Obesity - Effective and Simple therapy for : - Lekhan Basti.
(मोटापे - के लिए प्रभावी और सरल
चिकित्सा: - लेखन बस्ती।)
डॉ मधु सूदन व्यास
मोटापे
का वर्तमान बाज़ार खरबोँ रुपयोँ का है, लगभग सभी के अपने अपने दावे हैं, परंतु सभी व्यायाम, आहार, और हैल्दी जीवन जीने की शर्त किसी न किसी रूप में जरुर रख देते है। यदि
शर्तो को माना जाये तो फिर किसी भी ओषधि जरुरत भी नहीँ है, यह बात कोई भी समझना ही नहीँ चाहता।
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वास्तव में तो मेदो रोग दूर करने या वजन प्रासंगिक रखने के लिए शरीर की चपापचय क्रिया (मेटाबोलोजम) ठीक होना ही चाहिए| इसके लिए स्वास्थ्य ठीक रहना परमावश्यक है, और यह सब तब तक नहीं हो सकता जब तक की स्वस्थ्य जीवन न हो| इसके लिए आहार, विहार, आचरण, दैनिक जीवन चर्या नियमित होना चाहिए |
आयुर्वेद चिकित्सा में यही सब किया जाता है | एक बार आपका मेटाबोलिक प्रक्रिया सामान्य हो गए तो सब कुछ ठीक हो जायेगा|
मोटापे के लिए आयुर्वेद में भी कई उपचार पद्धत्ति पंचकर्म और ओषधि चिकित्सा प्रयोग कीँ जातीँ हैँ, ओषधि उपचार से अधिक समय लग सकता है वहीँ पंचकर्म से बहुत जल्दी परिणाम मिल जाते हैं|
पंचकर्म के अंतर्गत मोटापे के उपचार के लिए सबसे अधिक प्रचलित है, विरेचन (Virechan) और लेखन बस्ती
(Lekhan Basti) (विशेष् प्रकार से दिया एनीमा- देखेँ )।
इस पंचकर्म चिकित्सा से परिणाम १५ दिन में ही मिल जाते हैं| और लम्बे समय तक जब तक की आप अपनी चपापचय स्वयं नहीं बिगाड़ते, नियमित जीवन जीते हैं स्वस्थ्य रहते है | प्रसिद्ध अभिनेता अक्षय कुमार प्रतिवर्ष इस चिकित्सा से लाभ लेते रहते हैं, देखें;-
क्या कहते हैं अक्षय कुमार आयुर्वेदिक चिकित्सा (पंचकर्म) के बारे में | नाम मात्र चैरेटिबल शुल्क पर हमारे वात्सल्य औषधालय उज्जैन में पंचकर्म कराने के लिए संपर्क [
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“विरेचन Virechan” [देखेँ-विरेचन] पंचकर्म का एक प्रकार है जो लगभग १५ दिन
(time-consuming) के कठोर अनुशासन सहित तीन चरण (three
and laborious steps) में पुर्ण होता है। प्रक्रिया में कई
सहायक शामिल होते हेँ। प्रक्रिया में सफलता १००% (शत- प्रतिशत) मिलती है। परंतु
वर्तमान व्यस्त जीवन में अधिकांश को पालन करने में मुश्किल लगता है, एसी स्तिथि में बस्ती कर्म जो अधिक आसान ओर कम कष्टकारी लगता है। “मेदो हर विशेष बस्ति” चिकित्सा ओर अधिक सुविधा युक्त
सिद्ध होतीहै। अत: एसी स्तिथि में बस्ती चिकित्सा देना उचित हो सकता है।
इसके अलावा “विरेचन” अधिक मोटपा ग्रस्त (overly
obese) रोगियों में प्रति बंधित भी किया गया है । परन्तु लेखन
बस्ती द्वारा एसे रोगियोँ की चिकित्सा की जा सकती है, क्योंकि
बस्ती सबसे सुरक्षित और आसान प्रकार का पंचकर्म है, एक
दैनिक आधार पर लिया जा सकता है, केवल जिन्हे गुदा के
रोग होँ अधिक सावधानी रखना होती है।
लेखन बस्ती एनीमा का ही एक प्रकार है, जो गुदा
(एनो-रेक्टल) मार्ग से दिया जाता है। इसमें कई आयुर्वेदिक दवाएं यथा त्रिफला का
काढ़ा, शहद, गोमूत्र, सेंधव, हिंग, यवक, कासीस, शिलाजतु आदि होती हैं, जो शरीर को अत्यधिक वसा से मुक्त कर देतीँ हैं।
गुदा मार्ग के माध्यम से दी गई लेखन बस्ती आंतो में पहुंच रक्त
वाह्नी से अवशोसित होकर ओषधि के सक्रिय गुण पूरे शरीर में फैल जाते हैं, और उपर से नीचे तक कि चर्बी सक्रिय होकर शरीर का पोषण करने लगती है।
फार्माको-काइनेटिक्स के अनुसार, यह सिद्ध हो चुका है कि
गुदा के माध्यम से दी जाने वाली ओषधि, मुख द्वारा दी गई
ओषधि की तुलना में यकृत (liver) को सक्रिय करके
अधिक तेजी से चयापचय (metabolism) बडाती है। क्योंकि मलाशय
अपनी वाहनियोँ (vasculiariy), शिराजाल (plexuses), की कारण अधिक अच्छी अवशोषित सतह (absorbed surface) प्रदान करती है।
{चिकित्सा निर्देश :- चिकित्सा कुशल
आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशन में ही ली जाना चाहिए|}
मेदो
रोग, स्थौल्या, मोटापे, के लिए लेखन बस्ति :-
1- त्रिफला कवाथ २०० ग्राम, मधु
२०० ग्रा. गौ मूत्र २०० ग्रा., यवक्षार ५ ग्रा, शिलाजीत ३ ग्रा, हींग ३ ग्राम, कासिस ६ ग्रा, तुत्थ ३ ग्रा, सेंधवा
३ ग्राम= विधि अनुसार बस्ती निर्माण करें| (यह मात्रा
उत्तम मात्रा है, रोगी की क्षमता, वय,
बल, आदि अनुसार दी जाना चाहिए)
- शिलाजीत
से सेंधव तक में से जितने मिल संकें लिए जा सकते हैं |
- यह
बस्ती योग बस्ती के
अंतर्गत लेखन,या निरूह
के स्थान पर दी जानी चाहिए|
- पूर्व
एवं पश्चात कर्म नियमानुसार आवश्यक हैं |
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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।
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