिए मेडिकल मास्क पहनें, अगर आपको चिकित्सा देखभाल की ज़रूरत हो, तब भी मास्क पहनें|
  7. अपने हाथों को बार-बार साफ़ करते रहें|
  8. परिवार के अन्य लोगों से अलग, किसी दूसरे कमरे में रहें| अगर ऐसा संभव न हो, तो मेडिकल मास्क पहनें|
  9. कमरे में हवा आने-जाने के लिए खिड़कियां-दरवाज़े खुले रखें
  10. अगर आप किसी अन्य व्यक्ति के साथ कमरे में रहते हैं, तो दोनों के बिस्तरों के बीच कम से कम 1 मीटर की दूरी होनी चाहिए|
  11. 14 दिनों तक खुद पर नज़र रखें कि बीमारी का कोई लक्षण तो नहीं दिख रहा है|

अगर आपको इनमें से कोई भी खतरे के संकेत मिले तो तुरंत अपने डॉक्टर को कॉल करें: सांस लेने में परेशानी, बोल न पाना या हिल-डुल न पाना, उलझन या सीने में दर्द|

अपने करीबी लोगों से फ़ोन या इंटरनेट के ज़रिए ऑनलाइन जुड़े रहकर और घर पर कसरत करके, सकारात्मक बने रहें|

who|int पर जाकर ज़्यादा जानें

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Be careful also those who have been given the Corona Vaccine (सावधान वे भी रहें जिन्हें अभी कोरोना वैक्सीन लगा है)

Be careful also those who have been given the Corona Vaccine: -
सावधान वे भी रहें जिन्हें अभी कोरोना वैक्सीन लगा है :-

कोरोना वैक्सीनेशन गति पकड़ रहा है, पर जिन्हें एक डोज लग चुकी है वे अभी भी सावधान रहें।
दूसरी डोज लगने के 15 दिन बाद ही आपका शरीर कोरोना से सुरक्षित हो पाएगा । अर्थात आप कोरोना वायरस के संपर्क में आएंगे लेकिन वह आपके शरीर पर असर नहीं कर पाएगा।
ऐसे में पहली वैक्सीन लगने से 43 दिन तक आप असुरक्षित हैं लेकिन 44 वें दिन आप सुरक्षित हो जाएंगे. लिहाजा इस पूरी प्रक्रिया में करीब डेढ़ महीने का वक्त लगेगा। हालांकि इसके बावजूद लापरवाही बरतने की जरूरत नहीं है बल्कि कोरोना से बचने के सभी उपाय करने की जरूरत है। इसकी मुख्य वजह है कि आप तो सुरक्षित हैं, लेकिन वाइरस आपके शरीर में हो सकता है वह अन्य को आपके द्वारा बरती जा रही सावधानियों से ही बचा सकेगा।
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Won't the corona grow in unlock?(क्या कोरोना अनलॉक में अधिक नहीं बढेगा?)

क्या कोरोना अनलॉक में अधिक नहीं बढेगा

डॉ मधु सूदन व्यास उज्जैन 30/08/2020

पिछले छे माहों से आतंक फैलाने वाली कोविड या कोरोना महामारी को रोकें हेतु, शासन ने अनलॉक की नई गाइड लाईन जारी की है, इसमें कुछ ही व्यवस्थाओं को छोड़कर अधिकतम को मुक्त कर दिया है|  

इस विषय में मेरा यह मानना है कि, शासन की अनलॉक करने की प्रक्रिया पूरी तरह एक सोचा समझा समझदारी का निर्णय है। इससे आर्थिक, रोजगार, आदि समस्याओं, से छुटकारे की ओर बढ़ेंगे।

How to defeat the corona monster. :- Small small measures. (कैसे कोरोना राक्षस को हराएं,:- छोटे छोटे उपाय )


कैसे कोरोना राक्षस को हराएं, ओर स्वयं परिवार, समाज, मानवता, ओर देश को स्वस्थ सम्रद्ध बनाएं।
सबकी जय हो।
Thanks to concern, for the image about Covid 19
कोरोना अब सेकेंड ओर थर्ड स्टेज में जा रहा है, यही वह समय है जब संक्रमित रोगी जो नाक बहना, खांसी, हल्का या तेज बुखार, सिरदर्द जैसे जुकाम के सामान्य लक्षण से पीड़ित दिखता है, वह रोगी अपने वाइरस औरों में फैला सकता है, इसलिए जरूरी है कि वह स्वयं को सभी से दूर कर ले, इससे संक्रमण उनके परिवार, समाज के अन्यों में नहीं जा पायेगा, स्वयं खवरायें नहीं, नाक साफ रखें विक्स, इंट्रोप्स लिकविड डिशेन, नाक कान में डालते रहें, खांसी के लिए, दूध में हल्दी, कंटकारी अवलेह, खदिरादी वटी, आयोबिन ओर कफलीन टैब डिशेन, कोफ़्लेट ,सेप्टोलीन हिमालय, जैसी जुकाम खांसी की दवा 6 से 7 दिन लें, मुहं हाथ बार बार धोते रहें, नाक कान में चीटी अंगुली से बोरोप्लस, बोरोलीन जैसी एंटीसेप्टिक क्रीम लगाए, इससे अन्य का संक्रमण आपको प्रभावित नहीं कर पायेगा, ओर यदि आपको न केवल कोरोना बल्कि अन्य इन्फ्लूएंजा, जुकाम, आदि से भी स्वयं ओर अन्य को बचाया जा सकेगा। जुकाम प्रभावित को इससे सांस लेने में सुविधा भी होगी, रोग से राहत मिलेगी।
कोरोना राक्षस को हराएं, स्वयं परिवार, समाज, मानवता, ओर देश को स्वस्थ सम्रद्ध बनाएं, ।
सबकी जय हो।

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निशुल्क चिकित्सा परामर्श
कोरोना वाइरस रोग संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि अनावश्यक कहीं आना जाना बंद कर दिया जाए।
इस दौरान यदि आप किसी रोग से ग्रस्त होते हैं तो आप मुझसे दूरभाष पर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकते है।
में एक इंटीग्रेटेड (आयुर्वेद एवं एलोपैथ) चिकित्सक ओर पूर्व अधीक्षक शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय उज्जैन पद से सेवानिवृत्त हूँ।
फोन 9425379102 / 0734 3590859 .
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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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